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Ujjain Mahakal: इस दिन से बदलेगी बाबा महाकाल की दिनचर्या, महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग को ठंडे जल से करवाया जाएगा स्नान

​​Ujjain Mahakal Temple उज्जैन: 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक श्री महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन में चैत्र कृष्ण प्रतिपदा (15 मार्च) से भगवान महाकाल की दिनचर्या बदलेगी। मंदिर की पूजन परंपरा में इस दिन से गर्मी की शुरुआत मानी जाती है। इसलिए...
03:30 PM Mar 09, 2025 IST | Amit Jha
​​Ujjain Mahakal Temple उज्जैन: 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक श्री महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन में चैत्र कृष्ण प्रतिपदा (15 मार्च) से भगवान महाकाल की दिनचर्या बदलेगी। मंदिर की पूजन परंपरा में इस दिन से गर्मी की शुरुआत मानी जाती है। इसलिए...

Ujjain Mahakal Temple उज्जैन: 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक श्री महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन में चैत्र कृष्ण प्रतिपदा (15 मार्च) से भगवान महाकाल की दिनचर्या बदलेगी। मंदिर की पूजन परंपरा में इस दिन से गर्मी की शुरुआत मानी जाती है। इसलिए इस दिन से अब भगवान श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग को ठंडे जल से स्नान (Mahakaleshwar Jyotirlinga Routine Change) करवाया जाएगा। यह क्रम शरद पूर्णिमा तक चलेगा।

बदलेगी बाबा महाकाल की दिनचर्या

इस दौरान प्रतिदिन होने वाली पांच आरती में से तीन आरती का समय भी बदल जाएगा। जिसके तहत दद्योदक आरती अब सुबह 7 से 7.45 बजे तक, भोग आरती सुबह 10 से 10.45 बजे तक और संध्या आरती शाम 7 से 7.45 बजे (Ujjain Mahakal Temple) तक होगी। बता दें कि, वर्तमान में दद्योदक आरती सुबह 7:30 बजे से 8:15 बजे तक, भोग आरती 10:30 से 11:15 बजे तक और संध्या आरती 6:30 से 7 बजे तक हो रही है। भस्म आरती तड़के 4 से 6 बजे तक और शयन आरती रात 10.30 से 11 बजे तक अपने पहले के समय पर ही होगी।

बाबा महाकाल की पूजा-अर्चना में सर्दी और गर्मी का प्रभाव 

दरअसल, श्री महाकालेश्वर मंदिर की पूजन परंपरा में सर्दी और गर्मी का प्रभाव (Ujjain Mahakaleshwar Mandir) रहता है। इन दिनों सर्दी के अनुसार भगवान की सेवा पूजा की जा रही है। भस्म आरती में भगवान महाकाल को गुनगुने जल से स्नान करवाया जा रहा है। चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से गर्मी की शुरुआत मानी जाती है। इसलिए भगवान की सेवा गर्मी के अनुसार की जाने लगती है।

सबसे पहले महाकाल मंदिर में होलिका दहन

बतादें कि, श्री महाकालेश्वर मंदिर में सबसे पहले 13 मार्च को होलिका दहन होगा। मंदिर परंपरा के अनुसार संध्या आरती के बाद ओंकारेश्वर मंदिर के सामने पुजारी एवं पुरोहित होलिका पूजन और दहन करेंगे। 14 मार्च को सुबह 4 बजे भस्म आरती में पुजारी-पुरोहित बाबा महाकाल को सबसे पहले गुलाल लगाएंगे। इसके बाद श्रद्धालुओं के साथ भी होली खेली जाएगी। यह परंपरा मंदिर में सभी पर्व और त्योहारों को सबसे पहले मनाने की प्राचीन परंपरा का हिस्सा है।

(उज्जैन से संजय पाटीदार की रिपोर्ट)

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