OBC Reservation: एमपी में जल्द खुलेगा सरकारी नौकरियों का दरवाजा! ओबीसी आरक्षण पर होगी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
OBC Reservation: जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में ओबीसी आरक्षण से संबंधित प्रकरणों की सुनवाई अब सुप्रीम कोर्ट में होगी। मंगलवार को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) मामले की स्थानांतरण याचिका को सुप्रीम कोर्ट में कोर्ट नंबर 3 के समक्ष सूचीबद्ध किया गया। अब इस याचिका की सुनवाई माननीय न्यायमूर्ति बी.आर.गवाई एवं जस्टिस विश्वनाथन की कोर्ट में होगी। भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता मध्य प्रदेश राज्य के लिये सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए तो वहीं याचिकाकर्ता छात्रा अनामिका तोमर और अन्य छात्रों की ओर से जबलपुर के सीनियर एडवोकेट आदित्य सांघी ने बहस की।
आरक्षण पर विवाद के चलते 2019 के बाद नहीं हुई भर्ती
एडवोकेट आदित्य सांघी ने सुप्रीम कोर्ट में तर्क दिया कि स्थानांतरण याचिका लंबित होने के कारण मप्र हाईकोर्ट में इस मामले की अंतिम सुनवाई करने में सक्षम नहीं है और इसलिए 2019 के बाद से एमपी पीएससी द्वारा कोई भी नियुक्ति नहीं दी गई है। सरकारी पदों पर भर्ती रूकी होने के कारण राज्य में युवाओं को बेरोजगारी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। बीते 5 सालों से ज्यादा समय से ओबीसी आरक्षण का प्रकरण अधर में है।
#HighCourt: OBC आरक्षण के मुद्दे पर MP सरकार को हाई कोर्ट से लगा झटका...
- OBC आरक्षण के प्रकरणों को हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर करने का आदेश
- सुप्रीम कोर्ट ने प्रथम दृष्टा OBC आरक्षण को माना असंवैधानिक
- हाई कोर्ट ने OBC आरक्षण को लेकर मध्य प्रदेश सरकार से मांगा जवाब… pic.twitter.com/cbFu6rwAjM— MP First (@MPfirstofficial) August 20, 2024
अब सुप्रीम कोर्ट तय करेगा आरक्षण की अधिकतम लिमिट
छात्रों के वकील आदित्य सांघी की दलीलें सुनने के बाद और राज्य में नियुक्तियों में किसी भी तरह की देरी से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि OBC Reservation से संबंधित सभी रिट याचिकाएं (लगभग 85) तुरंत सुप्रीम कोर्ट में अंतिम बहस के लिए स्थानांतरित की जाएं। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई और निर्देश से सबसे बड़ी राहत उन छात्रों को मिली है जिन्हें अधर में लटके होने के कारण नियुक्तियां नहीं मिल रही हैं। अब एमपी उच्च न्यायालय से फाइलें मिलने के कुछ ही दिनों के भीतर ओबीसी आरक्षण का मामला अंततः भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तय किया जाएगा।
अभी राज्य में कुल 73 फीसदी रिजर्वेशन है
इस पूरी कवायद से ओबीसी आरक्षण मुद्दे के नतीजे का इंतजार कर रहे एमपी के छात्रों को बड़ी राहत मिलेगी। सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि एक बार सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ जाए तो यह फुल एंड फाइनल हो जाएगा और पूरे मामले पर फुल एंड फाइनल फुलस्टॉप लग जाएगा कि एससी, एसटी और ओबीसी का कुल आरक्षण 50 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकता, जबकि मप्र में यह 63 फीसदी को छू रहा था और 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस आरक्षण के बाद यह 73 प्रतिशत आरक्षण हो जाएगा। मप्र के छात्रों को अंततः इसे सर्वोच्च न्यायालय में ले जाने और माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तय निर्देश ही देश का कानून होगा।
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के अंतरिम आदेशों को दृष्टिगत रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दो माह पूर्व हाईकोर्ट को ओबीसी आरक्षण के मामलो को सुनवाई किए जाने पर रोक लगा दीं थी। सुप्रीम कोर्ट जस्टिस बी.आर.गवाई और जस्टिस के.वी.विश्वनाथन की डबल बैंच में ओबीसी आरक्षण याचिका पर सुनवाई करते हुये सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार सहित इन मामलों से जुड़े सभी संबंधित को नोटिस जारी कर जबाव मांगा है।
यह भी पढ़ें:
MP Rajyasabha Chunav: मध्य प्रदेश की राज्यसभा सीट के लिए जॉर्ज कुरियन होंगे भाजपा के उम्मीदवार
MP का वो "शापित गांव" जहां 400 साल से बच्चे नहीं हुए पैदा! वजह जान रह जाएंगे हैरान
MPox: MP के इस Doctor ने 6 मिनट में MPox के बारे में बता दिया इतना सब कुछ, आप भी चौंक जाएंगे!