Achleshwar Temple Gwalior: खुदाई करवाई, हाथियों से खिंचवाया, फिर भी हिला नहीं पाए थे अचलेश्वर शिवलिंग को महाराज, मंदिर में उमड़ रही भक्तों की भीड़
Achleshwar Temple Gwalior: ग्वालियर। श्रद्धालुओं के लिए सबसे अच्छा मास कहा जाने वाला सावन का महीना चल रहा है। इस पूरे महीने में भगवान शिव को मनाने के लिए भक्त कई तरह के प्रयोजन करते हैं। शिवालयों में भक्तों की भीड़ लगी रहती है। भोलेनाथ को मनाने के लिए भक्त पूरी तन्मयता के साथ भक्ति में लीन रहते हैं। मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर का अचलेश्वर मंदिर काफी पुरातन तो है ही, साथ में यहां की ऊर्जा के संपर्क में आने मात्र से ही श्रध्दालु सकारात्मकता को अनुभव कर पाता है। शिवलिंग रूप में विराजमान महादेव यहां आने वाले हर भक्त की मनोकामना पूरी करते हैं।
सैकड़ों वर्ष पुराने इस प्राचीन मंदिर की बड़ी ही रोचक कहानी है। मान्यता के अनुसार इस मंदिर में जो भी सच्चे मन से भगवान शिव का वंदन करता है, उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है। मंदिर के प्रधान पुजारी छोटेलाल शुक्ला ने बताया वर्तमान में मंदिर परिसर का निर्माण चल रहा है। उन्होंने बताया कि जिस जगह आज मंदिर है, वहां कभी एक वट वृक्ष हुआ करता था। जब तत्कालीन सिंधिया महाराज की सवारी महल से निकलकर गोरखी के लिए जाती थी तब वट वृक्ष के चलते कई बार परेशानी भी होती थी।
इस वजह से महाराज ने उस वृक्ष को कटवा दिया था। वृक्ष के कटते ही वहां से एक शिवलिंग नजर आया। जिसको महाराज ने श्रद्धा पूर्वक मार्ग से हटाकर अन्य स्थान पर विराजमान करने का विचार किया। इस पर सभी ने सहमति जताई और शिवलिंग को अन्य स्थान पर स्थापित करने के लिए उक्त स्थान की खुदाई शुरू कर दी। काफी समय बाद खुदाई करते करते शिवलिंग का अंत नजर नहीं आया। वहीं, जमीन से काफी मात्रा में पानी आना शुरू हो गया। यह देखकर सभी चौंक गए।
महाराज के मजदूर हुए विफल:
मंदिर के प्रधान पुजारी छोटेलाल शुक्ला के मुताबिक, महाराज के मजदूर खुदाई से परेशान हो गए लेकिन शिवलिंग का अंत नहीं दिखाई दिया। तब उन्होंने हाथियों के जरिए शिवलिंग को खिंचवाने का पुरजोर प्रयास किया। उसके निशान आज भी शिवलिंग पर देखे जा सकते हैं। फिर भी वह शिवलिंग वे वहां से हटा नहीं पाए। इसी दौरान एक बार रात्रि में भगवान शिव ने स्वयं राजा को स्वप्न में आकर कहा कि मैं जहां पर हूं मुझे वहीं रहने दो। मुझे परेशान करोगे तो अच्छा नहीं होगा। इसके बाद राजा द्वारा शिवलिंग को निकालने के किए जा रहे सभी प्रयासों को बंद कर दिया गया। साथ ही उक्त स्थान पर एक मंदिर का निर्माण भी करवाया। इसे ही आज अचलेश्वर के नाम से जाना जाता है।
नए मंदिर का चल रहा निर्माण:
