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Afeem Kheti in MP: वैज्ञानिकों ने बनाई मल्टीकलर फूलों वाली अफीम की नई किस्म, फसल बढ़ेगी और दवाइयां भी होंगी ज्यादा प्रभावी

मंदसौर के उद्यानिक कॉलेज के पौधा विशेषज्ञों ने अफीम की ऐसी क्रॉप तैयार की है, जिसका पौधा सफेद न होकर आकर्षक और रंगीन होगा।
04:15 PM Feb 26, 2025 IST | Sunil Sharma

Afeem Kheti in MP: ग्वालियर। आप यह जानकर हैरान रह जाएंगे कि अफीम सिर्फ नशे के काम नहीं आती बल्कि इसका असली उपयोग दुनिया भर में जीवन रक्षक दवाइयाँ बनाने मे होता है। अब मध्य प्रदेश में इसका उत्पादन और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए एक नए तरह का प्रयोग किया गया है। ग्वालियर में आयोजित राष्ट्रीय कृषि मेले में अफीम यानी ओपियम के इस सफल प्रयोग का प्रदर्शन भी किया गया। मंदसौर के उद्यानिक कॉलेज के पौधा विशेषज्ञों ने अफीम की ऐसी क्रॉप तैयार की है, जिसका पौधा सफेद न होकर आकर्षक और रंगीन होगा।

अफीम की नई किस्म में आएंगे सफेद के बजाय रंगीन फूल

ग्वालियर में राष्ट्रीय कृषि मेले में मंदसौर हॉर्टिकल्चर कॉलेज के वैज्ञानिक डॉ. केसी मीणा और डॉ. अनूप कुमार ने बताया कि मंदसौर उद्यानिक महाविद्यालय मालवा में है जो औषधियों और मसालों के लिए जाना जाता है। हमारे यहां एक परियोजना चलती है, जिसके तहत अश्वगन्धा, इसबगोल और ओपिएम यानी अफीम की प्रमुख फसलों को लेकर अनुसंधान का काम किया जा रहा है। हम लोगों ने अफीम की एक नई किस्म (Afeem Kheti in MP) विकसित की है जो दुनिया मे अपनी तरह की पहली वैरायटी है। अभी ओपिएम की जो प्रजाति है, उसमें सफेद फूल आते हैं, लेकिन हमने इसमे बड़ा रिसर्च कर करेक्शन किया और फिर उसमें कुछ कोसेस बनाकर उसमें कुछ कलर डेवलप किया।

अभी मार्केट में नहीं आएगी नई किस्म

अभी अफीम की इस नए वैरायटी को रिलीज नहीं किया गया है लेकिन इसकी प्रायोगिक रिसर्च का काम पूरा हो चुका है। शोधकर्ता डॉ. मीना ने कहा, "नई किस्म वाली अफीम के मार्केट में आने में अभी थोड़ा समय लगेगा क्योंकि इसके लिए राज्य और केंद्र दोनों सरकारों की स्वीकृति की औपचारिकता पूरी करने की प्रक्रिया चल रही है। यह एक प्रतिबंधित फसल है और नारकोटिक्स के सर्विलेंस में सीमित क्षेत्र में ही पैदा होती है इसलिए इसे मार्केट में आने में समय लगेगा लेकिन प्रक्रिया जारी है।"

फसल की पैदावार भी ज्यादा होगी

डॉ. मीना ने अफीम की नई वैरायटी की विशेषता के बारे में भी विस्तार से बताया। उनका दावा है कि अफीम (Afeem Kheti in MP) में जो औषधीय गुण अथवा मॉर्फीन कंटेंट पाया जाता है, वह श्वेत फूल वाले पौधे की तुलना में इस नवविकसित मल्टीकलर वैरायटी में 3 से 4 फीसदी ज्यादा है। यानी इससे बनी औषधि ज्यादा असरकरी साबित होगी। इसके साथ ही इसकी उपज भी बढ़ेगी और गुणवत्ता भी ज्यादा रहेगी। अभी इस पर और प्रयोग चल रहा है और संतुष्ट होते ही इसे दुनिया भर के उद्यानिकी मार्केट में लांच किया जाएगा।

(ग्वालियर से सुयश शर्मा की रिपोर्ट)

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