Maharajwada Hotel Ujjain: महाराजवाडा स्कूल बना हेरिटेज होटल, 15 फरवरी को मुख्यमंत्री करेंगे लोकार्पण
Maharajwada Hotel Ujjain: उज्जैन। मध्य प्रदेश के उज्जैन में महाकाल विस्तारीकरण योजना में महाराजवाड़ा स्कूल भवन को हेरिटेज होटल में तब्दील किया गया है। मंदिर से 500 फीट की दूरी पर मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग ने बनाई महाराजवाड़ा हेरिटेज होटल में मराठा वास्तु शैली का पूरा ध्यान रखा गया है। इसका लोकार्पण 15 फरवरी को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा किया जाएगा।
विरासत और आधुनिकता का होगा अनोखा संगम
देश भर से आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों को अब जल्द ही धार्मिक नगरी उज्जैन में हेरिटेज होटल की सुविधा मिलेगी। महाकाल मंदिर से महज 500 फीट की दूरी पर बने महाराजवाड़ा स्कूल को मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग ने हेरिटेज होटल में तब्दील कर दिया है। रेनोवेशन के दौरान मराठा वास्तु शैली का ध्यान रखा गया है। होटल में दो महाराज और महारानी सुइट बनाए गए हैं जो आर्टीफिशियल इंटेलीजेंसी (एआई) से संचालित होंगे। ऐसे में वहां आने वाले मेहमानों को इतिहास की झलक के साथ मॉडर्न टेक्नोलॉजी और लग्जूरियस लाइफ एक्सपीरियंस भी होगा।
होटल के कमरों से होंगे महाकाल मंदिर के दर्शन
होटल के कमरों से ही महाकाल मंदिर के शिखर के दर्शन किए जा सकेंगे। हालांकि इसके लिए यहां आने वाले मेहमानों को शुल्क भी थोड़ा अधिक देना होगा। फिलहाल होटल के कमरों का किराया तय नहीं हुआ है, गौरतलब है कि पूर्व में इस भवन में सरकारी स्कूल लगता था। इसे हेरिटेज होटल (Maharajwada Hotel Ujjain) में तब्दील करने में 18 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने बताया कि लोकार्पण के बाद हेरिटेज होटल को शुरू कर दिया जाएगा। वहीं जानकारी सामने आई है कि 15 फरवरी को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव महाराजवाडा हेरिटेज होटल का लोकार्पण करने के लिए उज्जैन पहुंच सकते हैं।
आयरन वेस्ट से बनाई गई कलाकृतियां
महाराजवाडा हैरिटेज होटल (Maharajwada Hotel Ujjain) से महाकाल लोक और महाकाल मंदिर का नजारा देखा जा सकेगा। यहां रुककर सुबह 4 बजे भरम आरती में पहुंचना भी आसान होगा। रूफ टॉप से शिकार दर्शन के साथ होटल की दांयी तरफ के कमरे से भी शिखर दर्शन हो सकेंगे। परिसर में आयरन वेस्ट से पांच कलाकृतियों का निर्माण भी किया गया है, जिसमें दो त्रिशूल, एक हाथी और दो अन्य मूर्तियां भी बनाई गई हैं। होटल में लोहे के भव्य गेट लगाए गए हैं। पहले से लगे मराठा कालीन दो भव्य दरवाजों को भी यथावत रखते हुए उन्हें पेंट कर सुंदर बना दिया जाता है।
(उज्जैन से संजय पाटीदार की रिपोर्ट)
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