MP Congress News: एमपी में DAP की किल्लत को लेकर दिग्विजय सिंह ने की प्रेस वार्ता, जीतू पटवारी सहित अन्य कांग्रेस नेताओं ने पूछे सरकार से सवाल
MP Congress News: भोपाल। मध्य प्रदेश में उपजे खाद संकट को लेकर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने आज एक प्रेस वार्ता की। प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिग्विजय सिंह के साथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी, पूर्व मंत्री मुकेश नायक सहित अन्य कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मौजूद थे। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में राज्य में चल रहे खाद संकट को लेकर कांग्रेसी नेताओं से मौजूदा सरकार पर बड़ा हमला बोला और उनसे कुछ सवाल भी किए।
मध्य प्रदेश में डीएपी की किल्लत को लेकर बोले दिग्विजय सिंह और जीतू पटवारी
कान्फ्रेंस में बोलते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा कि देश में DAP की किल्लत सरकार की नीतियों के कारण है। वर्तमान में देश में 100 लाख टन DAP की आवश्यकता है जिसमें से देश में 4 लाख टन प्रति माह का उत्पादन होता है। इसके लिए कच्चा माल भी आयात करना पडता है। आयत में समस्या से 20 फीसदी कम उत्पादन हुआ है बाकि लगभग 5 लाख टन DAP का आयात होता, तब जाकर हमारी आवश्यकता पूरी हो रही है। उन्होंने सरकार द्वारा बाहर से आयात किए गए तथा किसानों को बांटे गए डीएपी के आंकड़ें भी मीडिया के सामने प्रस्तुत किए। इस संबंध में मध्य प्रदेश कांग्रेस ने एक ट्वीट भी अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर किया।
आज प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में पूर्व मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह जी एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्री जीतू पटवारी जी ने प्रेस वार्ता को संबोधित किया। https://t.co/TYLT3kOnPQ
— MP Congress (@INCMP) October 17, 2024
कहा, कृषि मंत्री के जिले में भी नहीं हो पा रही पूरी आपूर्ति
विभिन्न जरियों से हासिल किए इन आंकड़ों को दिखाते हुए कांग्रेस नेताओं ने मीडिया को बताया कि राज्य में कुल 9 लाख टन DAP खाद की जरूरत है जिसमें से अभी तक केवल 4.5 लाख टन DAP ही आया है बाकी के लिए अभी भी मारा-मारी चल रही है। मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री के मुरैना जिले के आंकड़ें दिखाते हुए कांग्रेस ने कहा कि मुरैना जिले में कुल 24,500 मीट्रिक टन डीएपी की डिमांड है लेकिन अभी तक महज 8,247 टन DAP ही आया है यानि कृषि मंत्री के खुद के जिले में कुल डिमांड के बदले केवल 33 फीसदी खाद ही सप्लाई हो पाई है। ऐसे में बाकी राज्य के क्या हाल होंगे, इसका अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है।
उन्होंने आगे कहा कि मध्य प्रदेश में रवि की फसल के लिए करीब 22 लाख टन यूरिया की जरूरत है जबकि अभी केवल 10 से 12 लाख टन यूरिया ही उपलब्ध है। इसी तरह केवल अक्टूबर माह में ही 4.5 लाख टन यूरिया की डिमांड है लेकिन उपलब्धता केवल 2 लाख 90 हजार टन की हो पाई है। ऐसे में अगले माह भी किसानों को खाद के लिए मारामारी का सामना करना पड़ेगा।
मोदी सरकार के नैनो यूरिया प्रोजेक्ट को बताया महंगा सौदा
प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए कांग्रेस नेता (MP Congress News) ने मोदी सरकार के अतिमहत्वातांक्षी प्रोजेक्ट नैनो यूरिया को भी किसानों के लिए महंगा सौदा बताया। पारंपरिक यूरिया खाद और नैनो यूरिया खाद के बीच तुलना करते हुए सिंह ने कहा कि सरकार द्वारा नैनो यूरिया और नैनो DAP का बड़े स्तर पर क्षेत्र मे प्रचार प्रसार दानेदार यूरिया और दानेदार DAP के विकल्प के रूप मे किया जा रहा है जबकि नैनो यूरिया और नैनो DAP का विगत वर्ष फसलों पर डालने पर वो प्रभाव नहीं देखा गया जो दानेदार यूरिया और DAP का होता है।
