Ganesh Chaturthi 2024: इकोफ्रेंडली प्रतिमाओं की बढ़ी डिमांड, महंगाई के चलते गणपति को घर लाने के लिए चुकाने होंगे ज्यादा पैसे
Ganesh Chaturthi 2024: विदिशा। गणेश चतुर्थी आते ही सभी जगह गणेशोत्सव की धूम मच जाती है। गली-गली, मोहल्ले-मोहल्ले में गणेश प्रतिमाओं की स्थापना होने लगती है और धूमधाम से घरों एवं मंदिरों में गणपति की पूजा होती है। इस बार भी मध्य प्रदेश में गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2024) को लेकर विशेष उत्सव का माहौल बना हुआ है। कलाकार भी गणपति प्रतिमाएं बनाने में जुटे हुए हैं। एमपी फर्स्ट की टीम ने इन कारीगरों से जाकर बात की और जाना कि अभी कैसा माहौल है और कितना लोगों में इस पर्व को लेकर उत्साह है।
भगवान को बनाने का कार्य करते हैं ये कारीगर
प्राचीन ग्रंथो और पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दुनिया को भगवान ने बनाया है। परन्तु इस दुनिया में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो भगवान को बनाने का कार्य करते हैं। अगर कोई आपसे पूछे तो कि अपने भगवान को बनाने वाले को देखा है तो आज हमने उनके बीच में जाकर भगवान को बनाने वालों से बात की। अपनी रिपोर्टिंग में हमने पाया कि इन दिनों लोगों में इकोफ्रेंडली प्रतिमाओं को लेकर क्रेज है। इस वजह से कारीगर भी खास ध्यान रख रहे हैं।
इकोफ्रेंडली मूर्तियों की है डिमांड
कारीगरों ने एमपीफर्स्ट की टीम से बात करते हुए बताया कि भगवान की मूर्ति बनाने के लिए पर्यावरण का विशेष ध्यान रखा जाता है। इसे रंगने के लिए ऐसे रंग का उपयोग किया जाता है जिससे कि प्रकृति को ज्यादा नुकसान ना हो। हालांकि मूर्ति बनाने में मिट्टी और घास का उपयोग करके ही मूर्तियों को तैयार किया जाता है। इसके बाद इसे लकड़ी की चौखट पर व्यवस्थित बनाया जाता है ताकि विसर्जन के बाद पर्यावरण को कम से कम नुकसान हो।
डिमांड पूरी करने के लिए बाहर से भी बुलाया गया है कारीगरों को
गणेश चतुर्थी से पहले विदिशा के मूर्तिकारों ने अपनी तैयारियां लगभग पूरी कर ली है। दो दिन बाद गणेशोत्सव (Ganesh Chaturthi 2024) प्रारंभ हो जाएगा, उसके बाद दुर्गा उत्सव भी आने वाला है। ऐसे में विदिशा के स्थानीय कलाकारों और बाहर से आए कलाकारों द्वारा मूर्तियां बनाई जा रही हैं। मूर्तियों को अंतिम रूप देने के लिए दिन-रात काम किया जा रहा है। समय पर आर्डर पूरा करने के लिए कारीगर लगातार मेहनत कर रहे हैं ताकि समय पर ऑर्डर पूरे किए जा सके। गणेश उत्सव को लेकर मूर्तियां लगभग पूरी हो चुकी हैं।
महंगाई के चलते गणपति प्रतिमाएं भी हुईं महंगी
विदिशा के मूर्तिकारों का कहना है कि प्रशासन की गाइडलाइन के अनुसार 8 से 10 फीट की ही मूर्तियां उन्होंने बनाई है। उन्होंने बताया कि मूर्तियां बनाने के लिए विशेष रूप से कोलकाता से ही मिट्टी मंगाई जाती है। इस बार मिट्टी डेढ़ गुना महंगी हुई है, वहीं भाड़ा भी बढ़ गया है। मूर्तियों में इस्तेमाल होने वाली अन्य सामग्री, बांस, कपड़े और लकड़ी आदि भी महंगे हुए हैं। इसका सीधा सा असर मूर्ति के कुल कीमत पर भी पढ़ रहा है। भगवान की मूर्तियों पर भी जीएसटी लगाया जाता है जिसका असर सीधे ग्राहकों पर होता है। इन्हीं सब वजहों से इस वर्ष भी प्रतिमाओं की कीमत में खासा इजाफा हुआ है।
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