आंध्र के इस गांव में मकर संक्रांति नहीं मनाई जाती, क्या है इसके पीछे की रहस्यमयी वजह?

Makar Sankranti 2025: देशभर में मकर संक्रांति का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। लोग पतंगबाजी करते हैं, तिल-गुड़ के व्यंजन खाते हैं और दान-पुण्य में भी जुटे रहते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आंध्र प्रदेश के...
आंध्र के इस गांव में मकर संक्रांति नहीं मनाई जाती  क्या है इसके पीछे की रहस्यमयी वजह

Makar Sankranti 2025: देशभर में मकर संक्रांति का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। लोग पतंगबाजी करते हैं, तिल-गुड़ के व्यंजन खाते हैं और दान-पुण्य में भी जुटे रहते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले का एक गांव ऐसा भी है, जहां मकर संक्रांति का त्योहार सालों से नहीं मनाया जाता? यहां के लोग इसे अशुभ मानते हैं (Makar Sankranti 2025)और इस दिन का कोई खास महत्व नहीं समझते। आइए, जानते हैं इस गांव की दिलचस्प परंपरा और इसके पीछे का रहस्य।

मकर संक्रांति का रहस्यमयी बहिष्कार

आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले का एक छोटा सा गांव, कोठापल्ली, मकर संक्रांति के जश्न से परे है। इस गांव के लोग मकर संक्रांति को अशुभ मानते हैं और इस दिन को लेकर उनके पास एक अजीबोगरीब मान्यता है। उनके अनुसार, संक्रांति के दिन ही उनके पूर्वजों की मौत हुई थी, और तब से इस दिन को मनाने का विचार ही उन्हें परेशान करता है। यही कारण है कि कोठापल्ली में 200 साल से इस त्योहार का कोई भी उत्सव नहीं हुआ है। यहां के लोग मानते हैं कि संक्रांति मनाना उनके लिए नकारात्मक ऊर्जा का संकेत है और इसलिए इसे पूरी तरह से नकार दिया गया है।

200 साल पुरानी दुर्भाग्य की कहानी

कोठापल्ली गांव में मकर संक्रांति को लेकर एक अजीबोगरीब इतिहास है। कहते हैं कि 200 साल पहले इस गांव के लोग मकर संक्रांति के दिन ही अपने प्रियजनों को खो बैठे थे, और तभी से यह दिन उनके लिए बेहद अशुभ हो गया। गांववालों के लिए यह दिन किसी भूतपूर्व त्रासदी की याद दिलाता है, जिस कारण उन्होंने मकर संक्रांति की सारी परंपराएं छोड़ दीं। यहां के लोग संक्रांति के दिन शोक मनाते हैं, जबकि अन्य जगहों पर यह दिन खुशी और उल्लास का प्रतीक बन चुका है।

कॉक फाइट का महोत्सव

वहीं, आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों में मकर संक्रांति की धूम पूरी तरह से अलग है। यहां, मकर संक्रांति के मौके पर मुर्गों की लड़ाई (कॉक फाइट) एक अत्यंत लोकप्रिय परंपरा बन चुकी है। इस मुकाबले में लोग भारी रकम दांव पर लगाते हैं और इसे देखने के लिए हजारों लोग इकट्ठा होते हैं। इस परंपरा को लेकर विवाद भी होता है, क्योंकि पहले इस पर बैन लगाया गया था, लेकिन अब इसे कुछ शर्तों के साथ फिर से मंजूरी मिल चुकी है। इस विरोधाभास के बीच, कोठापल्ली गांव की परंपरा पूरी तरह से उलट है, जहां मकर संक्रांति का कोई आयोजन नहीं होता, जबकि अन्य जगहों पर इसका हर रूप में उत्सव मनाया जाता है।

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