MP Foundation Day: मध्य प्रदेश 69वां स्थापना दिवस, 34 महीने के संघर्ष के बाद बना 'हिंदुस्तान का दिल'

MP Foundation Day भोपाल: मध्य प्रदेश आज (1 नवंबर, 2024) अपना 69वां स्थापना दिवस मना रहा है। मध्य प्रदेश आज ही के दिन 1 नवंबर 1956 को अस्तित्व में आया था। 34 महीने के लंबे सफर के बाद अस्तित्व...
mp foundation day  मध्य प्रदेश 69वां स्थापना दिवस  34 महीने के संघर्ष के बाद बना  हिंदुस्तान का दिल

MP Foundation Day भोपाल: मध्य प्रदेश आज (1 नवंबर, 2024) अपना 69वां स्थापना दिवस मना रहा है। मध्य प्रदेश आज ही के दिन 1 नवंबर 1956 को अस्तित्व में आया था। 34 महीने के लंबे सफर के बाद अस्तित्व में आए मध्य प्रदेश का इतिहास बेहद दिलचस्प (Madhya Pradesh 69th Foundation Day) रहा है। प्रदेश के समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, भौगोलिक स्थिति, राजनीतिक दृष्टिकोण और सामाजिक संरचना उसे एक अद्वितीय स्थान प्रदान कराने में अहम भूमिका निभाते हैं। प्रदेश का इतिहास बहुत ही गौरवशाली रहा है। हिंदुस्तान का दिल कहने जाने वाले मध्य प्रदेश ने देश को एक से बढ़कर एक कलाकार, राजनेता, नेता, उद्योगपति, खिलाड़ी दिए हैं।

CM मोहन यादव ने स्थापना दिवस की दी शुभकामनाएं

वहीं, मध्य प्रदेश के 69वें स्थापना दिवस पर सूबे के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं। सीएम मोहन यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा है, "आप सभी को "मध्यप्रदेश स्थापना दिवस" की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं!"

मध्य प्रदेश एक परिचय

मध्य प्रदेश, भारत का एक प्रमुख राज्य (MP Foundation Day) है, जो उत्तरी भारत में स्थित है। इस राज्य का स्थापना 1 नवंबर 1956 को हुआ। प्रदेश की राजधानी भोपाल है। मध्य प्रदेश का इतिहास विविधता से भरपूर है और यहां कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाएं भी घटी हैं। गठन के बाद एक से बढ़कर एक हस्तियों ने मध्य प्रदेश के विकास की राह पर आगे बढ़ते हुए विभिन्न क्षेत्रों में उद्योग, कृषि और पर्यटन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

ऐसे हुआ मध्य प्रदेश का गठन

बता दें कि, आजादी से पहले और उसके बाद कुछ वर्षों तक मध्य प्रदेश को सेंट्रल प्रोविंस और सीपी एंड बरार के नाम से जाना जाता था। दरअसल, सीपी एंड बरार, मध्य भारत यानी ग्वालियर-चंबल, विंध्य प्रदेश और भोपाल के कुछ क्षेत्रों को मिलाकर मध्य प्रदेश का गठन किया गया था। इसके लिए राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन किया गया। इस आयोग को उत्तर प्रदेश जितना बड़ा राज्य बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इस जटिल प्रक्रिया में महाकौशल, विंध्य प्रदेश, ग्वालियर-चंबल के अलावा भोपाल के आसपास के क्षेत्रों को एक साथ लाने की जिम्मेदारी दी गई थी।

मध्य प्रदेश गठन में सबसे बड़ी चुनौती

बता दें कि, राज्य पुनर्गठन आयोग के सामने राज्य के गठन में सबसे बड़ी चुनौती 4 राज्यों को मिलाना था। आयोग के सामने बड़ी चुनौती इसलिए थी, क्योंकि पहले से मौजूद राज्यों की अपनी अलग पहचान थी। इन राज्यों के पास अपनी एक अलग विधानसभा भी थी। ऐसे में इन राज्यों को एक साथ करने पर संबंधित रियासतदार इसका विरोध करने लगे। यही वजह है कि सभी रियासतदारों से समझौता करने में राज्य पुनर्गठन आयोग को लगभग 34 महीने लग गए। आखिरकार 1 नवंबर 1956 को मध्य प्रदेश का गठन हुआ।

राजधानी को लेकर चर्चा

इतना ही नहीं मध्य प्रदेश की राजधानी को लेकर इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर और भोपाल के बीच लंबे समय तक काफी चर्चा हुई। राज्य पुनर्गठन आयोग ने सभी विकल्पों को देखते हुए यह पाया कि भोपाल में प्रशासनिक कार्यालयों के लिए पहले से ही पर्याप्त भवन और सुविधाएं उपलब्ध थीं। इसके साथ ही भोपाल का भौगोलिक स्थान भी प्रदेश के संचालन के लिए उपयुक्त था। लेकिन सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि, तब भोपाल के नवाब भारत में विलय को तैयार नहीं थे। ऐसे में उन्हें नियंत्रित करने के लिए भोपाल को राजधानी बनाने का निर्णय लिया गया। आखिरकार साल 1956 में भोपाल को आधिकारिक रूप से मध्य प्रदेश की राजधानी घोषित किया गया। वहीं, मध्य प्रदेश के गठन के बाद प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री पंडित रविशंकर शुक्ल जबकि पहले राज्यपाल डॉक्टर बी पट्टाभि सीतारमैया बने।

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