Jabalpur News: पुलिस की खाकी वर्दी में दिखी इंसानियत की संवेदनशीलता, अधूरी छूटी पढ़ाई तो 9वीं में दिलाया दाखिला, ऐसे की मदद
Jabalpur News: जबलपुर। जबलपुर की एक महिला पुलिस अधिकारी के प्रयासों से एक 12 वर्षीय किशोर की जिंदगी में एक बार फिर शिक्षा का उजाला होगा। तंगहाल जिंदगी के कारण आठवीं पास करने के बाद पढ़ाई छोड़ने को मजबूर हुए नाविक बच्चे की जिंदगी अब शिक्षा के उजाले से एक बार फिर जगमगानी शुरू हो गई है। उसकी जिंदगी में शिक्षा का यह उजाला संवेदनशील महिला पुलिस अधिकारी ने किया है। आखिर कैसे और कहां महिला पुलिस अधिकारी इस किशोर की जिंदगी में आई और शिक्षा के उजाले के साथ जीवन में नई रोशनी बिखरना शुरू हुई, जानते हैं सामाजिक सरोकार और समाज को प्रेरणा देने वाली इस प्रेरक खबर (Jabalpur News) से।
माता-पिता के होते अनाथ की जिंदगी जी रहा है किशोर
जबलपुर शहर के बरगी नगर में रहने वाला 12 साल का अभिषेक आम बच्चों की तरह बचपन की खुशियां नहीं जी पा रहा था। बल्कि उसके कंधे पर खुद के भरण पोषण की जिम्मेदारी ने उसे स्कूल के बस्ते और किताबों की उम्मीद भरी सुनहरी रोशनी से दूर कर, नाव चला कर जिंदगी बसर करने के लिए मजबूर कर दिया था। ऐसा हरगिज नहीं है कि अभिषेक कोई अनाथ बच्चा है। अभिषेक के माता-पिता हैं, लेकिन घर की माली हालत ठीक ना होने की वजह से अभिषेक के पिता दिल्ली में जाकर मजदूरी कर रहे हैं और मां बरगी से बाहर जाकर मजदूरी कर घर की खुशहाली के लिए पाई पाई जोड़ रही है।
नाव चला कर अपना और नानी का पेट भरता है
इस बीच अभिषेक बरगी में ही अपनी नानी के घर में रहकर अपने खुद के गुजर बसर के लिए नाव चल रहा है। मात्र 12 साल का अभिषेक नाविक बन गया और पतवार से केवल नाव ही नहीं आगे बढ़ा रहा है, बल्कि अपनी जिंदगी की उम्मीदों को सुनहरे भविष्य के सपने के साथ पानी की मझधार में संघर्षों के बीच जिंदा रखे हुए है। मासूम नाविक अभिषेक नाव चला कर दिन भर में जो पैसा इकट्ठा करता है, उसे वह नानी के पास लाकर दे देता है। इस पैसे से नानी दो वक्त का राशन जुटाकर स्वयं का और अपने नाती का भरण पोषण कर रही है। अभिषेक के परिवार की माली हालत ठीक नहीं होने के कारण अभिषेक आठवीं पास करने के बाद नौवीं कक्षा के लिए फीस, किताब, कॉपी, बैग और यूनिफॉर्म नहीं जुटा पाया और इस कारण बीच में ही पढ़ाई छोड़नी पड़ गई।
आठवीं के बाद छोड़नी पड़ी पढ़ाई
आठवीं तक पढ़ने के बाद अभिषेक की जिंदगी में मानो अंधेरा छा गया और तालीम की शिक्षा उस मजबूरी में छूट गई। फीस और किताबों के अभाव में अभिषेक के हाथों से कलम छूट गई तो उसने हाथों में पतवार थाम ली। किताबों के शब्दों से जिंदगी में उम्मीदों का उजाला करने की बजाय पानी की लहरों में नाव के साथ-साथ जिंदगी भी हिलोरे खाने लगी। तभी उसकी जिंदगी में कुछ ऐसी हिलोर पैदा हुई कि अब उसकी जिंदगी में उम्मीद की नई किरण एक महिला पुलिस अधिकारी के रूप में नजर आने लगी है।
