Jagannath Rath Yatra 2024: लू लगने से भगवान जगन्नाथ स्वामी हुए बीमार, 15 दिन बाद होंगे भक्तों को दर्शन!

Jagannath Rath Yatra 2024: पन्ना।  दुनिया में कई तरह की अजीबो-गरीब परंपराएं हैं। इनमें से पन्ना की इस परंपरा के बारे में सुनकर हर कोई चौंक जाता है। क्या आपने कभी सुना है कि दुनिया के पालनहार भगवान खुद भी...
jagannath rath yatra 2024  लू लगने से भगवान जगन्नाथ स्वामी हुए बीमार  15 दिन बाद होंगे भक्तों को दर्शन

Jagannath Rath Yatra 2024: पन्ना।  दुनिया में कई तरह की अजीबो-गरीब परंपराएं हैं। इनमें से पन्ना की इस परंपरा के बारे में सुनकर हर कोई चौंक जाता है। क्या आपने कभी सुना है कि दुनिया के पालनहार भगवान खुद भी कभी बीमार पड़ सकते हैं? जी हां यह सुनकर आपको भले ही अजीब लग रहा हो लेकिन इस संसार में भगवान भी बीमार हो जाते हैं।

यहां पर बात की जा रही है पन्ना के भगवान जगन्नाथ स्वामी जी की जो आज से 15 दिनों के लिए लू लगने से बीमार हो गए। इसलिए अब 15 दिनों के लिए भगवान जगन्नाथ स्वामी मंदिर के पट बंद कर दिए गए हैं। यहां की मान्यता के अनुसार, वैदिक मंत्रोच्चार के साथ औषधीय जल से भगवान को स्नान कराया जाता है। (Jagannath Rath Yatra 2024)

इस दौरान लू लगने से भगवान बीमार पड़ जाते हैं। इससे उनकी दिनचर्या और भोजन व्यवस्था भी बदल दी जाती है। जब तक वे ठीक नहीं हो जाते तब तक उन्हें रोजाना वैद्य द्वारा दवा देने की परंपरा भी निभाई जाती है। इस पूरी प्रोसेस के दौरान मंदिर के कपाट भक्तों के लिए बंद रहते हैं। (Jagannath Rath Yatra 2024)

175 सालों से चली आ रही है परंपरा

पन्ना में भगवान जगन्नाथ स्वामी जी का एक बहुत प्राचीन मंदिर है। यहां पर भगवान जगन्नाथ स्वामी अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ विराजमान हैं। मंदिरों की नगरी पन्ना में जगन्नाथ स्वामी रथयात्रा का कार्यक्रम बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। लोगों का कहना है कि यह परंपरा पिछले 175 सालों से पहले से चली आ रही है। (Jagannath Rath Yatra 2024)

रथयात्रा से पहले भगवान जगन्नाथ स्वामी जी को धूप में स्नान कराने से लू लग जाती है जिससे वे बीमार पड़ जाते हैं। मंदिर में आज सुबह राज परिवार की उपस्थिति में भगवान के स्नान की रस्म अदायगी की गई। इसी के साथ ऐतिहासिक रथ यात्रा महोत्सव का आगाज भी हो जाता है। (Jagannath Rath Yatra 2024)

भगवान को स्वस्थ करने के लिए करते हैं यह उपाय

बीमार भगवान को ठीक करने के लिए भक्त प्रार्थना करते हैं। सबसे पहले भगवान को मंदिर के गर्भगृह से बाहर लाया जाता है। जानकार बताते है कि मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के 36 वर्ष बाद पन्ना में भी आषाढ़ शुक्ल की द्वितीया को जगन्नाथ जी की रथयात्रा निकालने की शुरुआत हुई।

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बीते 175 वर्षों से रथयात्रा निकालने का सिलसिला चला आ रहा है। इस रथ यात्रा में हजारों की भीड़ के साथ घोड़े, हाथी, ऊंट की सवारी निकलती है। यहां पुरी की तर्ज पर भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा पारंपरिक तरीके से निकाली जाती है। (Jagannath Rath Yatra 2024)

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