Ratlam Madarsa News: अवैध मदरसे में बच्चे पढ़ रहे थे, ‘स्कूल जाने से जन्नत नहीं मिलती’
Ratlam Madarsa News: रतलाम। इन दिनों मदरसों और वक्फ बोर्ड को लेकर खूब हंगामा हो रहा है। अब मध्य प्रदेश के रतलाम में एक अवैध मदरसे की जांच-पड़ताल में चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। जावरा के पास उमठ पालिया गांव में चल रहे इस अवैध मदरसे का नाम आता-ऐ-रसूल था जहां मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान से लाए गए 77 बच्चे धार्मिक शिक्षा ले रहे थे। जांच में पता चला कि कब्रिस्तान की जमीन पर कब्जा कर बनाए गए इस मदरसे में बच्चों को जन्नत जाने की तालीम दी जा रही थी। इस संबंध में एमपी बाल संरक्षण आयोग ने कलेक्टर को रिपोर्ट दी है हालांकि रिपोर्ट दिए कई दिन बीत गए लेकिन जांच टीम मदरसे की जांच करने नहीं पहुंची।
बिना मान्यता के चल रहा था मदरसा, बच्चों का हो रहा था ब्रेन वॉश
रतलाम जिले के जावरा के पास उमठ पालिया गांव में कब्रिस्तान की जमीन पर बना यह मदरसा (Ratlam Madarsa News) दावत-ए-इस्लामी हिंद ट्रस्ट, इंदौर द्वारा चलाया जा रहा था। इस मदरसे को 2017 से 2022 तक के लिए मान्यता मिली हुई थी परंतु बना में मान्यता को रिन्यू नहीं करवाया गया और बिना मान्यता के ही बच्चों को पढ़ाया जा रहा था। शिकायत मिलने पर मध्य प्रदेश बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. निवेदिता शर्मा और सदस्य ओंकार सिंह मरकाम ने शिक्षा, पुलिस और महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों के साथ मौके पर जाकर मदरसे की जांच-पड़ताल की जिसमें कई चौंकाने वाली चीजें सामने आईं।
मदरसे में जाने वाले बच्चों ने छोड़ दिया था स्कूल जाना
बाल संरक्षण आयोग की जांच में पाया गया कि मदरसे (Ratlam Madarsa News) में रहने वाला कोई भी बच्चा स्कूल नहीं जाता था। बच्चों को सिर्फ इस्लामिक धार्मिक शिक्षा दी जा रही थी और उन्हें कहा जा रहा था कि स्कूल जाने से जन्नत नहीं मिलेगी। मदरसा गैर-आवासीय तौर पर रजिस्टर्ड था लेकिन यहां पर 77 बच्चे रह रहे थे। सबसे बड़ी बात, इन बच्चों के पहचान संबंधी दस्तावेज भी नहीं थे और वे पांचवी कक्षा के बाद पढ़ाई भी छोड़ चुके थे। आयोग की रिपोर्ट पर कलेक्टर ने जांच के लिए एक टीम गठित की है जिसमें एसडीएम, शिक्षा विभाग और एसडीओपी को रखा गया है। उन्हें जल्द ही जांच कर रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है।
मदरसा संचालक ने दी यह सफाई
बाल संरक्षण आय़ोग के अनुसार मान्यता खत्म होने के बादज मदरसा बंद कर देना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं किया गया। यहां मौजूद बच्चे भी किसी स्कूल में नहीं जाते। ऐसे में स्थानीय प्रशासन, शिक्षा विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों को मदरसे की निगरानी करनी चाहिए थी। इस पूरे मामले पर बोलते हुए मदरसा (Ratlam Madarsa News) संचालक मोहम्मद शोएब ने बताया कि पोर्टल पर रिन्यूअल के लिए अप्लाई किया था लेकिन मान्यता नहीं मिली। बच्चों को ट्यूशन के तौर पर पढ़ाया जा रहा था और बाल आयोग के निर्देश के बाद इसे बंद कर बच्चों को उनके माता-पिता के हवाले कर दिया गया है।
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