Disabled made Rakhi: 27 दिव्यांग बच्चों ने सैनिकों के लिए बनाईं राखियां, सांस्कृतिक सेवा समिति द्वारा किया गया आयोजन
Disabled made Rakhi: बैतूल। कई लोग दिव्यांगों को देखकर अक्सर सोचते हैं कि वे कोई काम नहीं कर सकते। जबकि, सच यह है कि जो काम कभी-कभी एक सही इंसान नहीं कर सकता उसे दिव्यांग कम समय में बेहतरीन तरीके से कर सकता है। बैतूल में चल रहे दिव्यांग छात्रावास सह स्कूल में 27 बच्चे रहते हैं। इन दिव्यांग बच्चों को बैतूल सांस्कृतिक सेवा समिति की अध्यक्ष गौरी पदम ने जब बताया कि उनकी द्वारा बनाईं गईं राखियां बाड़मेर स्थित भारत-पाक सीमा पर तैनात जवानों को बांधी जाएगीं तो वे खुशी से झूम उठे।
जवानों के लिए तिरंगा राखी:
इस बच्चों ने सेना के लिए तिरंगा राखियां बनाईं। इस दौरान राखी बनाने के लिए एक कॉम्प्टिशन का भी आयोजन किया गया और आधे घंटे में 27 दिव्यांगों ने 440 राखी बनाने का रिकॉर्ड बनाया। छात्रावास की अधीक्षक सह प्राचार्य डॉ. सीमा भदौरिया ने कहा कि इन बच्चों को आम तौर पर समाज से अलग-थलग माना जाता है। लेकिन, जब इन्हें मौका मिलता है तो वे किसी काम को अच्छे से कर सकते हैं। इस प्रतियोगिता में प्रीतम धुर्वे ने 35 राखियां बनाकर इनाम जीता, जिन्हें नगद पुरस्कार से सम्मानिक किया गया।
बच्चों को प्रोत्साहन और स्नेह की जरूरत:
डॉ. सीमा भदौरिया ने बताया कि दिव्यांग बच्चों के लिए प्रदेश का एकमात्र छात्रावास सह स्कूल बैतूल में है। यहां वर्तमान में 35 बच्चे हैं, जिनमें बैतूल जिले के बाहर के भी बच्चे हैं। 45 प्रतिशत से अधिक बच्चे छात्रावास में अध्ययनरत हैं। वे बताती हैं कि प्रोत्साहन से ये बच्चे उत्साहित होकर स्वयं को समाज की मुख्य धारा से जुड़ा हुआ महसूस करते हैं। इनमें प्रतिभा की कोई कमी नहीं है और स्कूल व छात्रावास में भी उनकी प्रतिभा को तमाम अवसर दिए जाते हैं। इस अवसर पर बैतूल सांस्कृतिक सेवा समिति की सदस्य चेताली गौर ने भी बच्चों को गीत और कविताएं सुनाईं। बच्चों ने भी देशभक्ति गीत गाते हुए राखियां बनाईं।
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