Rajghat Dam MP: 14 साल गुजरने के बाद भी नहीं मिला किसानों को उनका हक, आज तक लड़ रहे हैं मुआवजे की लड़ाई

Rajghat Dam MP: अशोक नगर। मध्य प्रदेश में राजघाट बांध के डूब क्षेत्र में आई किसानों की जमीन के मुआवजे के लिए देवरछी गांव के किसान पिछले 14 सालों से मुआवजे की मांग को लेकर भटक रहे हैं, लेकिन उन्हें...
rajghat dam mp  14 साल गुजरने के बाद भी नहीं मिला किसानों को उनका हक  आज तक लड़ रहे हैं मुआवजे की लड़ाई

Rajghat Dam MP: अशोक नगर। मध्य प्रदेश में राजघाट बांध के डूब क्षेत्र में आई किसानों की जमीन के मुआवजे के लिए देवरछी गांव के किसान पिछले 14 सालों से मुआवजे की मांग को लेकर भटक रहे हैं, लेकिन उन्हें आज तक मुआवजा नही मिल सका है। राजघाट बांध दो राज्य मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश के बीच में होने से किसानों को लगातार संघर्ष करना पड़ रहा है, लेकिन मुआवजा आज तक नही मिल सका है।

2010 से चल रही है किसानों की मुआवजे के लिए लड़ाई

अब इसी मामले में एक बार फिर से मुआवजे की लिए लड़ाई लड़ रहे सभी 18 किसानों ने 2 जनवरी 2024 को मुख्य अभियंता बेतवा नदी परिषद् राजघाट बांध (Rajghat Dam MP) ललितपुर के लिए आवेदन दिया था जिसमें मानव अधिकार अधिनियम न्यायिक संरक्षण की अधिकार भू अर्जन पुनर्वासना पर अधिकार अधिनियम के अंतर्गत राजघाट डैम के डूब क्षेत्र भराव से प्रभावित भूमि विगत वर्ष 2010 से डूबी हुई है, जिसमें फसलों की क्षतिपूर्ती राशि के साथ वर्तमान भूमि कि कीमत से चार गुनी कीमत का मुआवजा दिलाने की बात कही गई थी।

Rajghat Dam MP

बिना मुआवजा मिले ही दुनिया को अलविदा कहा 4 किसानों ने

आपको बता दें कि मुआवजे की आस लगाए कुल 18 किसानों में अभी तक चार किसान उम्मीद पूरी होने से पहले ही मौत के गाल में समा चुके हैं लेकिन अभी तक मुआवजा नहीं मिला है। मुआवजे की यह लड़ाई लड़ रहे किसान संग्राम सिंह ने बताया कि विगत वर्षों में खर्च हुई राशि एक लाख रुपए से अधिक खर्चे होने पर और मजदूरी सहित मिलाकर मुआवजा मिलना चाहिए। संयुक्त दल टीम द्वारा मौके पर पहुंच कर सहायक अभियंता राजघाट बांध परियोजना एवं अनिल कुमार अशोक सहायक अभियंता राजघाट बांध परियोजना के साथ मुंगावली नायब तहसीलदार सुरेश राठौर ने राजघाट डैम में डूबे हुए खेतों में पहुंचकर एक बार फिर से सर्वे किया गया जिससे किसानों को अब 13 साल बाद फिर से मुआवजे की उम्मीद जगी है।

एक बार फिर हुआ सर्वे

सर्वे करने पहुंचे सभी अधिकारी खेतों पर पहुंचे जहां पानी से भरे हुए चिन्ह अधिकारी को दिखाए गए और सर्वे किया गया। मौके पर मौजूद किसानों ने बताया कि हमारे ग्राम की करीबन 66 बीघा भूमि पिछले 14 वर्षों से प्रभावित हो रही है, इसका हमें मुआवजा दिया जाए। पिछले 14 वर्षों से परेशान किसान मुआवजे के लिए प्रयासरत हैं। खेत और पैसों के बिना आदिवासी किसानों के बच्चे भूखे मर रहे हैं, मुआवजा मिलना उनका हक है।

बारिश के सीजन में खराब हो जाती है पूरी फसल

राजघाट बांध (Rajghat Dam MP) से डूब मे आई देवरछी ग्राम की लगभग 66 बीघा जमीन की जो प्रतिवर्ष डूब मे आने से किसानों की फसल को लील जाती है। देवरछी ग्राम के संग्राम सिंह अहिरवार ने बताया कि वर्ष 2010 से आज तक प्रति वर्ष बारिश के समय में राजघाट बांध मे पानी का अधिक भराव होने से 371 मीटर जल भराव डैम की लाइन को क्रॉस कर जाता है और उनके ग्राम के छोटे-छोटे किसानों की पूरी फसल तबाह हो जाती है। किसान 14 साल बाद आज भी मुआवजे के लिए अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं, परन्तु दुर्भाग्य है की दो राज्यों के बीच का मामला होने पर सुनवाई मे लगातार देरी हो रही है। हालांकि किसानों ने आज तक अपनी हिम्मत नहीं हारी है और अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। किसानों ने कहा कि जब तक उन्हें न्याय नहीं मिल जाता, तब तक वे अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।

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