Naxal Area in MP: छतीसगढ़ के बाद एमपी बना नक्सलियों की बड़ी पनाहगार, राज्य सरकार ने शुरू की कार्यवाही

अब नक्सली दलम-2 के नाम से कैडर तैयार कर रहे हैं। जहां इनकी गतिविधियां बढ़ रही है वह इलाका बालाघाट छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र से जुड़ा हुआ है।
naxal area in mp  छतीसगढ़ के बाद एमपी बना नक्सलियों की बड़ी पनाहगार  राज्य सरकार ने शुरू की कार्यवाही

Naxal Area in MP: भोपाल। राज्य में बढ़ते नक्सली प्रभाव को देखते हुए राज्य सरकार ने सभी जरूरी उपायों पर काम करना शुरू कर दिया है। इसी क्रम में ATS इंटेल के बाद मध्यप्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार से CRPF की दो बटालियन मांगी है। सीआरपीएफ की दोनों बटालियन बालाघाट, मंडला और डिंडौरी के घोर नक्सल एरिया में तैनात होंगी। CRPF की बटालियन के साथ इन तीनों जिलों में 220 नई सड़क निर्माण की मांग की गई है। इन तीनों जिले के नक्सली मूवमेंट एरिया में सड़कें रिजिड कंकरीट पेवमेंट से बनेंगी, जिनकी संख्या करीब 220 बताई गई है।

मध्यप्रदेश के बालाघाट, मंडला, डिंडौरी में नक्सलियों के नए कैडर हो रहे तैयार

मध्यप्रदेश एटीएस ने जानकारी देते हुए बताया है कि अब नक्सली दलम-2 के नाम से कैडर तैयार कर रहे हैं। जहां इनकी गतिविधियां बढ़ रही है वह इलाका (Naxal Area in MP) बालाघाट छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र से जुड़ा हुआ है। यह प्रदेश का सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित जिला है। मंडला और डिंडोरी में भी नक्सली गतिविधियां चलती हैं। महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में घेराबंदी बढ़ती है तब नक्सली अमरकंटक होते हुए कान्हा राष्ट्रीय उद्यान को अपना ठिकाना बना लेते हैं। पिछले कई सालों से इस अभयारण्य में नक्सली लगातार अपनी उपस्थिति बढ़ा रहे हैं। यहां मौजूद नक्सलियों की संख्या 75 है जिसमें 20 महिलाएं भी शामिल हैं। पांच साल पहले इनकी संख्या करीब 130 के आसपास थी।

पुलिस मुख्यालय का दावा, एमपी के तीन जिलों में नक्सली गतिविधियां हुई

पुलिस मुख्यालय के अधिकारियों के मुताबिक पिछले पांच सालों में नक्सलियों पर कड़ी कार्रवाई हुई है। पहले प्रदेश के नक्सल प्रभावित तीनों जिलों (Naxal Area in MP) में पुलिस के 20 कैंप थे, अब 45 हैं। अकेले बालाघाट में ही 18 कैंप बनाए गए हैं। इन कैंपों के जरिए पुलिस नक्सली गतिविधियों को नियंत्रित करती है और इन्हें आगे बढ़ने से रोकती है।

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने गृह मंत्री के साथ की थी बैठक

गृह मंत्रालय ने नक्सल प्रभावित राज्यों को दिल्ली बुलाया था और उनके साथ एक बैठक की थी। गृह मंत्रालय ने आधा दर्जन राज्यों में नक्सली गतिविधियों को लेकर कहा है कि केन्द्र सरकार अगले दो सालों में यानि मार्च 2026 तक नक्सलवाद को पूरी तरह समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। अभी जो भी राज्य इससे प्रभावित हैं, उनकी इससे निपटने में केन्द्र सरकार पूरी मदद करेगी। देश में 2010 के मुकाबले 2023 में नक्सली हिंसा में 72 फीसदी की कमी आई है और मृत्यु दर में भी 86 फीसदी तक की कम हुई है।

एमपी के तीन जिलों में फैला हुआ है नक्सल उग्रवाद

आपको बता दें कि देश में वामपंथी उग्रवाद से वर्तमान में 38 जिले प्रभावित हैं। मध्यप्रदेश में नक्सली गतिविधियों (Naxal Area in MP) से प्रभावित जिलों की कुल संख्या तीन है। मंडला और डिंडौरी को गृह मंत्रालय ने उतना नक्सल प्रभावित नहीं माना है, हालांकि बालाघाट जिले को ज्यादा नक्सल प्रभावित जिले की श्रेणी में रखा गया है ।

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