Chhindwara News: अमरवाड़ा उपचुनाव में इसलिए हुई कांग्रेस की हार, क्या खत्म हो गया कमलनाथ का वर्चस्व?
Chhindwara News:छिंदवाड़ा। मध्य प्रदेश की राजनीति में कई नेता ऐसे हैं जो अपने क्षेत्र में विकास कार्यों को दूजी तरफ रखकर वर्चस्व की राजनीति करते हैं। चाहे वो राजगढ़-राघौगढ़ और आसपास के क्षेत्र में रसूख रखने वाले दिग्विजय सिंह, गुना-शिवपुरी-ग्वालियर क्षेत्र में रसूख रखने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया या फिर छिंदवाड़ा-सिवनी के क्षेत्र में रसूख रखने वाले पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ।
हालांकि, इन नामों में सिंधिया कांग्रेस में नहीं रहे और अब केंद्र की एनडीए सरकार में मंत्री भी है। जिस तरीके से मध्य प्रदेश का विधानसभा चुनाव हुआ है और फिर कांग्रेस के जीते हुए विधायकों का कांग्रेस में जाना, यह सब चीज़ें कुछ कमज़ोर राजनीति और कुछ बेहतर राजनीति की ओर इशारा करती है।
हाल ही में अमरवाड़ा उपचुनाव में हुई कांग्रेस की हार ने यह सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के विधानसभा और लोकसभा क्षेत्र में उनका राजनीतिक वर्चस्व ऐसा नहीं रहा कि वो विधायकी के प्रत्याशियों को चुनाव जिता पाएं? (Chhindwara News)
अमरवाड़ा उपचुनाव में बीजेपी ने खेला "ट्राइएंगल" कार्ड
दरअसल, अमरवाड़ा उपचुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी कमलेश शाह लगातार 3 बार के कांग्रेस विधायक थे, जहां वे 2013 विधानसभा चुनाव में पहली बार विधायक बने थे। 2023 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद कमलेश शाह ने पलटी मारी और बीजेपी का दामन थामकर वे उपचुनाव में उतरे और जीत दर्ज करते हुए लगातार चौथी बार विधायक बने। (Chhindwara News)
इस चुनाव में बीजेपी के लिए सबसे फायदेमंद चुनाव का त्रिकोणीय होना रहा, जिसमें कांग्रेस से धीरेन शाह मैदान में थे तो गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रत्याशी देवीराम भलावी ने इस चुनाव को त्रिकोणीय बनाया और अपने पहले चुनाव में 28,723 वोट प्राप्त किए। (Chhindwara News)
चुनाव में मार्जिन सिर्फ 3027 वोट का रहा जिसमें दूसरे नंबर पर कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी धीरेन शाह रहे, जिन्होंने अपने पहले ही चुनाव में रिकॉर्ड तोड़ 80078 मत प्राप्त किए। जबकि, भाजपा प्रत्याशी कमलेश शाह को कुल 83,105 वोट मिले और उनकी जीत का मार्जिन उनके पिछले तीन विधानसभा चुनाव में सबसे कम रहा। यह बात तो साफ है कि कमलेश शाह को दोनों नए प्रत्याशियों ने अच्छी टक्कर दी लेकिन जीत कमलेश शाह की हुई, जिसके पीछे कई बड़े कारण हैं।
कमलेश शाह की जीत के कारण
कमलेश शाह ने चुनाव भले ही छोटे मार्जिन से जीता हो लेकिन मुख्यमंत्री मोहन यादव बतौर सीएम अपनी पहली चुनावी परीक्षा में सफल रहे हैं। यहां भाजपा की हार के जीत के कुछ मुख्य कारणों पर ध्यान दें तो उसमें मुकाबले का त्रिकोणीय होना, भाजपा का जमीनी स्तर पर मजबूत होना, भाजपा के संगठन में सिर फुटव्वल की राजनीति नहीं होना और कांग्रेस की फूट का फायदा मिलना साफ नजर आता है। हालांकि, दूसरे दल से आए हुए व्यक्ति का उप-चुनाव में जीतना बड़ा ही कठिन काम होता है क्योंकि भारत में अधिकतर विधानसभा उपचुनाव सत्ता के विपक्ष के होते हैं। (Chhindwara News)
अब कमल नाथ के सामने क्या है चुनौतियां ?
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के सामने अब छिंदवाड़ा को लेकर बड़ी चुनौती है क्योंकि पूरा मध्य प्रदेश तो हाथ से जा ही चुका है। कमलनाथ को अपने बेटे नकुलनाथ को स्थापित करना है जिससे कि उनका गढ़ छिंदवाड़ा बचा रहे और वह सक्रिय राजनीति कर पाएं। एक चुनौती कमल नाथ के सामने यह भी है कि उनके वर्चस्व वाले क्षेत्र के विधायकों को पाला बदलने से रोकें और 2028 के चुनाव के लिए कांग्रेस को मध्य प्रदेश में मजबूत करें।