उन्होंने कहा कि नैनो यूरिया की एक बॉटल जो कि 500 ml की एक एकड़ के लिए पर्याप्त बताई जा रही है जिसमें 4 प्रतिशत नाइट्रोजन प्रदर्शित है, मात्रा के आधार पर 20 ग्राम सक्रिय तत्व नाइट्रोजन है, जिसकी कीमत 220 रुपये है, जबकि एक बोरी यूरिया मे 20 किलो सक्रिय तत्व नाइट्रोजन होता है जिसकी कीमत 270 रुपए है। इस प्रकार किसान को नैनो यूरिया का उपयोग अपने खेत मे करने पर कम मात्रा मे नाइट्रोजन तत्व कई गुना अधिक राशि मे मिल रहा है।
बताया किस तरह नैनो यूरिया है पारंपरिक यूरिया से महंगा
उन्होंने उदाहरण देते हुए इस बात को विस्तार से बताते हुए कहा कि इस बात को इस तरह समझना चाहिए कि गेंहू के एक हेक्टयर उत्पादन हेतु 120 kg नाइट्रोजन सक्रिय तत्व की आवश्यकता होती है जिसकी पूर्ति हेतु 6 कट्टे यानि 260 kg दानेदार यूरिया की ज़रूरत होती है जिसकी कीमत लगभग 1620 रुपए आएगी। परन्तु 120 kg नाइट्रोजन की पूर्ति के लिए लगभग 6000 नैनो यूरिया की बोतल की ज़रूरत पड़ेगी जिसकी कीमत लाखों मे होगी।
कांग्रेस नेता (MP Congress News) ने कहा कि विगत कई वर्षों से वैज्ञानिकों द्वारा फसलों पर 2 से 5 प्रतिशत यूरिया के घोल के छिड़काव की अनुशंसा की गई है जो कि प्रति एकड़ 2 kg यूरिया का छिड़काव खेतों मे करने का चलन कृषकों के बीच मे पूर्व से ही है जिसमे किसानों को केवल 12 रुपए की लागत आती है परंतु वहीं अगर 500 ml नेनो यूरिया खेतों मे छिड़काव किया जाता है जिसमे तत्व की मात्रा भी बहुत कम है साथ मे कीमत 220 रुपए है जो कि 20 गुना ज्यादा है और फसलों पर प्रभाव भी कम है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस नेताओं ने राज्य सरकार से पूछे ये सवाल
प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस नेताओं ने किसान और खेती को लेकर राज्य सरकार से कुछ सवाल भी पूछे जो निम्न प्रकार हैं
- DAP की उपलब्धता के सम्बन्ध में सरकार की क्या योजना है?
- क्या सरकार अन्य उर्वरकों से NPK के तत्वों की पूर्ति करना चाहती है? इसके सम्बन्ध में सरकार की क्या कार्य योजना है?
- क्या अन्य उर्वरकों से पूर्ती हेतु सरकार द्वारा किसानों के बीच में जागरूकता कार्यक्रम चलाया गया है?
- सरकार द्वारा अग्रिम भण्डारण योजना के अंतर्गत यूरिया DAP का अग्रिम भण्डारण क्यों नहीं कराया गया? यदि आनन् फानन में सरकार द्वारा उर्वरकों की उपलब्धता की जाती है तो गुणवत्ता की सुनिश्चितत्ता कैसे होगी?
- अगले 15 दिनों में गेंहू, चना, सरसों, आलू एवं प्याज की लगभग बुवाई हेतु किसान अपनी तैयारियों में लगा हुआ है जिसमे लगभग 90 प्रतिशत यानी लगभग 9 लाख मीट्रिक टन DAP की आवश्यकता है जिसकी समय पर पूर्ती नहीं होने पर फसलों का उत्पादन घटना तय है इसकी जवाबदेही किसकी होगी?
- मध्यप्रदेश के सभी जिलों में लम्बे समय से एक ही जगह पर जमे हुए जिम्मेदार अधिकारीयों के कारण गुणवत्ता नियंत्रण की प्रक्रिया प्रभावित हो चुकी है एवं नकली और अमानक आदान (खाद, बीज, दवाई) की विक्री को बढ़ावा देकर किसानों को ठगा जा रहा है सरकार ऐसे अधिकारियों पर क्यूं मेहरबान है?
- प्रति वर्ष रवि सीजन में 140 लाख हेक्टेयर से ज्यादा ज़मीन पर फसलों की बुवाई की जाती है। सरकार, कृषि विभाग एवं प्रशासन उर्वरक उपलब्धता, वितरण एवं गुण नियंत्रण व्यवस्था कराने में पूर्णतः असफल हैं। उर्वरक की उपलब्धता करवाना सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है जिसमें सरकार पूर्णतः असफल रही है जिन किसानों के बल पर प्रदेश को 7 बार कृषि कर्मण्य पुरस्कार मिला, उन्हीं किसानों द्वारा खाद मांगने पर उन पर लाठियां क्यों बरसाई जा रही हैं?
- नैनो यूरिया और नैनो DAP आदि को किसी भी उर्वरक के साथ जबर्दस्ती नहीं बेचा जा सकता है, ऐसा आदेश भारत सरकार द्वारा जारी किया गया है। क्या कारण है कि मध्य प्रदेश सरकार केंद्र सरकार के आदेश को धता बताते हुए नैनो यूरिया और नैनो DAP बेचने को उतारू है?
