Basant Panchami Yoga: बसंत पंचमी 3 फरवरी को, बन रहे हैं दो बड़े शुभकारी योग

पंडित राकेश पांडेय के अनुसार, इस बार बसंत पंचमी को रेवती नक्षत्र व सिद्धि नामक योग मिल रहा है। इसलिए इस बार की बसंत पंचमी सर्वमंगलकारी है।
basant panchami yoga  बसंत पंचमी 3 फरवरी को  बन रहे हैं दो बड़े शुभकारी योग

Basant Panchami Yoga: बसंत पंचमी का त्योहार 3 फरवरी, दिन सोमवार को मनाया जाएगा। लखनऊ स्थित महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ट्रस्ट के ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पाण्डेय बताते है कि यह पर्व माघ शुक्ल की पंचमी (Basant Panchami Yoga) को मनाया जाता है। इस वर्ष माघ शुक्ल पंचमी तिथि सोमवार को सुबह 09:36 बजे तक है। इसलिए उदया तिथि के अनुसार, बसंत पंचमी 3 फरवरी को मनाया जाएगा।

पंडित राकेश पांडेय के अनुसार, इस बार बसंत पंचमी को रेवती नक्षत्र व सिद्धि नामक योग (Basant Panchami Yoga) मिल रहा है। इसलिए इस बार की बसंत पंचमी सर्वमंगलकारी है।

सरस्वती पूजन का सर्वोत्तम मुहूर्त

पंडित राकेश पांडेय के अनुसार, सरस्वती पूजन का सर्वोत्तम मुहूर्त (Saraswati Puja 2025 Muhurat) प्रातः 07:27 से 09:36 तक है। यह पर्व वास्तव में ऋतुराज वसंत क़ी आगवानी क़ी सूचना देता है। इस दिन से ही होरी तथा धमार गीत प्रारम्भ किये जाते है। गेंहू तथा जौ क़ी स्वर्णिम बालियां भगवान को अर्पित क़ी जाती है। इस दिन भगवान विष्णु तथा सरस्वती के पूजन का विशेष महत्व है। वसंत ऋतु कामोद दीपक होती है। इसलिए चरक संहिता कार का कथन है कि इसके प्रमुख देवता काम तथा रति है। इसलिए इस दिन काम तथा रति का भी पूजन करना चाहिए।

                                                          पंडित राकेश पांडेय

कैसे हुईं देवी सरस्वती उत्पन्न

पंडित राकेश पांडेय बताते हैं कि भगवान विष्णु की आज्ञा से प्रजापति ब्रह्मा जी सृष्टि की रचना करके जब उसे संसार में देखते थे तो चारो और सुनसान दिखाई देता था। उदासी से सारा वातावरण मूक सा हो गया था। जैसे किसी की वाणी ही न हो। यह देखकर ब्रह्मा जी ने उदासी तथा मलिनता को दूर करने के लिए अपने कमण्डलु से जल छिड़का। उन जलकणों के पड़ते ही वृक्ष से एक शक्ति उत्पन्न हुई जो दोनों हाथों से वीणा बजा रही थीं तथा दोनों हाथों में क्रमशः पुस्तक तथा माला धारण किये थी।

ब्रह्मा जी ने उस देवी से वीणा बजाकर संसार की मूकता तथा उदासी दूर करने को कहा। तब देवी ने वीणा के मधुर-नाद से सब जीवों को वाणी प्रदान की। इसलिए उस देवी को सरस्वती कहा गया। यह देवी विद्या, बुद्धि देने वाली है। इसलिए जो व्यक्ति मां सरस्वती की पूजा निष्ठापूर्वक करता है, उसे बुद्धि और विद्या की प्राप्ति होती है।

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