Nag Panchami 2024: इस गांव में बच्चों की तरह घरों में घूमते हैं सांप, नापपंचमी पर नहीं चढ़ती कढ़ाई
Nag Panchami 2024: दमोह। जिले के पटेरा ब्लॉक में आने वाला एक गांव ऐसा भी है, जहां काले और खतरनाक सांप ऐसे घूमते हैं जैसे कोई यहां का रहवासी हो। इस गांव का नाम भी नागों के नाम पर नागमणी है। ग्रामीणों को भी अब इन सांपों से साथ रहने की आदत सी हो गई है। पुरानी परंपरा के अनुसार नागपंचमी के पर्व पर गांव में चूल्हे पर कढ़ाई तक नहीं चढ़ती, बल्कि भोज के लिए लोग मंदिर या घर पर भर्ता बाटी का प्रसाद लगाकर खुद भी यही खाते हैं। यहां के लोगों की ऐसी मान्यता है कि अगर किसी ने खाना बनाने के लिए कढ़ाई गैस पर चढ़ाई तो नाग देवता उसके पास प्रकट हो जाते हैं। पूजा करने और माफी मांगने के बाद वह चले जाते हैं।
नागदेव के जोड़े की है प्रतिमा:
गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि उनके गांव में नागदेव के जोड़े की प्रतिमा है और उनके गांव का नाम भी नागमणि है। उनके पूर्वजों ने नागदेव की शक्ति का आभास किया इसलिए वह लोग भी अपने पूर्वजों की मान्यता का पालन कर रहे हैं। 70 वर्षीय भूपत तिवारी ने बताया कि कई साल पहले नागपंचमी के दिन किसी ने घर में पकवान बनाने के लिए चूल्हे पर कढ़ाई चढ़ाई थी तो उसमें एक नाग गिरकर मर गया था। उस परिवार में अचानक सैकड़ों की संख्या में नाग निकले थे। परिवार के लोगों ने जब मंदिर जाकर माफी मांगी तब जाकर नाग घर से गायब हुए थे। तब से इस गांव में नागपंचमी पर कढ़ाई नहीं चढ़ाई जाती। गांव के लोगों का मानना है कि उनके गांव की रक्षा स्वयं नागदेव करते हैं इसलिए गांव का कोई भी व्यक्ति नाग देखकर भयभीत नहीं होता।
नाग करते हैं गांव की रखवाली:
ग्रामीणों ने बताया कि यहां काले नाग को मारा नहीं जाता बल्कि वह गांव की रक्षा करते हैं। आज तक गांव के किसी भी व्यक्ति को नाग ने नुकसान नहीं पहुंचाया और न किसी की मौत सांप के डसने से हुई। गांव के लोग आज भी इस परंपरा को निभा रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि पहले यहां एक कच्चे और छोटे कमरे में नागदेव की प्रतिमा थी। करीब दो दशक पहले गांव के सरपंच ने यहां मंदिर का निर्माण कराया और तब से नागदेव की प्रतिमा मंदिर के अंदर है। गांव में लोगों के घरों में काले सांप का घूमना सामान्य बात है। यदि किसी के घर पर नागपंचमी के दिन मेहमान भी आ जाएं तो उसे भी दाल-बाटी ही खिलाई जाती है। नागपंचमी के दिन लोग दूर-दूर से नागमणि गांव में नाग देवता की पूजा करने आते हैं।
यह भी पढ़ें: