Kangana Ranaut : कंगना रनौत की फिल्म इमरजेंसी का नहीं टूट रहा विवादों से नाता, फिल्म के सीन्स पर फिर से चलेगी कैंची
Kangana Ranaut : कंगना रनौत की फिल्म इमरजेंसी लगातरा विवादों से घिरी जा रही है। हाल नहीं में सेंसर बोर्ड ने भी इस फिल्म को हरी झंडी नहीं दी है। सोमवार को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में कंगना की इस आगामी फिल्म 'इमरजेंसी' के खिलाफ दायर एक याचिका पर सुनवाई की गई। अतिरिक्त सॉलिसिटर-जनरल सत्यपाल जैन ने याचिकाकर्ताओं को इस बात का आश्वासन दिया कि इस मामले को लेकर सभी कानूनी दिशा-निर्देशों का पालन किया जाएगा। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि फिल्म में ऐसे सीन हैं जो सिखों की भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं। याचिकाकर्ताओं ने केंद्र सरकार और केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) को फिल्म का सर्टिफिकेट रद्द करने और 'अपमानजनक' दृश्यों को हटाने की मांग की है।
सिख पैनल की मांग
याचिकाकर्ताओं ने अदालत से अनुरोध किया कि फिल्म की समीक्षा सिख बुद्धिजीवी वाले पैनल से की जानी चाहिए। अतिरिक्त सॉलिसिटर-जनरल ने अदालत को बताया कि सिनेमैटोग्राफ (प्रमाणन) नियम, 1983 के नियम 23 के तहत फिल्म का सर्टिफिकेशन नहीं हुआ है। साथ ही उन्होंने इस बात का आश्वासन भी दिया कि सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952 और 1983 के नियमों में निहित सभी जरूरी सावधानियां, जिनमें फिल्मों को सर्टिफाई करने के लिए गाइडलाइन को ध्यान में रखा जाएगा।
सर्टिफिकेशन का इंतजार
उन्होंने यह भी कहा कि सीबीएफसी यह इस बात को ध्यान रखेगा कि फिल्म का कंटेंट किसी भी समुदाय की भावनाओं को ठेस न पहुंचाए। दलीलों को सुनकर कोर्ट ने जवाब में कहा, “अदालत ने यह भी पाया है कि फिल्म के सर्टिफिकेशन के बाद भी, किसी भी पीड़ित व्यक्ति के पास मामले को संशोधित करने के लिए बोर्ड से संपर्क करने का एक उपाय है। बोर्ड के सर्टिफिकेट की समीक्षा के लिए समिति, जिसे सिनेमैटोग्राफ (प्रमाणन) नियम, 1983 के नियम 24 के अनुसार निपटाया जाना है।
हमारे इतिहास की गलत व्याख्या
इस बीच, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) ने सिखों के इतिहास की गलत व्याख्या का हवाला देते हुए 'इमरजेंसी' के निर्माताओं को कानूनी नोटिस भेजा है और सिख भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले आपत्तिजनक दृश्यों को हटाने की मांग की है। कंगना की फयेह फिल्म एक के बाद एक विवादों में फंसी जा रही है। अब देखना होगा यह फिल्म कब रिलीज होगी।