Chhindwara News: देसी फ्रिज बनाने वाले कुम्हारों के सामने पेट पालने का संकट, सरकार से की यह मांग

अधिकांश कुम्हार अब बने हुए मटके बाहर से खरीद कर जैसे-तैसे अपने परिवार का भरण पोषण करने के लिए व्यापार कर रहे हैं। इसमें उन्हें कम बचत होती है, पहले वे खुद से मटकों का निर्माण करते थे तो उन्हें काफी बचत हो जाती थी।
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Chhindwara News: छिंदवाड़ा। ग्रीष्म ऋतु का सीजन आते ही बाजार में देसी फ्रिज यानि मटकों की मांग बढ़ जाती है। देसी फ्रिज बनाने वाले बहुत से कुम्हार जो कई पीढियां से इसी का पारंपरिक काम करते आ रहे हैं, उनकी माली हालत काफी खराब है। उन्होंने कहा कि जैसे-तैसे कहीं से कर्ज लेकर पैसों का जुगाड़ करते हैं तब भी उन्हें मटके बनाने के लिए जरूरी संसाधन जुटाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, कई बार लाल मिट्टी लाने पर ट्रैक्टर ट्राली पकड़ ली जाती है और जुर्माना भी लग जाता है। ऐसे में कुम्हार अब अपने पारंपरिक व्यवसाय को लेकर चिंतित हैं।

सिर्फ वोट मांगते समय याद आती है जनता, हमारे लिए नहीं है आरक्षित मिट्टी

मटका या देसी फ्रिज बनाने वाले कुम्हार ने सरकार से गुहार लगाते हुए कहा कि जब चुनाव की सरगर्मी चढ़ती है तो राजनेता और स्थानीय (Chhindwara News) नेता उनके यहां हाथ जोड़-जोड़ कर वोट मांगने आ जाते हैं और जैसे ही चुनाव खत्म हो जाता है उसके बाद कोई उनकी सुध ही नहीं लेता। उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि उनके लिए लाल मिट्टी आरक्षित की जाए जिससे वे अपना पारंपरिक व्यापार चल सके।

कई कुम्हारों ने कर दिया व्यवसाय बंद

छिंदवाड़ा (Chhindwara News) के कुम्हारी मोहल्ले में अधिकांश कुम्हार अब बने हुए मटके बाहर से खरीद कर जैसे-तैसे अपने परिवार का भरण पोषण करने के लिए व्यापार कर रहे हैं। इसमें उन्हें कम बचत होती है, पहले वे खुद से मटकों का निर्माण करते थे तो उन्हें काफी बचत हो जाती थी लेकिन अब वही मटके ₹80 से ₹200 तक के बाजार में बिक रहे हैं।

देसी फ्रिज की इसलिए होती है अधिक मांग

देसी फ्रिज का पानी पीने से पाचन प्रक्रिया अच्छी रहती है। मटके के पानी में मिनरल्स होते हैं जो सेहत के लिए अच्छे रहते हैं। इसके साथ-साथ मटके का पानी पीने से गले में दर्द और अन्य समस्याएं नहीं होती। इनके अलावा मटका प्राकृतिक फिल्टर के रूप में काम करता है जिससे पानी भी स्वच्छ रहता है।

(छिंदवाड़ा से नागेन्द्र सिंह शक्रवार की रिपोर्ट)

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