बागेश्वर बाबा पर टिप्पणी करने वाले भाजपा नेता के एकदम से बदल गए सुर और जज्बात
Hirendra Singh Comment: गुना। दो दिन पहले बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेन्द्र शास्त्री पर टिप्पणी करने वाले भाजपा जिला उपाध्यक्ष हीरेंद्र सिंह बंटी बना ने अब माफी मांग ली। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए खेद प्रकट करते हुए कहा कि उन्हें अपनी टिप्पणी से पछतावा है। वे इस पर खेद व्यक्त करते हैं। साथ ही उन्होंने निवेदन किया कि बागेश्वर धाम की यात्रा राघौगढ़ क्षेत्र में भी आयोजित की जाए।
दो दिन पहले किया था धमकी भरा पोस्ट
ज्ञात हो कि दो दिन पहले भाजपा जिला उपाध्यक्ष हीरेंद्र सिंह बंटी बना ने बागेश्वर धाम के पंडित धीरेन्द्र शास्त्री को लेकर एक पोस्ट की थी। इसमें उन्होंने सीधे तौर पर शास्त्री जी को चुनौती दी थी। उन्होंने लिखा था, "धीरेन्द्र शास्त्री को मेरी खुली चुनौती। आप जयवर्धन के साथ हो, यह अच्छी बात है लेकिन एक बार वो साधु जी महाराज और सन्यासी बाबा से पूछ लेते सत्य मार्ग पे कौन है।" इसके बाद उन्होंने लिखा था, "महाराज जी सोच समझ कर आशीर्वाद दिया करो। मैं भी सनातनी हूं और कट्टर हूं। चाहो तो संपर्क कर लो। मैं भी बड़े उच्च गुरु से दीक्षित हूं। अब धीरेन्द्र जी इससे आगे मत जाना, नहीं तो?"। हालांकि, कुछ ही समय बाद यह पोस्ट डिलीट कर दी गई थी।
शब्दों का चयन किया था गलत
इस पोस्ट के बारे में पूछे जाने पर बंटी बना ने कहा कि वह कुछ और लिखना चाह रहे थे। पोस्ट में यह संदेश देना चाहते थे कि पंडित धीरेन्द्र शास्त्री सभी सनातनियों को समान रूप से आशीर्वाद दें ना कि किसी को अधिक और किसी को कम। उन्होंने स्वीकार किया कि पोस्ट में जो शब्दों का चयन किया गया, वह गलत था और इसीलिए उसे डिलीट कर दिया गया।
ब्राह्मण समाज ने आपत्ति जताई गई थी
अब भाजपा जिला उपाध्यक्ष ने अपनी गलती मानते हुए माफी मांगी है और कहा है कि उन्होंने जो कुछ भी लिखा था, वह उनकी व्यक्तिगत राय थी। वह इसके लिए खेद प्रकट करते हैं। और अगली पोस्ट में उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा - परम आदरणीय गुरुदेव, बागेश्वर धाम पीठाधीश पंडित श्री धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी महाराज, सादर चरण स्पर्श। गुरुदेव, आपके श्रीचरणों की वंदना करते हुए मेरा हृदय श्रद्धा और भक्ति से पूर्ण हो जाता है। आप जैसे दिव्य पुरुष के सान्निध्य में आना हम जैसे छोटे भक्तों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। मेरी एकमात्र अभिलाषा है कि मुझे आपके चरणों में थोड़ा सा स्थान मिले। इससे मैं अपने जीवन को सार्थक बना सकूं।
एकदम से बदल गए जज्बात
उन्होंने लिखा कि गुरुदेव आज जब सनातन धर्म पर अनेक प्रकार के संकट हैं। तब आप जैसे संतों का मार्गदर्शन हमारे लिए आशा की किरण है। आप धर्म और सत्य के संरक्षक हैं और आपका आशीर्वाद हम सभी भक्तों के लिए एक ढाल के समान है। आपकी कृपा से ही हमारी परंपराएं सुदृढ़ है और सनातन धर्म का यशगान पूरे विश्व में हो रहा है। मेरा मन कभी-कभी व्यथित हो जाता है। जब यह देखता हूं कि कुछ छलिया लोग धर्म की सच्चाई से दूर हैं। आपके श्रीचरणों तक पहुंच जाते हैं।
उनके स्वार्थ और आडंबर के कारण और हम जैसे छोटे और सच्चे भक्तों को आपके सान्निध्य का सौभाग्य नहीं मिल पाता। मेरा यही निवेदन है कि आपके आशीर्वाद का प्रकाश हम जैसे भक्तों तक भी पहुंचे, जो सच्चे मन से आपकी सेवा और सनातन धर्म के उत्थान की भावना रखते हैं। गुरुदेव, मेरा विनम्र निवेदन है कि आपकी दिव्य यात्रा हमारे क्षेत्र राघौगढ़ से भी आरंभ हो। यह हम सभी के लिए अत्यंत शुभ और सौभाग्य का क्षण होगा।
आपके आगमन से हमारी धरती पवित्र होगी और धर्म के प्रति हमारी निष्ठा और प्रगाढ़ होगी। यदि मेरी किसी बात ने आपकी या किसी श्रद्धालु की भावनाओं को ठेस पहुंचाई हो तो मैं हृदय से क्षमा याचना करता हूं। मेरी प्रार्थना है कि मुझे सदा आपका आशीर्वाद मिलता रहे और मैं धर्म, सत्य और मानवता की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर सकूं।