Hartalika Teej 2024: इस दिन मनाई जाएगी हरतालिका तीज, जानें तिथि, पूजा मुहूर्त और इसका महत्व
Hartalika Teej 2024: तीज अमावस्या की रात या पूर्णिमा की रात के बाद तीसरे दिन का प्रतीक है। हरतालिका तीज (Hartalika Teej 2024) उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार, झारखंड और मध्य प्रदेश राज्यों में हिंदू महिलाओं द्वारा उत्साह के साथ मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह दिन देवी पार्वती को समर्पित है, जिन्होंने भगवान शिव से विवाह करने के लिए घने जंगल में तपस्या की थी।
कब है इस वर्ष हरतालिका तीज?
हरतालिका तीज 2024 शुक्रवार, 6 सितंबर 2024 को मनाया जाएगा।
हरतालिका तीज (Hartalika Teej 2024) 2024 के लिए पूजा मुहूर्त:
प्रातःकाल हरतालिका पूजा मुहूर्त - प्रातः 06:13 बजे से प्रातः 08:40 बजे तक
तृतीया तिथि आरंभ – 05 सितंबर, 2024 को दोपहर 12:21 बजे से
तृतीया तिथि समाप्त - 06 सितंबर, 2024 को दोपहर 03:01 बजे
हरतालिका तीज की उत्पत्ति
हरतालिका तीज (Hartalika Teej 2024) की उत्पत्ति व इसके नाम का महत्त्व एक पौराणिक कथा में मिलता है। हरतालिका शब्द, हरत व आलिका से मिलकर बना है, जिसका अर्थ क्रमशः अपहरण व सहेली होता है। हरतालिका तीज की कथा के अनुसार, पार्वतीजी की सहेलियां उनका अपहरण कर उन्हें घने जंगल में ले गई थीं। ताकि पार्वतीजी की इच्छा के विरुद्ध उनके पिता उनका विवाह भगवान विष्णु से न कर दें। वहां पार्वती जी ने शिवलिंग बना कर शिव की कठोर तपस्या की। उनके समर्पण से प्रभावित होकर भगवान शिव ने पार्वती से विवाह करने का वचन दिया। अंततः, उन्होंने अपने पिता के आशीर्वाद से भगवान शिव से विवाह कर लिया।
कब होता है पूजा का उचित समय
हरतालिका पूजा के लिए सुबह का समय उचित माना गया है। यदि किसी कारणवश प्रातःकाल पूजा कर पाना संभव नहीं है है तो प्रदोषकाल में शिव-पार्वती की पूजा की जा सकती है। तीज की पूजा प्रातः स्नान के पश्चात् नए व सुन्दर वस्त्र पहनकर की जाती है। रेत से बनी शिव-पार्वती की प्रतिमा का विधिवत पूजन किया जाता है व हरतालिका व्रत कथा को सुना जाता है। विवाहित महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत रखती हैं। पूरे दिन व्रत रखकर महिलाएं अपने पति, बच्चों और खुद के लिए आशीर्वाद मांगती हैं।
हरतालिका तीज के दौरान पालन किए जाने वाले अनुष्ठान
- महिलाएं बिना निर्जला व्रत रखती हैं, और भगवान शिव और देवी पार्वती से प्रार्थना करती हैं।
- वे बिंदी, कुम कुम, मेहंदी, चूड़ियाँ, पायल और अन्य सामान के साथ दुल्हन की तरह तैयार होती हैं और अपने पतियों का आशीर्वाद लेती हैं।
- शाम को महिलाएं इकट्ठा होती हैं और मिट्टी से शिवलिंग तैयार करते हैं और उसे फूल, बिल्व पत्र और धतूरे से ढक देते हैं। यह शिवलिंग ऊपर लटके हुए झूले से ढका हुआ होता है, जो मालाओं से बना हुआ होता है।
- कई स्थानों पर महिलाएं पूरी रात भगवान शिव की पूजा करती हैं
- पूजा सुबह व्रत कथा के साथ समाप्त होती है जिसके बाद देवी पार्वती और भगवान शिव की सुंदर बारात निकाली जाती है। सभी महिलाएं बिल्व पत्र, नारियल का प्रसाद और कुछ फल खाकर अपना व्रत तोड़ती हैं।
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