Bharat Bandh Today: SC-ST आरक्षण में क्रीमीलेयर के खिलाफ भारत बंद, घर से निकलने से पहले जान लें क्या खुला और क्या बंद है?
Bharat Bandh Today Update भोपाल: एससी-एसटी सब वर्गीकरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ देश भर के विभिन्न संगठनों ने आज ( बुधवार, 21 अगस्त को) भारत बंद बुलाया है। विपक्षी दलों ने भी भारत बंद का समर्थन किया है। हालांकि, एनडीए के घटक दलों में भारत बंद को लेकर अलग-अलग मत है। चिराग पासवान की पार्टी ने भारत बंद का समर्थन किया है वहीं दूसरी ओर जीतनराम मांझी ने इस बंद का विरोध किया है। जीतनराम मांझी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी जताई है।
क्या खुला और क्या बंद है?
बता दें कि भारत बंद का मध्य प्रदेश के स्कूल, कॉलेज और बैंकों पर अधिक असर पड़ता हुआ नहीं दिख रहा है। भोपाल के बड़े स्कूलों के प्रबंधन ने और दिन की तरह तय समय पर ही स्कूल खोलने का निर्णय (Bharat Bandh Today Update) लिया है। स्कूल बंद करने को लेकर किसी तरह का कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। दरअसल, भारत बंद को लेकर राज्य सरकार की ओर से अभी तक आधिकारिक तौर पर दिशा-निर्देश जारी नहीं किए गए हैं।
#WATCH | Bihar: The 'Reservation Bachao Sangharsh Samiti' are observing a day-long Bharat Bandh today to protest the Supreme Court's recent judgment on reservations.
(Visuals from Patna) pic.twitter.com/LqU9Mixb0Y
— ANI (@ANI) August 21, 2024
क्यों बुलाया गया है भारत बंद?
बता दें कि, अनुसूचित जाति एवं जनजाति आरक्षण के क्रीमीलेयर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में रिजर्वेशन बचाओ संघर्ष समिति ने भारत बंद बुलाया है। बहुजन समाज पार्टी, भीम आर्मी, आरजेडी समेत कई राजनीतिक दलों ने भारत बंद का समर्थन किया है। इस दौरान सड़कों पर कम वाहनों के चलने की संभावना है। इसके अलावा ट्रेन यातायात पर भी भारत बंद का असर देखने को मिल सकता है।
अखिल भारतीय वाल्मीकि समाज बंद के खिलाफ
अनुसूचित जाति एवं जनजाति आरक्षण के क्रीमीलेयर पर एक ओर जहां अलग-अलग संगठन ने भारत बंद बुलाया है तो वहीं दूसरी ओर अखिल भारतीय वाल्मीकि समाज के ने बंद का समर्थन नहीं किया है। अखिल भारतीय वाल्मीकि समाज के राष्ट्रीय महासचिव और यूपी के प्रभारी शिव घाघरी ने कहा, "अनुसूचित जाति में वर्गीकरण के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जो ऐतिहासिक निर्णय दिया है उसे संपूर्ण वाल्मीकि समाज में हर्ष व्याप्त है। हम सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का समर्थन करते हैं। दलित समाज वर्षों से आरक्षण का लाभ ले रहे हैं और अब सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह से आदेश दिए हैं, उसके बाद अब उसे आरक्षण को बांटना पड़ेगा, यही वजह है कि दलित वर्ग के कुछ नेताओं को यह हिस्सेदारी हजम नहीं हो रही है।"
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