Gwalior CNG Plant: मध्यप्रदेश के ग्वालियर में पहली बार गाय के गोबर से बनेगी CNG गैस

Gwalior CNG Plant: ग्वालियर। मध्यप्रदेश की पहली ऐसी बायो सीएनजी गैस बनाने वाली यूनिट शुरू होने जा रही है जहां गाय के गोबर से बायो सीएनजी बनेगी। इस प्लांट से तैयार गैस से ग्वालियर नगर निगम के वाहन तो चलेंगे...
gwalior cng plant  मध्यप्रदेश के ग्वालियर में पहली बार गाय के गोबर से बनेगी cng गैस

Gwalior CNG Plant: ग्वालियर। मध्यप्रदेश की पहली ऐसी बायो सीएनजी गैस बनाने वाली यूनिट शुरू होने जा रही है जहां गाय के गोबर से बायो सीएनजी बनेगी। इस प्लांट से तैयार गैस से ग्वालियर नगर निगम के वाहन तो चलेंगे ही साथ ही इसे आम लोगों को उपयोग के लिए देने की भी योजना है। ग्वालियर में स्थित प्रदेश की सबसे बड़ी लाल टिपारा गौशाला में तैयार किये गए इस बायोसीएनजी प्लांट का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो अक्टूबर को वर्चुअल उद्घाटन करेंगे।

अभी गौशाला में है 9850 गायें

ग्वालियर में नगर निगम द्वारा संचालित प्रदेश की सबसे बड़ी गौशाला लाल टिपारा में है। इसका संचालन कुछ वर्ष पहले संतों को सौंपा गया तो यह देश की सबसे आदर्श गौशाला बन गई। यहां लोग अपने जन्मदिन से लेकर मैरिज एनिवर्सरी तक मनाने आते हैं। इस गौशाला में अभी 9850 गौवंश का बसेरा है। यहां हर रोज 100 टन गोबर निकलता है। इससे यहां स्थापित हो रहे प्लांट (Gwalior CNG Plant) की मदद से अभी 2 टन बायो सीएनजी तैयार होगा। गौशाला के प्रबंधन से जुड़े संत स्वामी ऋषभ देवानंद का कहना है कि यह मध्यप्रदेश में किसी गौशाला में अनूठी पहल है और गोबर सच मे धन के रूप में बदलेगा। गैस बनने के बाद निकलने वाले वेस्ट को खेती में उपयोग के लिए बेचा जाएगा।

Gwalior CNG Plant in Tipara Gaushala

प्लांट बनाने पर खर्च हुए 31 करोड़ रुपए

नगर निगम अधिकारियों ने जानकारी देते हुए बताया कि यह मध्यप्रदेश का अपनी तरह का पहला प्रोजेक्ट है। यह गोबर से गैस बनाने वाला राज्य का अपने तरह का यह पहला संयंत्र है। आपको बता दें कि यूं तो इंदौर में पहले से बायो सीएनजी प्लाटं है लेकिन वहां इसके लिए गीले कचरे का उपयोग किया जाता है जबकि यहां सिर्फ गोबर का उपयोग होगा, वह भी सिर्फ गौवंश का गोबर। इसकी स्थापना पर लगभग 31 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। यह पूरा खर्च इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ने उठाया है।

गौशाला भी आर्थिक रूप से होगी आत्मनिर्भर

वर्तमान में मार्केट की डिमांड देखें तो इस समय बायो सीएनजी की मांग सामान्य सीएनजी से ज्यादा है क्योंकि बायो सीएनजी में 95 फीसदी मीथेन होता है जबकि सामान्य सीएनजी में 90 फीसदी। यही वजह है कि बायो सीएनजी से चलने वाले वाहनों का माइलेज ज्यादा निकलता है। इस प्लांट से निकलने वाली सीएनजी गैस से न केवल शहर में पेट्रोल-डीजल की खपत कम करने में मदद मिलेगी वरन गौशाला भी आत्मनिर्भर बन सकेगी।

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