Mahatma Gandhi in Indore: महात्मा गांधी की इंदौर यात्रा के बाद ही शुरू हुआ था देश में ‘गांधी युग’, एमपी से था उनका खास रिश्ता
Mahatma Gandhi in Indore: भोपाल। देश और दुनिया को अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले महात्मा गांधी का मध्य प्रदेश से खास रिश्ता था परंतु मध्य प्रदेश का इंदौर एक ऐसा स्थान था जहां कदम रखकर उन्होंने देश में गांधी युग की शुरूआत की थी। गांधीजी का इंदौर आगमन ऐसे समय में हुआ था, जब उनका दक्षिण अफ्रीका में कार्य समाप्त हो चुका था और वे भारतीय स्वतंत्रता के संघर्ष में पूरी तरह से शामिल होने का मन बना चुके थे। वे अफ्रीका में 21 साल बिताकर लौटे थे, और इंदौर यात्रा के बाद उन्होंने भारत में रहकर स्वतंत्रता संग्राम की दिशा को नई दिशा दी। इस यात्रा ने उन्हें 'महात्मा' के रूप में पूरी दुनिया में पहचान दिलाई, और उनकी अहिंसक शक्ति के बारे में देशवासियों का विश्वास और भी मजबूत हुआ।
गांधीजी की इंदौर यात्रा ने बदल दी थी भारतीय राजनीति की दशा
महात्मा गांधी की पहली यात्रा 28 मार्च 1918 को मध्य प्रदेश के इंदौर (Mahatma Gandhi in Indore) में हुई थी, और यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक अहम पल साबित हुई। इस यात्रा के बाद ही देश में 'गांधी युग' का आरंभ हुआ, जो 1919 के बाद के संघर्षों को प्रभावित करने वाला था। इससे पहले गांधीजी ने चंपारण, खेड़ा और अहमदाबाद में सफलता प्राप्त की थी, जिनकी गूंज देशभर में सुनाई दी थी।
गांधीजी की इंदौर यात्रा: हिंदी साहित्य सम्मेलन और जनता का प्यार
महात्मा गांधी ने इंदौर में तीन दिनों का समय बिताया था, और इस दौरान वे हिंदी साहित्य सम्मेलन के सभापति के रूप में पधारे थे। यहां उन्होंने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने और विशेषकर तमिलभाषियों में हिंदी के प्रचार-प्रसार की आवश्यकता पर जोर दिया। जब गांधीजी इंदौर पहुंचे, तो लाखों लोग उनका स्वागत करने के लिए सड़कों पर खड़े थे। गांधीजी की सादगी देखकर लोग आश्चर्यचकित हो गए। वे हमेशा रेल के तीसरे दर्जे में यात्रा करते थे, क्योंकि उनका मानना था कि यदि भारत को सही से समझना है तो तृतीय श्रेणी की यात्रा करना जरूरी है। गांधीजी के इंदौर आगमन (Mahatma Gandhi in Indore) की एक और खास बात यह थी कि उनकी बग्गी को लोग खुद खींच रहे थे, हालांकि गांधीजी ने इसे रोकने की कोशिश की थी।
कंडैल सत्याग्रह और मध्य प्रदेश में गांधीजी की दूसरी यात्रा
गांधीजी की दूसरी यात्रा 20-21 दिसंबर 1920 को हुई, जब वे रायपुर, धमतरी, कंडैल और कुरूद के इलाकों में गए थे। इस यात्रा का उद्देश्य कंडैल नहर सत्याग्रह को बढ़ावा देना था, जो प्रदेश में आजादी के आंदोलन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका था। कंडैल मध्य प्रदेश का वह पहला गांव था, जहां गांधीजी ने सत्याग्रहियों को आशीर्वाद दिया और उनका समर्थन किया। इस यात्रा ने मध्यप्रदेश के लोगों को सत्याग्रह के प्रति अपनी निष्ठा और मजबूत करने की प्रेरणा दी।
गांधीजी की मध्य प्रदेश यात्राओं का इतिहास
महात्मा गांधी की मध्यप्रदेश में कई यात्राएं (Mahatma Gandhi in Indore) हुईं, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में जानी जाती हैं। इन यात्राओं के दौरान उन्होंने न केवल राजनीतिक जागरूकता बढ़ाई, बल्कि लोगों में स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने की भावना भी जागृत की। वह कुल दस बार मध्य प्रदेश आए थे जिनका विवरण यहां दिया गया है।
- 28 मार्च 1918 – इंदौर (पहली यात्रा)
- 20-21 दिसंबर 1920 – रायपुर, धमतरी, कंडैल
- 6 जनवरी 1921 – छिंदवाड़ा
- 20-21 मार्च 1921 – सिवनी-जबलपुर
- मई 1921 – खंडवा
- सितंबर 1929 – भोपाल और सांची
- 22 नवंबर - 8 दिसंबर 1933 – मध्यप्रदेश के कई शहर
- 20 अप्रैल 1935 – इंदौर
- फरवरी 1941 – जबलपुर और भेड़ाघाट
- 27 अप्रैल 1942 – जबलपुर
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