पीसी के माध्यम से सरकार से की ये मांगें
कांग्रेस नेताओं (MP Congress News) ने मीडिया से बात करते हुए राज्य की डॉ. मोहन यादव सरकार से कुछ मांगे भी की ताकि प्रदेश में किसानों को तुरंत राहत पहुंचाई जा सके और उन्हें खाद तथा अन्य चीजों तक पहुंचने में आ रही दिक्कतों का तुरंत समाधान हो सके। कांग्रेस नेताओं की मांगें इस प्रकार हैं।
- मध्य प्रदेश सरकार केंद्र सरकार से DAP और जरुरी उर्वरको की स्पेशल डिमांड करें।
- प्रदेश के कृषि सचिव एवं कृषि उत्पादन आयुक्त को दिल्ली में उर्वरक उपलब्ध नही होने तक तैनात करे ताकि समय से उर्वरक की व्यवस्था की जा सके।
- जिन क्षेत्रो में बुबाई पहले हो रही है वहा खाद की व्यवस्था पहले कराए।
- रैक प्रबंधन एवं हैंडलिंग को बढ़ाये ,ट्रांसपोर्टर्स बढ़ाये ताकि खाद को गाँवो / समितियों तक परिवहन किया जा सके।
- केंद्र सरकार का आदेश की किसी भी उर्वरक पर टैगिंग तुरंत रोके फिर भी मध्य प्रदेश में सभी जगह उर्वरको के साथ टैगिंग खुलेआम चल रही है।
- उर्वरक का लाइव स्टॉक जिले स्तर डिस्प्ले किया जाए ताकि किसानो को उलब्धता की जानकारी रहे।
- उर्वरको के मूल्यों को कंट्रोल करने के लिए उर्वरक खरीदी केन्द्रों पर एक एक अधिकारी नियुक्त किए जाए ताकि किसानो से कोई भी अधिक मूल्य की वसूली ना करे।
- जिन किसानो को उर्वरक नहीं मिल रहा है, उनको होने वाले उत्पादन नुकसान की भरपाई सरकार द्वारा की जाए।
- अमानक और नकली उर्वरक रोकने के लिए सभी SSP/NPK कम्पनियों के स्पेशल 10-10 नमूने हमारे और मिडिया के सामने लाइव टेस्ट कराए जाए, क्योंकि मध्य प्रदेश में SSP की गुणवत्ता पर कई प्रश्न हैं। अगर सरकार का कोई व्यक्तिगत स्वार्थ नही है तो हम सबके सामने जांच कराए।
- केंद्र सरकार द्वारा जितने भी SSP के नमूने गोदाम और फैक्ट्री से लिए गए उनमे से अधिकांश के रिजल्ट अमानक आये मगर राज्य सरकार की लैब में मानक कैसे आते हैं? इसकी जांच के लिए कमेटी बनाई जाए।
- मूल्य के लिए निगरानी समिति का गठन हो, जिसमे किसान नेताओ को प्राथमिकता के साथ रखा जाए।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने पूछा कि खाद संकट के लिए कौन जिम्मेदार?
मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए कहा कि रबी सीजन प्रारंभ ही हुआ है और खाद के लिए मारामारी अभी से शुरू हो गई है। कई जगहों पर खाद की दुकानों के बाहर लाइनें लगने लगी हैं तो कुछ जगह रतजगा हो रहा है। फसल बुवाई के लिए सर्वाधिक मांग डीएपी की होती है और इसका ही संकट है। पूरे देश में किल्लत की स्थिति है। भारत सरकार से मांग के अनुरूप आपूर्ति नहीं हो रही है।
#MadhyaPradesh :- शिवराज चौहान और मोहन यादव किसान विरोधी है, किसानों का ऋण खा गई भारतीय जनता पार्टी की सरकार - जीतू पटवारी @ChouhanShivraj @OfficeofSSC @DrMohanYadav51 @CMMadhyaPradesh @BJP4MP @jitupatwari @digvijaya_28 @INCMP #ShivrajSinghChouhan #drmohanyadav #MPNews… pic.twitter.com/HAhRfShylw
— MP First (@MPfirstofficial) October 17, 2024
प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस नेताओं (MP Congress News) ने आगे कहा कि केंद्र और राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही फसल बीमा योजनाएँ कई बार प्रभावी साबित नहीं होतीं। प्राकृतिक आपदाओं से नुकसान होने के बाद भी किसानों को समय पर मुआवजा नहीं मिल पाता या पूरी राशि नहीं मिलती, जिससे उनका वित्तीय बोझ बढ़ जाता है। मध्यप्रदेश के गेहूं उत्पादक किसान इन समस्याओं का सामना करते हुए अपनी आजीविका को बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उत्पादन लागत में वृद्धि, कर्ज का दबाव, प्राकृतिक आपदाओं का जोखिम, और सरकारी समर्थन की कमी ने उनकी स्थिति को और जटिल बना दिया है। मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी ((MP Congress News) )मांग करती है कि इन समस्याओं का समाधान के लिए प्रभावी नीतियां बनाई जाएं, सिंचाई सुविधाओं में सुधार हो और किसानों को बेहतर तकनीक और सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएं।
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