एसआई सरिता पटेल ने बदली बच्चे कि जिंदगी
यह महिला पुलिस अधिकारी बरगी पुलिस चौकी प्रभारी एसआई सरिता पटेल है, जिनकी नजर गणेश विसर्जन के दौरान नाव चलाते अभिषेक पर पड़ी। 12 साल के मासूम अभिषेक नाविक को देखकर बरगी चौकी प्रभारी सरिता पटेल उत्सुकता बस अभिषेक से बातचीत करने लगी और उसके नाव चलाने के हुनर को देखने के साथ-साथ उसकी मजबूरी को भी बातों बातों में महसूस कर लिया। बातचीत में अभिषेक ने आगे पढ़ने की इच्छा जताई लेकिन साथ में मजबूरी को भी जता दिया कि वह चाह कर भी स्कूल की फीस, स्कूल बैग, कॉपी, किताब और यूनिफॉर्म नहीं जुटा सकता। यही वजह है कि उसने आठवीं तक पढ़ने के बाद आगे की पढ़ाई करने की इच्छा होते हुए भी मजबूरी में पढ़ाई छोड़ दी है।
मासूम अभिषेक की पढ़ाई की ललक को देखकर एसआई सरिता पटेल ने उसकी मदद करने का निर्णय किया। शासकीय स्कूल बरगी नगर के प्राचार्य से व्यक्तिगत मुलाकात करके अभिषेक को नौवीं क्लास में दाखिले की प्रक्रिया को समझा। लेकिन प्राचार्य ने बताया कि प्रवेश की प्रक्रिया बंद हो चुकी है और एडमिशन की प्रक्रिया अब शिक्षा विभाग के पोर्टल में पंजीयन के साथ होती है। इसके लिए प्राचार्य ने शिक्षा विभाग के जिला स्तर के अधिकारियों से संपर्क करने में मदद करने का भरोसा दिलाया और महिला पुलिस अधिकारी के साथ-साथ प्राचार्य ने भी बच्चों के एडमिशन के लिए सांझा प्रयास किये।
स्कूल प्राचार्य ने भी किया सहयोग
स्कूल प्राचार्य, बरगी पुलिस चौकी प्रभारी सरिता पटेल ने मिलकर अभिषेक के दाखिले के लिए एक ओर जहां सांझा प्रयास किया, तो वही दूसरी ओर जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने भी संवेदनशीलता को समझा और अभिषेक के एडमिशन के लिए शिक्षा विभाग के एडमिशन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद बंद हो चुके शिक्षा विभाग के पोर्टल को कुछ देर के लिए अनलॉक किया गया, जिससे अभिषेक के एडमिशन की प्रक्रिया पोर्टल पर पूरी कर दी गई। अब अभिषेक नौवीं क्लास में दाखिला ले चुका है। मसलन अभिषेक का 9वीं कक्षा में दाखिला हो गया है और इस तरह अब उसकी जिंदगी में आठवीं क्लास तक पढ़ने के बाद आगे की पढ़ाई ना कर पाने का अधूरा सपना एक नई उम्मीद के साथ फिर जाग उठा है।
बच्चे ने किया पढ़-लिखकर बड़ा आदमी बनने का वादा
इतना ही नहीं अभिषेक के माता-पिता की अनुपस्थिति में एसआई सरिता पटेल ने ही अभिभावक के रूप में अभिषेक के एडमिशन फॉर्म पर हस्ताक्षर किए, उसकी फीस भरी, और उसे यूनिफॉर्म व किताबें भी उपलब्ध करवाईं है। बरगी नगर चौकी प्रभारी ऐसा ही सरिता पटेल स्कूल प्रचार और अभिषेक की खुद की पढ़ने की ना लगे एक अधूरे सपने को नई उम्मीद दी है स्कूल में दाखिला होते ही अभिषेक बेहद खुश है और अभिषेक ने वादा किया कि वह अब मन लगाकर पढ़ाई करेगा। पढ़ लिखकर वह कुछ करके दिखाने का जज्बा जाता रहा है।
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