Raja Parba 2024: एक ऐसा पर्व जिसमे मासिक धर्म को किया जाता है सेलिब्रेट, जानें कहां और कैसे मनाया जाता है यह त्योहार
Raja Parba 2024: भारत एक ऐसा देश है जहां मासिक धर्म अथवा पीरियड्स (Raja Parba 2024) के साथ बहुत सी वर्जनाएं जुडी हैं। यहां तो ऐसा आलम है कि महिलाएं सेनेटरी पैड जब खरीदने जाती हैं तो केमिस्ट या दुकानदार उन्हें पैड को काली पॉलिथीन या पेपर में लपेट कर देता है। तमाम विकास होने के बाद भी अभी भी महिलाओं को महीने के इन चार-पांच दिन तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। उन्हें अलग-थलग कर दिया जाता है। पूजा करने की मनाही होती है। और कहीं कहीं तो आज भी ऐसी महिलाएं को इन चार पांच दिन रसोई में प्रवेश की भी मनाही होती है।
किस पर्व से पीरियड्स को किया जाता है सेलिब्रेट?
इन सबके बीच एक ऐसा राज्य भी है जहां लोग मासिक धर्म को सेलिब्रेट करते है। जी हां हम बात कर रहे हैं ओडिशा की। यहां रज उत्सव, जिसे रज पर्व (Raja Parba 2024) या मिथुन संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है, मनाया जाता है। 'रज' शब्द 'रजस्वला' से लिया गया है, जिसका अनुवाद 'रजस्वला महिला' होता है। रज उत्सव तीन दिनों तक मनाया जाता है और हर दिन की अपनी-अपनी विशेषता होती है। ऐसा कहा जाता है कि यह त्योहार मानसून के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है। यह भी माना जाता है कि पृथ्वी को भी इस अवधि के दौरान मासिक धर्म चक्र से गुजरना पड़ता है।
क्या है इस त्यौहार के पीछे की किवदंती?
किसी भी अन्य भारतीय त्योहार या अवसर की तरह रज पर्व (Raja Parba 2024) के साथ भी एक किंवदंती जुड़ी हुई है। ऐसा कहा जाता है कि धरती माता भूदेवी जून के मध्य में तीन दिनों के मासिक धर्म से गुजरती हैं। त्योहार का पहला दिन 'पहिली रज', दूसरा दिन 'रज संक्रांति' और तीसरे दिन को 'बासी रज' कहा जाता है। चौथा दिन, जिसे 'वसुमति स्नान' के नाम से जाना जाता है, वह तब होता है जब पृथ्वी ऊर्जा या 'भूदेवी' अनुष्ठानिक स्नान करती हैं और उनका मासिक चक्र समाप्त होता है। उड़ीसा में रज उत्सव और इसके साथ आने वाले उत्सव उस उपजाऊ भूमि का सम्मान करने का एक तरीका है। इस वर्ष यह त्यौहार 14 जून से 16 जून तक मनाया जाएगा।
कैसे मनाया जाता है रज उत्सव
रज पर्व को कई अलग-अलग गतिविधियों के साथ मनाया जाता है। सबसे पहली बात, रज पर्व के दौरान महिलाएं शायद ही कभी पुराने कपड़े पहनती हैं। पाहिली रज, रज संक्रांति और बासी रज पर, महिलाएं अपने दैनिक कामों से छुट्टी लेती हैं और शारीरिक श्रम से बचती हैं। वे नए कपड़े और पारंपरिक आभूषण पहनती हैं। महिलाएं इस दौरान अपने पैरों पर आलता जरूर लगाती हैं। अलता लगाने को पृथ्वी से उनके संबंध के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। इस दौरान लड़कियां और महिलाएं झूले झूलती हैं, लोक गीत गाती हैं और कई तरह के खेलों में भाग लेती हैं।
कई अन्य राज्य भी मासिक धर्म को करते हैं सेलिब्रेट
यहां ध्यान देने वाली एक और खूबसूरत बात यह है कि उड़ीसा एकमात्र राज्य नहीं है जहां मासिक धर्म चक्र को चिह्नित करने के लिए त्योहार और उत्सव मनाया जाता है। तमिलनाडु में 'मंजल नीरट्टू विझा' और कर्नाटक में 'ऋतु कला संस्कार' ऐसे पर्व हैं जो लड़कियों में मासिक धर्म की शुरुआत का जश्न मनाता है।