Typhoid Fever Cause : जानिए किन कारणों से होता है टाइफाइड, क्या हैं इसके लक्षण-कारण और बचाव के उपाय

Typhoid Fever Cause : मानसून के मौसम में कई तरह की मौसमी बीमारियां आने लगती हैं। इस मौसम में मच्छर कई तरह की बीमारी फैलाते हैं, जैसे डेंगू-मलेरिया और चिकनगुनिया लेकिन इनके साथ-साथ आजकल टाइफाइड का भी खतरा बढ़ने लगा...
typhoid fever cause   जानिए किन कारणों से होता है टाइफाइड  क्या हैं इसके लक्षण कारण और बचाव के उपाय

Typhoid Fever Cause : मानसून के मौसम में कई तरह की मौसमी बीमारियां आने लगती हैं। इस मौसम में मच्छर कई तरह की बीमारी फैलाते हैं, जैसे डेंगू-मलेरिया और चिकनगुनिया लेकिन इनके साथ-साथ आजकल टाइफाइड का भी खतरा बढ़ने लगा है। ऐसे में सावधानी बरतना बेहद जरुरी है। आज हम आपको बताएंगे किन कारणों से टाइफाइड होता है, और इससे कैसे बचाव किया जा सकता है।

कैसे होता है टाइफाइड ?

टाइफाइड एक तरह का बुखार है, जो की साल्मोनेला बैक्टीरिया से दूषित भोजन और पानी के सेवन के कारण होता है। टाइफाइड बुखार के उपचार लिए एंटीबायोटिक्स का उपयोग कि जाता हैं। इस समय उपचार में लापरवाही बरतने से जान का खतरा भी बढ़ सकता है। टाइफाइड बुखार को एंटरिक बुखार भी कहा जाता है। इसका मच्छरों के काटने से कोई संबंध नहीं है।

क्या है इसके लक्षण ?

टाइफाइड के लक्षण बैक्टीरिया के संपर्क में आने के करीब 1 से 3 सप्ताह बाद दिखाई देते हैं। टाइफाइड में आपको हल्के से लेकर तेज बुखार (104 डिग्री फारेनहाइट) की शिकायत रहती है। इसके साथ ही इसमें आपको ठंड लगने, सिरदर्द, कमजोरी और थकान, मांसपेशियों और पेट में दर्द के साथ दस्त या कब्ज की परेशानी भी सकती है।

इलाज के आभाव में कुछ सप्ताह बाद इससे आंतों में भी समस्या हो सकती है। इसके कारण पेट में सूजन, पूरे शरीर में फैलने वाले आंत के बैक्टीरिया के कारण संक्रमण (जिसे सेप्सिस कहा जाता है) और भ्रम की दिक्कत भी हो सकती है। टाइफाइड बुखार के कारण आंतों में क्षति और रक्तस्राव का भी जोखिम रहता है।

इलाज और बचाव

टाइफाइड बुखार में इलाज के लिए एंटीबायोटिक उपयोग किया जाता है। टाइफाइड से बचाव के लिए टीके भी लगाए जाते हैं। अपने दैनिक जीवन में भी कुछ चीज़ो का ध्यान रखकर आप इस बीमारी से बचाव कर सकते हैं। इस संक्रमण से बचाव के लिए सफाई का खास तौर पर ध्यान रखें। इससे बचने के लिए बार- बार हाथों को धोते रहें। पीने के लिए फिल्टर किया हुआ पानी ही उपयोग करना चाहिए। कच्चे फल और सब्जियां का सेवन नहीं करें। भोजन को अच्छे से पकाकर खाएं। बासी भोजन नहीं खाएं। ज्यादा तबीयत खराब होने पर डॉक्टर की सलाह पर खून की जांच जरूर कराएं।

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