Supreme Court Decision: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा निर्णय, बच्चों के पोर्न वीडियो देखने या स्टोर करने पर होगी जेल

Supreme Court Decision: सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा निर्णय देते हुए चाइल्ड पोर्न को देखना तथा डाउनलोड करने को भी अपराध करार दिया है। साथ ही कोर्ट ने केन्द्र सरकार को भी POSCO Act में चाइल्ड पोर्नोग्राफी की जगह 'चाइल्ड सेक्शुएली...
supreme court decision  सुप्रीम कोर्ट का बड़ा निर्णय  बच्चों के पोर्न वीडियो देखने या स्टोर करने पर होगी जेल

Supreme Court Decision: सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा निर्णय देते हुए चाइल्ड पोर्न को देखना तथा डाउनलोड करने को भी अपराध करार दिया है। साथ ही कोर्ट ने केन्द्र सरकार को भी POSCO Act में चाइल्ड पोर्नोग्राफी की जगह 'चाइल्ड सेक्शुएली अब्यूजिव एंड एक्सप्लोइटेटिव मटीरियल' (CSEAM) लिखने के निर्देश दिए हैं। सर्वोच्च न्यायालय में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने यह मद्रास हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए यह निर्णय (Supreme Court Decision) सुनाया है।

सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मामले पर आया है फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बच्चों की कानूनी सुरक्षा हमारे लिए महत्वपूर्ण है और चाइल्ड पोर्न को CSEAM कहने से बच्चों के खिलाफ अपराध करने वाले दोषियों से प्रभावी ढंग से निपटा जा सकेगा। इससे एक लीगत फ्रेमवर्क बनेगा और समाज में बच्चों के शोषण के खिलाफ लड़ने के लिए नया दृष्टिकोण बनेगा।

मद्रास हाईकोर्ट का यह था फैसला

दरअसल जनवरी 2024 में मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस एन आनंद वेंकटेश ने एक 28 वर्षीय आरोपी के खिलाफ आपराधिक मामला रद्द कर दिया था। उक्त व्यक्ति पर चाइल्ड पोर्न देखने तथा उसे डाउनलोड करने का आरोप था। आरोपी ने कोर्ट में कहा कि उसने न तो चाइल्ड पोर्न बनाने में किसी तरह की भूमिका निभाई और न ही इस कंटेंट को किसी के साथ शेयर किया। ऐसे में उसके खिलाफ अपराध साबित नहीं होता है।

मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस एन आनंद वेंकटेश ने आरोपी पक्ष की दलीलों को मानते हुए उसके खिलाफ पॉक्सो और आईटी एक्ट के तहत दर्ज आपराधिक मामले को रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा कि युवक का नैतिक पतन माना जा सकता है परन्तु आईटी एक्ट के सेक्शन 67 के तहत अपराधी नहीं है। हाईकोर्ट के इस निर्णय पर उस समय भी काफी हंगामा हुआ था।

सुप्रीम कोर्ट ने की हाईकोर्ट के निर्णय की आलोचना

यह मामला जब सुप्रीम कोर्ट में गया तो सर्वोच्च न्यायालय ने मद्रास हाईकोर्ट के इस निर्णय की आलोचना करते हुए जज की कानूनी समझ पर भी सवाल खड़े कर दिए थे। मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने डिजिटल कंटेंट को लेकर जवाबदेही तय करने की भी जरूरत जताई। सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए 19 अप्रैल को अपना फैसला (Supreme Court Decision) सुरक्षित रख लिया था।

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