Devshayani Ekadashi 2024: आज है देवशयनी एकादशी? जानें पूजा समय, अनुष्ठान और पारण का समय
Devshayani Ekadashi 2024: आज देवशयनी एकादशी है। हिंदू माह आषाढ़ (जून-जुलाई) में मनाई जाने वाली देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi 2024) भगवान विष्णु की चार महीने की निद्रा (चतुर्मास) की शुरुआत का प्रतीक है। आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहते हैं। देवशयनी एकादशी के दिन से भगवान विष्णु का शयनकाल प्रारम्भ हो जाता है। देवशयनी एकादशी के चार माह के बाद भगवान् विष्णु प्रबोधिनी एकादशी के दिन जागतें हैं। देवशयनी एकादशी आध्यात्मिक चिंतन और भक्ति के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है।
देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi 2024) प्रसिद्ध जगन्नाथ रथयात्रा के तुरन्त बाद आती है और अंग्रेजी कैलेण्डर के अनुसार देवशयनी एकादशी का व्रत जून अथवा जुलाई के महीने में आता है। चतुर्मास जो कि हिन्दु कैलेण्डर के अनुसार चार महीने का आत्मसंयम काल है, देवशयनी एकादशी से प्रारम्भ हो जाता है। देवशयनी एकादशी के व्रत के बाद पारण 18 जुलाई को सुबह 06:28 से 08:51 तक का है। पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय शाम 07:14 पर है।
एकादशी तिथि प्रारम्भ - जुलाई 16, 2024 को 19:03 बजे
एकादशी तिथि समाप्त - जुलाई 17, 2024 को 19:32 बजे
देवशयनी एकादशी व्रत की पवित्र विधि
देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi 2024) व्रत अनुष्ठान के लिए जानी जाती है। इसकी शुरुआत सूर्योदय से डेढ़ घंटे पहले ब्रह्ममुहूर्त में जागने से होती है जिसके बाद स्नान और ध्यान किया जाता है। उसके बाद, धार्मिक अनुष्ठानों के लिए सभी आवश्यक चीजें तैयार की जाती हैं और मूर्तियों को वास्तु के अनुसार पवित्र कोने, ईशान कोण में एक लाल सूती कपड़े के ऊपर रखा जाता है। फिर, भगवान गणेश और विष्णु की मूर्तियों पर जल छिड़का जाता है और उन्हें फूल और खीर के साथ तिलक लगाया जाता है। सर्वशक्तिमान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इस पूरे समय आरती और प्रार्थना गाई जाती हैं। इससे देवशयनी एकादशी व्रत का व्रत पूरा होता है। नारद पुराण के ग्रंथों में कहा गया है कि जो व्यक्ति इस दिन सटीक अनुष्ठान का पालन करता है वह अपने कर्मों को शुद्ध कर लेता है।
देवशयनी एकादशी का महत्व
आषाढ़ महीने में मनाई जाने वाली देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi 2024) का बहुत आध्यात्मिक महत्व है क्योंकि यह भगवान विष्णु की चार महीने की लौकिक निद्रा, जिसे चतुर्मास भी कहा जाता है, की शुरुआत का प्रतीक है। इस अवधि के दौरान भक्त उपवास, प्रार्थना और आध्यात्मिक चिंतन में संलग्न होते हैं। उनका मानना है कि यह आत्मा को शुद्ध करता है और पापों से मुक्ति दिलाता है। ऐसा माना जाता है कि इस एकादशी का पालन करने से भगवान विष्णु से अत्यधिक आध्यात्मिक योग्यता और दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह चार महीने बढ़ती धार्मिक गतिविधियों और आत्म-अनुशासन के समय की शुरुआत का भी प्रतीक है। देवशयनी एकादशी का व्रत व्रत पारंपरिक रूप से अगले दिन, द्वादशी को विशिष्ट अनुष्ठानों के साथ तोड़ा जाता है।
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