Dewas Local News: पानी के लिए बच्चे लगा रहे जान की बाजी, सरपंच-मंत्री नहीं देते शिकायत का जवाब

गर्मी के दिनों में स्थानीय क्षेत्र में पेयजल संकट की स्थिति बनना आम बात है, लेकिन सर्दी के मौसम में भीषण जल संकट की स्थिति बन जाए, यह बात आसानी से किसी के गले नही उतरती है।
dewas local news  पानी के लिए बच्चे लगा रहे जान की बाजी  सरपंच मंत्री नहीं देते शिकायत का जवाब

Dewas Local News: खातेगांव /देवास। गर्मी के दिनों में स्थानीय क्षेत्र में पेयजल संकट की स्थिति बनना आम बात है, लेकिन सर्दी के मौसम में भीषण जल संकट की स्थिति बन जाए, यह बात आसानी से किसी के गले नही उतरती है। सरकार पेयजल एवं जल निगम के माध्यम से करोड़ो रुपए खर्च कर रही है फिर भी आदिवासी परिवारों के कंठ सूखे हैं। ये लोग अब अपने प्रतिनिधि को कोस रहे हैं।

ऐसा ही एक मामला कन्नौद जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत भिलाई के पास खेड़ीपुरा का सामने आया है। यहां आदिवासी बारेला समाज एवं अन्य लोगों के करीब 25 से अधिक मकान हैं जिनकी आबादी 150 के आसपास है। ये लोग इन दिनों पेयजल के लिए खेत-खेत भटकने को मजबूर हैं। सुबह से शाम तक का समय पीने के पानी की व्यवस्था करने में ही निकल जाता है। गांव से करीब एक से डेढ किलोमीटर दूर किसान के कुएं पर सुबह से ही पानी भरने के लिए लाइन लगती है।

सुबह होते ही पानी के जुगाड़ में लग जाते हैं सभी लोग

पेयजल की किल्लत के बारे में बात करते हुए स्थानीय लोगों ने बताया कि वर्तमान में हम गांव से दूर करीब डेढ़ किमी दूर से पानी भरकर लाने को मजबूर हैं। यहां के सभी हैंडपंप बन्द हैं। पीने के पानी के लिए दूर-दूर तक जाना पड़ता है। घर के छोटे से लेकर बड़े तक, सभी सदस्य सुबह से पानी की जुगाड़ में लग जाते हैं जिससे दूसरा अन्य कार्य नही कर पा रहे है। अभी तो गर्मी भी शुरू नही हुई जिसमें यह हाल है। गर्मी के दिनों में क्या स्थिति बनेगी। जबकि भिलाई गांव (Dewas Local News) में पिछले साल से टंकी के माध्यम से पानी घर-घर दिया जा रहा है।

छोटे-छोटे बच्चे कुएं में उतर कर भरते हैं पानी

स्थानीय लोगों ने बताया कि हमारे यहां अब तक हम पाइपलाइन का इंतजार कर रहे हैं। पानी भरने में ही दिन का अधिकांश समय निकल जाता है। इसके चलते न तो खेती बाड़ी का कार्य कर पा रहे हैं न ही मजदूरी कर पा रहे हैं। इधर छोटे-छोटे बच्चे बिना मुंडेर के कुएं में उतर कर पानी भरते हैं और अपने माता-पिता का सहायता करते हैं। ये बच्चे रस्सी के सहारे कुएं में उतरते हैं और कतारबद्ध खड़े होकर एक दूसरे को पानी के बर्तन हाथ मे देकर कुएं का पानी ऊपर तक पहुचाते हैं।

सरपंच-मंत्री से बात की लेकिन नहीं हुई सुनवाई

यहां रहने वाली शायरीबाई एवं सोनाबाई ने बताया कि चुनाव के समय नेताओं ने बड़े-बड़े वादे किए, पानी चूल्हे तक पहुंचाने की बात कही लेकिन अब हम सरपंच, मंत्री से कहते हैं तो कोई सुनवाई (Dewas Local News) नही हो रही है। हमारे छोटे-छोटे बच्चे स्कूल जाने की बजाय पानी भरकर लाने में लगे हुए हैं। गांव के आसपास कोई भी कुआं, ट्युववेल नही है। दूर-दूर से पानी भरकर लाने को मजबूर हैं। रोजाना मौत के मुंह से पानी भरकर ला रहे हैं। बिना मुंडेर के कुएं में हमेशा पांव फिसलने एवं गिरने का डर बना रहता है फिर भी रोजाना वही से पानी भरकर ला रहे है।

शिकायत करने के बाद भी नहीं निकला हल

स्थानीय क्षेत्र (Dewas Local News) में रहने वाले रमकुबाई, मीराबाई, रीनाबाई, पिंकी बाई, सरिताबाई, कविताबाई जनप्रतिनिधि एवं प्रशासनिक अधिकारियों से पेयजल उपलब्ध करवाने की मांग की है। ग्रामीण विष्णु बारेला, राजेश बारेला, कुंवरसिंह बारेला ने बताया कि हमने कई बार सरपंच-मंत्री को बताया कि हमारे यहां पीने के पानी की बहुत समस्या है लेकिन करीब 2 माह बीतने के बाद भी अब तक किसी ने सुध नहीं ली। हमारे द्वारा 181 पर करीब 15 दिन पहले शिकायत की। लेकिन कोई हल नही निकला।

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