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Gond Painting GI Tag: गोंड चित्रकला को मिला GI टैग, चित्रकारों को मिलेगी नई पहचान और व्यवसाय का मौका

Gond Painting GI Tag: भोपाल। मध्य प्रदेश की गोंड जनजाति की विशिष्ट चित्रकला को अंतर्राष्ट्रीय ख्याति तो पहले से ही प्राप्त थी लेकिन अब उसे एक नई पहचान मिल गई है। गोंड चित्रकला को बौध्दिक संपदा के संरक्षण के अनुरूप...
08:59 PM Aug 20, 2024 IST | Saraswati Chander
Gond Painting GI Tag: भोपाल। मध्य प्रदेश की गोंड जनजाति की विशिष्ट चित्रकला को अंतर्राष्ट्रीय ख्याति तो पहले से ही प्राप्त थी लेकिन अब उसे एक नई पहचान मिल गई है। गोंड चित्रकला को बौध्दिक संपदा के संरक्षण के अनुरूप...

Gond Painting GI Tag: भोपाल। मध्य प्रदेश की गोंड जनजाति की विशिष्ट चित्रकला को अंतर्राष्ट्रीय ख्याति तो पहले से ही प्राप्त थी लेकिन अब उसे एक नई पहचान मिल गई है। गोंड चित्रकला को बौध्दिक संपदा के संरक्षण के अनुरूप सफल पाया गया। इसके बाद गोंड चित्रकला को जियोग्राफिकल इंडीकेशन यानी जीआई टैग से नवाजा गया। यह टैग जनजातीय चित्रकारों को वैश्विक स्तर पर मिली मान्यता का प्रमाण है। वन्या की तरफ से गोंड चित्रकारी और कला सौंदर्य को मान्यता दिलाने के उद्देश्य से यह प्रस्ताव भेजा गया था। गोंड चित्रकारी को प्राचीन कला संपदा और सभी मापदंडों पर खरा उतरने के बाद जीआई टैग दिया गया।

राज्य की धरोहर के रूप में पेटेंट

प्रकाशन के प्रभारी अधिकारी नीतिराज सिंह ने बताया कि जीआई टैग मिलने से अब गोंड चित्रकारी को राज्य की धरोहर के रूप में पेटेंट कर दिया गया है। इससे अब गोंड चित्रकला को बिना इजाजत के कमर्शियल और इसकी प्रकाशन सामग्री को उपयोग नहीं किया जा सकेगा। जीआई टैग मिलने के बाद वन्या गोंड चित्रकारों को उनकी चित्रकला बेचने के लिए एक वेबसाइट बनाकर प्लेटफार्म उपलब्ध कराएगी।

पोर्टल के जरिए ही कलाकार की सामग्री बेची जाएगी

विभाग इस वेबसाइट में वन्या के प्राधिकृत पत्रधारी गोंड कलाकार अपनी चित्रकला को अपलोड करेंगे। क्रेता अपनी पसंद चुनकर ऑर्डर करेंगे। यह ऑर्डर वन्या तक पहुंचेगा और वन्या संबंधित गोंड कलाकार को वह पेंटिंग उपलब्ध कराने की सूचना कूरियर सर्विस के जरिए देगी। सूचना मिलने पर गोंड कलाकार उसी कूरियर सर्विस से क्रेता को पेंटिंग की आपूर्ति करेगा। खरीददार पेंटिंग का भुगतान वन्या को करेगा और वन्या संबंधित गोंड कलाकार के खाते में राशि डालेगी।

गुरुकुल खोला जाएगा

इसे हासिल करने के लिए सरकार ने विशेष कदम उठाए हैं। गोंड चित्रकला के अग्रणी साधक स्व. जनगण सिंह श्याम की पुण्य-स्मृति में डिंडौरी जिले के पाटनगढ़ में एक ‘कला केन्द्र’ स्थापित किया जा रहा है। साथ ही प्रदेश की सभी ‘पारंपरिक कलाओं के गुरूकुल’ की स्थापना छतरपुर जिले के खजुराहो में की जाएगी। यह पारंपरिक कलाओं के संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में देश का पहला गुरूकुल होगा।

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