GST Collections: अगस्त के जीएसटी कलेक्शन में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी, 1.74 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचा आंकड़ा

GST Collections: अगस्त में वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax) संग्रह सकल रूप से 1.74 लाख करोड़ रुपए रहा है। जीएसटी कलेक्शन में सालाना आधार पर 10 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। पिछले साल अगस्त माह...
gst collections  अगस्त के जीएसटी कलेक्शन में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी  1 74 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचा आंकड़ा

GST Collections: अगस्त में वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax) संग्रह सकल रूप से 1.74 लाख करोड़ रुपए रहा है। जीएसटी कलेक्शन में सालाना आधार पर 10 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। पिछले साल अगस्त माह में कुल जीएसटी संग्रह 1.59 लाख करोड़ रुपए था। रविवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, अगस्त में सीजीएसटी, एसजीएसटी, आईजीएसटी और उपकर सभी में सालाना आधार पर वृद्धि हुई है। आइए इस खबर के बारे में और अधिक जानते हैं।

2024 में कुल जीएसटी कलेक्शन 9.13 लाख करोड़

इस साल अब तक कुल जीएसटी कलेक्शन 10.1 प्रतिशत की बढ़तरी के साथ 9.13 लाख करोड़ रुपए रहा है। पिछले साल अगस्त माह तक जीएसटी कलेक्शन 8.29 लाख करोड़ रुपए था। रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल में कुल जीएसटी संग्रह बढ़कर 2.10 लाख करोड़ रुपए के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया। मई और जून में संग्रह क्रमशः 1.73 लाख करोड़ रुपये और 1.74 लाख करोड़ रुपए था। जुलाई में यह 1.82 लाख करोड़ रुपए रहा।

वित्त वर्ष 2023-24 में 20.18 लाख करोड़ रुपए कलेक्शन

वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान कुल सकल जीएसटी कलेक्शन 20.18 लाख करोड़ रुपए दर्ज किया गया, जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 11.7 प्रतिशत की वृद्धि है। मार्च, 2024 में समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष के लिए औसत मासिक कलेक्शन 1.68 लाख करोड़ रुपए रहा, जो पिछले वर्ष के औसत 1.5 लाख करोड़ रुपए से अधिक है। हाल ही में जीएसटी कलेक्शन में वृद्धि भारत की अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत को दर्शाती है। यह आंकड़े मजबूत घरेलू खपत और उछाल वाली आयात गतिविधि को रेखांकित करता है।

2017 में लागू किया गया था नया प्रारूप

देश में 1 जुलाई, 2017 से वस्तु एवं सेवा कर लागू किया गया था। राज्यों को जीएसटी अधिनियम, 2017 के प्रावधानों के अनुसार जीएसटी के कार्यान्वयन के कारण होने वाले किसी भी राजस्व के नुकसान के लिए पांच साल के लिए मुआवजे का आश्वासन दिया गया था। 1 जुलाई, 2017 से पहले अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था काफी जटिल थी। केंद्र और राज्य अलग-अलग वस्तुओं और सेवाओं पर कर लगा रहे थे।

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