पुजारी शुक्ला ने बताया कि प्राचीन मंदिर को हटाकर अब यहां नए मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। इसमें भगवान शिव अपने परिवार के साथ विराजमान हैं। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां पर सच्चे मन से वंदना करने पर आपकी मुराद जरूर पूरी होती है। इतना ही नहीं यहां दूर-दूर से लोग आते हैं। विशेषकर सोमवार को यहां भक्त बेलपत्र और दूध से स्वयं अभिषेक करते हैं। महादेव का तिलक चंदन का श्रृंगार किया जाता है। बता दें कि भगवान शिव का यह मंदिर शहर में ख्याति प्राप्त है। यहां आप बस स्टैंड रेलवे स्टेशन से ऑटो, टैक्सी या रिक्शा के माध्यम से 20 से 30 मिनट में पहुंच सकते हैं। यह मंदिर एमएलबी कॉलेज के पास स्थित है। यदि आप अपने वाहन से भी आना चाहते हैं तो सीधे मंदिर तक सड़क मार्ग द्वारा पहुंच सकते हैं।
बाबा अचलनाथ की कृपा से संवर गया राजनीतिक सफर:
वरिष्ठ भाजपा नेता बृजेंद्र सिंह जादोन का कहना है कि मैं मंदिर से 1980 से जुड़ा हूं। मैं नगर निगम का चार बार का पार्षद रहा हूं और 10 साल तक सभापति रहा। यह सब बाबा भोलेनाथ की कृपा है। निश्चित रूप से यह एक सिद्ध स्थान है जिसे कहते हैं अचल नाथ। इसे हटाने की काफी कोशिश की गई लेकिन कोई हिला भी नहीं पाया। एक पुराने किस्से का जिक्र करते हुए जादोन ने बताया कि मैं बहुत परेशान था। ठेकेदारी करता था जिसमें मुझे घाटा हुआ बच्चे स्कूल में पढ़ते थे।
यकीन मानिए मेरे पास कुछ भी नहीं था और मैं मंदिर में आकर बाबा के पास आंखें भर लेता था। दिल से बस निवेदन निकलता था कि बाबा मदद करो मेरे बच्चे आने वाले हैं। मैं उनकी शिक्षा-दीक्षा कहां से करूंगा। अचानक बाबा की ना जाने कहां से कृपा आई और मुझे एक कैंटीन चलाने का ऑफर मिला। उस बिना अनुभव के काम से बाबा भोलेनाथ की कृपा से मुझे इतना धन मिला जिससे मैं अपने बच्चों का गुजारा भी कर सका और पढ़ाई भी करा सका। फिर आगे बाबा की कृपा बनती गई और कहानी चलती गई।
मंदिर में ही आते ही मिलती है शांति और दूर होता है तनाव:
कई सालों से भगवान अचल नाथ की सेवा में नतमस्तक अंकुर जैन ने बताया कि वह कई वर्षों से बाबा भोलेनाथ की मंदिर में आ रहे हैं। इस मंदिर में आने के बाद अलग सुकून और शांति का अनुभव होता है। इतना ही नहीं मन में जो तनाव चल रहा होता है उससे भी छुटकारा मिलता है। उन्होंने बताया कि भगवान पर उन्हें बहुत भरोसा है क्योंकि जब उनके पास संकट आए थे तो बाबा की कृपा से ही उन्हें उससे मुक्ति मिली थी।
बाबा की कृपा से ही है बेटा एसपी
मंदिर में बाबा की सेवा कर रही सरला भदौरिया मैं बताया कि उनके जीवन में कई चमत्कार हुए हैं आज उनका बड़ा बेटा एसपी है। ग्वालियर में ही आज कई भवन है। उनके पास आज किसी भी चीज की कमी नहीं है और यही वजह है कि अब बाबा भोलेनाथ की शरण में वे सदैव बनी रहती है। यहां कई भक्तों की झेली भोल भंडारी ने भी है। सच्चे भाव से पुकारने पर परमात्मा आपकी मदद जरूर करते हैं। फिलहाल, मंदिर परिसर में भक्तों की काफी भीड़ देखने को मिल रही है।