Mahakumbh Amrit Snan: महाकुंभ में होंगे 6 अमृत स्नान, जानिए तिथि, इतिहास और महत्व
Mahakumbh Amrit Snan: महाकुंभ की धूम देश-विदेश हर जगह मची हुई है। इस समय प्रयागराज में करोड़ों की संख्या में भक्त पहुंच रहे हैं। 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा के दिन शुरू हुआ महाकुंभ हर 12 साल में आयोजित होने वाला एक भव्य हिंदू तीर्थयात्रा और त्योहार है। महाकुंभ में शाही स्नान या अमृत स्नान (Mahakumbh Amrit Snan) का बहुत महत्व होता है। इस दिन महाकुंभ में भाग ले रहे सभी 13 अखाड़ों के साधु-संत सबसे पहले स्नान करते हैं।
महाकुंभ मेला 2025, 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा स्नान के साथ शुरू हुआ और 26 फरवरी को महा शिवरात्रि के साथ समाप्त होगा। महाकुंभ 2025 में अमृत स्नान (Mahakumbh Amrit Snan) शुभ तिथियों पर प्रयागराज में होगा। अभी तक महाकुंभ में 13 और 14 जनवरी को दो अमृत स्नान हो चुके हैं। इन सभी छह स्नानों में तीन स्नानों का सबसे ज्यादा महत्व होता है।
महाकुंभ में अमृत स्नान की तिथियां
13 जनवरी 2025: पौष पूर्णिमा
14 जनवरी, 2025: मकर संक्रांति
29 जनवरी, 2025: मौनी अमावस्या
3 फरवरी, 2025: बसंत पंचमी
12 फरवरी 2025: माघी पूर्णिमा
26 फरवरी, 2025: महाशिवरात्रि
महाकुंभ में शाही स्नान या अमृत स्नान का इतिहास
शाही स्नान या अमृत स्नान महाकुंभ (Amrit Snan History) का एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जो आध्यात्मिक शुद्धि और मुक्ति का प्रतीक है। इसकी उत्पत्ति सैकड़ों वर्ष पुरानी है, जो हिंदू पौराणिक कथाओं में निहित है। महाकुंभ के दौरान, शाही स्नान एक शुभ अवसर होता है जब आकाशीय संरेखण नदियों की आध्यात्मिक शक्ति को बढ़ाते हैं।
शाही स्नान (Shahi Snan History) शब्द "रॉयल बाथ" से लिया गया है, जो 19वीं सदी की शुरुआत में बना था। इसका प्रयोग पहली बार पेशवाओं के शासनकाल के दौरान 1801 में किया गया था। यह नामकरण भारतीय संस्कृति पर मुगल प्रभाव को दर्शाता है क्योंकि "शाही" एक उर्दू शब्द है जिसका अर्थ शाही या राजसी है। इस शब्द का उपयोग कुंभ मेले के शुभ स्नान दिनों के लिए किया गया था, जहां भक्तों का मानना है कि पवित्र नदियों में स्नान करने से पाप धुल जाते हैं और आध्यात्मिक मुक्ति मिलती है।
इस बार महाकुंभ की शुरुआत से पहले संतों की मांग पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (UP CM Yogi Adityanath) ने शाही स्नान (Shahi Snan) का नाम बदलकर अमृत स्नान कर दिया। इसके अलावा योगी आदित्यनाथ ने अखाड़ों के महाकुंभ में प्रवेश करने की प्रथा का नाम भी बदल दिया। जहां पहले इसे पेशवाई के नाम से जाना जाता था, अब ये नगर प्रवेश के नाम से जाना जाने लगा।
महाकुंभ में अमृत स्नान का महत्व
अमृत स्नान (Amrit Snan Significance) महाकुंभ का सबसे पवित्र अनुष्ठान है। यह आध्यात्मिक शुद्धि और पापों को धोने का प्रतीक है। समुद्र मंथन की कथा में निहित, यह माना जाता है कि इस दौरान पवित्र नदियों में डुबकी लगाने से मोक्ष मिलता है। महाकुंभ के दौरान आकाशीय संरेखण जल की आध्यात्मिक शक्ति को बढ़ाते हैं। शाही स्नान का नेतृत्व विभिन्न अखाड़ों के संत और संन्यासी करते हैं। यह भव्य अनुष्ठान हिंदू परंपरा में इसके गहन धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व को रेखांकित करते हुए लाखों लोगों को आस्था में एकजुट करता है।
अमृत स्नान (Amrit Snan in Mahakumbh) में परंपरागत रूप से, अखाड़ों के साधु और संत आध्यात्मिक अधिकार का प्रदर्शन करते हुए जुलूस का नेतृत्व करते हैं। यह आयोजन राजसी भव्यता से परिपूर्ण होता है। इसमें साधु-संत औपचारिक पोशाक में घोड़ों या रथों पर सवार होकर जुलुस का नेतृत्व करते हुए संगम में स्नान करते हैं।
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