Seoni Govt School: बिना फर्श के धूल-मिट्टी में बैठने को मजबूर बच्चे, पढ़ाने के लिए ब्लैक बोर्ड तक नहीं, ये हैं सरकारी स्कूल के हाल
Seoni Govt School: सिवनी। एक तरफ तो राज्य सरकार गरीब बच्चों को शिक्षा देने के बड़े-बड़े दावे करती है, वहीं दूसरी ओर यहां के शासकीय स्कूलों की इतनी बुरी दुर्दशा है कि देख कर हैरान हो जाएंगे। वित्तीय वर्ष 2023-24 में शिक्षा के क्षेत्र में 22,600 करोड रुपए का बजट पेश करने वाली प्रदेश की मोहन सरकार के राज में शासकीय स्कूल की दुर्दशा की ऐसी तस्वीर जो तमाम सरकारी दावों और वादों की पोल खोल कर रख रही है। इसे शासन-प्रशासन में ऊपर से लेकर नीचे तक बैठे जिम्मेदार अधिकारियों, कर्मचारियों, शिक्षकों और जनप्रतिनिधियों की संवेदनहीनता की पराकाष्ठा कहिए या निर्लज्जता कि बच्चों को अपनी जान खतरे में डालकर स्कूल की जर्जर बिल्डिंग (Seoni Govt School) में बैठ कर पढ़ाई करनी पड़ रही है।
कभी भी गिर सकती है यह बिल्डिंग, फिर भी लग रही हैं क्लासेज
यह मामला सिवनी जिले की ग्राम पंचायत बम्हनी के मरारीटोला में स्थित शासकीय प्राथमिक शाला का है। इस स्कूल की तीन दशक पुरानी बिल्डिंग पूरी तरीके जर्जर हो चुकी है, जिसे डिस्मेंटल किया जाना है। यह बिल्डिंग कभी भी गिर सकती है, फिर भी जोखिम लेकर यहां दो कक्षाएं लगती हैं। शेष तीन कक्षाएं अधूरे पड़े अतिरिक्त कक्ष में लगती हैं। दो वर्ष पहले बना अतिरिक्त कक्ष अभी तक अधूरा हुआ पड़ा हुआ है, ना दीवारों में छपाई हुई है, ना ही नीचे फर्श है। बिना फर्श के बच्चे धूल मिट्टी में बैठने को मजबूर हैं। कीड़े, मकोड़े, सांप आदि का डर बना हुआ है। बच्चों को पढ़ाने के लिए ब्लैक बोर्ड तक नहीं है। इस अतिरिक्त कक्ष में एक साथ तीन क्लास लगती है।
स्कूल शिक्षिका ने बताई दुर्दशा
यहां पर पदस्थ एक शिक्षिका इस दुर्दशा को बयां करते हुए कैमरे पर जो कुछ कहती है उससे आप सिहर जाएंगे। बिना फर्श के जहां तीन कक्षाओं के बच्चे बैठते हैं, वहां फर्श पर सुराख हो गए हैं जिससे चींटी, कीड़े वगैरह निकल रहे हैं। शिक्षिका बताती है कि कुछ दिन पहले ही उन्होंने यहां से सांप की एक कांचली निकाल कर फेंकी है। आप सोचिए कितना जोखिम भरा है बच्चों का ऐसी स्थिति में पढ़ना...
ग्रामीण भी हैं स्कूल की स्थिति से दुखी
सरकारी स्कूल (Seoni Govt School) की इस स्थिति को लेकर ग्रामीणों में भी आक्रोश है। ग्रामीण बताते हैं कि इन अव्यवस्थाओं के साथ-साथ यहां पदस्थ शिक्षक भी समय पर नहीं आते हैं। इस विषय में यहां पदस्थ प्रधान पाठक ने बताया कि उक्त अतिरिक्त कक्ष निर्माण कार्य हेतु लगभग चार लाख रुपए की राशि स्वीकृत हुई थी जिसकी आधी राशि ही अभी तक प्राप्त हुई है, इसी कारण यह अधूरा पड़ा हुआ है।
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