Gwalior Teli Mandir: देश-विदेश में प्रसिद्ध है तेली का मंदिर, निर्माण से जुड़ी हैं ये रोचक कथाएं

तेली के मंदिर के ठीक उत्तर में सूरजकुंड तालाब है जिसके पवित्र जल से 10वीं शताब्दी के शासक सूरज सेन अर्थात् सूरजपाल को कुष्ठ रोग से मुक्ति मिली थी। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण आठवीं शताब्दी के मध्य में हुआ था।
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Gwalior Teli Mandir: ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर किले पर बने इस मंदिर को कुछ लोग तेल मंदिर के नाम से भी जानते हैं क्योंकि विदेश से आने वाले पर्यटक इसके मूल नाम का अर्थ समझने के लिए बहुत ज्यादा उत्सुक रहते हैं। इस मंदिर में आठवीं शताब्दी की आकर्षक प्राचीन वास्तुकला का समावेश है इसलिए यह पर्यटकों की पहली पसंद बना हुआ है। किले पर बना यह मंदिर हिंदू भगवान विष्णु को समर्पित है। वर्तमान में यह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के संरक्षण एवं अधिकार में है। जो भी पर्यटक किले पर घूमने के लिए आते हैं, वह एक बार इस मंदिर को देखने जरूर जाते हैं। मंदिर के खुलने का समय प्रातः 8 बजे सायं से 6:00 बजे तक रहता है।

भगवान विष्णु को समर्पित है यह मंदिर, निर्माण से जुड़ी है यह कहानी

ग्वालियर फोर्ट पर बना तेली का मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। भगवान विष्णु का यह मंदिर बेहद ही आकर्षक दिखाई देता है जो कि ग्वालियर किले की सबसे ऊंची चोटी पर बना है। इस मंदिर के साथ कई सारी कहावतें और कहानियां जुड़ी हुई हैं। एक कहानी यह भी कहती है कि यह एक तेल व्यापारी के दान की राशि से इस मंदिर का निर्माण किया गया था। तेल व्यापारी को स्थानीय रूप से तेली कहा जाता था अतः मंदिर का नाम भी तेली का मंदिर पड़ गया। कुछ लोग यह भी कहते हैं कि इसे तेलंगाना (जो कि दक्षिण भारत में स्थित हैं) के राजकुमारों द्वारा बनवाया गया था इसलिए इसे तेली का मंदिर कहा जाता है।

Gwalior Teli Mandir News

तैलंग ब्राह्मणों से भी जोड़ा जाता है मंदिर का संबंध

एक अन्य कथा के अनुसार तेली का मंदिर (Gwalior Teli Mandir) शब्द राजपूत मंदिर के रूप में आया कुछ लोगों के अनुसार राष्ट्रकूट गोविंद तृतीय ने 794 में किले पर विजय प्राप्त की और तब उनके द्वारा धार्मिक समारोह और अनुष्ठानों के लिए तैलंग ब्राह्मण को सौंप दिया गया। इसलिए यह माना जाता है कि यह तैलंग शब्द से इस मंदिर को यह नाम मिली है। विदेश से यहां आने वाले सैलानियों के लिए थोड़ा असामान्य सा लगता है।

उत्तर और दक्षिण भारतीय मंदिर वास्तु शैली के संगम का अद्भुत उदाहरण है तेली का मंदिर

ग्वालियर किले पर बने तेली के मंदिर के बाहरी हिस्से, विशेष रूप से दरवाजे और दीवारों पर प्रेमी जोड़ों, कुंडलित नागों, देवी-देवताओं की नक्काशी साफ दिखाई देती है। दरवाजों के बीच में उड़ते हुए गरुड़ की एक बेहद आकर्षक आकृति भी देखी जा सकती है। सबसे चमत्कारिक चीज जो दुनिया भर में यहां आने वाले सैलानी देखना चाहते हैं वह यह कि यह मंदिर दक्षिण और उत्तरी भारतीय वास्तुकला शैली का अद्भुत मिश्रण है। इस मंदिर की सजावट नागर शैली में है जो एक प्रसिद्ध उत्तर भारतीय शैली को दर्शाती है।

मंदिर के सामने है सूरजकुंड तालाब जिसमें भरा है चमत्कारी पानी

एक और खास बात इस मंदिर की है, वह यह है कि मंदिर (Gwalior Teli Mandir) के ठीक उत्तर में सूरजकुंड तालाब है जिसके पवित्र जल से 10वीं शताब्दी के शासक सूरज सेन अर्थात् सूरजपाल को कुष्ठ रोग से मुक्ति मिली थी। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण आठवीं शताब्दी के मध्य में हुआ था। इसमें एक विशाल आयताकर गर्भगृह भी है जिसके ऊपर पीपल के पेड़ के पत्ते के आकार की छत बनी हुई है। ग्वालियर किले पर बना यह तेली का मंदिर मध्य प्रदेश राज्य की ग्वालियर शहर में स्थित है यह ग्वालियर किले की अंदर है आने वाली सैलानी यह आसानी से पहुंच सकते हैं क्योंकि ग्वालियर किला शहर के सभी कोनों से स्पष्ट दिखाई देता है।

(ग्वालियर से सुयश शर्मा की रिपोर्ट)

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