Lebanon Pager Blast: लेबनान में हजारों पेजर एक साथ ब्लास्ट, सैकड़ों घायल, कई महीनों से ऐसे हो रही थी ब्लास्ट की तैयारी

Lebanon Pager Blast: लेबनान में मंगलवार को हुए पेजर हमले ने एक नई युद्ध तकनीक से दुनिया का परिचय कराया है। एक साथ, एक ही समय पर पूरे देश में अलग-अलग हिस्सों में हजारों पेजर डिवाईसेज में हुए ब्लास्ट ने...
lebanon pager blast  लेबनान में हजारों पेजर एक साथ ब्लास्ट  सैकड़ों घायल  कई महीनों से ऐसे हो रही थी ब्लास्ट की तैयारी

Lebanon Pager Blast: लेबनान में मंगलवार को हुए पेजर हमले ने एक नई युद्ध तकनीक से दुनिया का परिचय कराया है। एक साथ, एक ही समय पर पूरे देश में अलग-अलग हिस्सों में हजारों पेजर डिवाईसेज में हुए ब्लास्ट ने हिजबुल्लाह के हजारों आतंकियों को घायल कर दिया है। अभी इस हमले (Lebanon Pager Blast) की किसी ने जिम्मेदारी नहीं ली है लेकिन हमले के पीछे इजरायल का हाथ माना जा रहा है। अब इस हमले में बड़ा खुलासा हुआ है।

कुछ महीने पहले ही हिजबुल्लाह ने खरीदे ये पेजर

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इजरायली एजेंसी मोसाद ने ही इन हमलों की प्लानिंग की थी और इसके लिए कई महीनों से तैयारी चल रही थी। रॉयटर की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन पेजर में ब्लास्ट हुआ था, उन्हें कुछ महीने पहले ही हिजबुल्लाह ने ऑर्डर देकर मंगवाया था। बताया जा रहा है कि ताइवान में कुल 5000 पेजर बनाए गए थे और सभी के लिए लगभग तीन ग्राम विस्फोटक रखा गया था।

मोसाद ने कई महीनों तक की थी तैयारी

लेबनान के एक वरिष्ठ सिक्योरिटी ऑफिसर ने कहा कि मोसाद ने सभी डिवाईसेज में एक बोर्ड लगाया, जिसमें विस्फोटक सामग्री थी। इसे इस तरह रखा गया था कि किसी भी स्कैनर या डिवाइस से इसका पता नहीं लगाया जा सकता था। इसी वजह से कई महीनों तक काम लेने के बाद भी हिजबुल्लाह अपने पेजर में छिपी ब्लास्ट सामग्री का पता नहीं लगा सका। मंगलवार को मोसाद ने सभी पेजर पर एक कोड भेजा और सभी में एक साथ ब्लास्ट (Lebanon Pager Blast) करवा दिया। लेबनान के एक सुरक्षा अधिकारी के अनुसार देश भर में करीब 3000 पेजर फट गए। इस हमले में करीब 500 लोगों की आंखें हमेशा के लिए चली गई जबकि सैकड़ों गंभीर रूप से घायल हो गए।

क्या है पेजर और कैसे करता है काम?

वास्तव में पेजर एक पुरानी वायरलेस डिवाईस है जो मोबाइल फोन के पहले यूज की जाती थी। इसमें एक-दूसरे को लिखित मैसेज भेज सकते हैं। इनका आविष्कार 1980 के दशक में हुआ था। मार्केट में मोबाइल आने के पहले तक यही काम आते थे। पहले मोबाइल और बाद में स्मार्टफोन आने के कारण ये बिल्कुल ही बंद हो गए। अब इन्हें रेडियो की तरह ही एक आउटडेटेड गैजेट माना जाता है।

इसलिए स्मार्टफोन के बजाय पेजर काम लेता है हिजबुल्लाह

पेजर, जिन्हें बीपर भी कहते हैं, की सबसे बड़ी खासियत यही है कि इन्हें ट्रैक नहीं किया जा सकता है। इसी वजह से हिजबुल्लाह के आतंकियों ने स्मार्टफोन और मोबाइल के बजाय पेजर का यूज करने की योजना बनाई। इसके लिए ताइवान की एक कंपनी को 5000 पेजर तैयार करने का ऑर्डर दिया गया। इस बात की जानकारी मिलने पर मोसाद ने पेजर को ही हथियार बनाने का निर्णय लिया और हर पेजर में 3 ग्राम विस्फोटक सामग्री भर दी जिसे कोड के जरिए एक्टिवेट कर ब्लास्ट किया गया।

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