Kevda Swami Bhairavnath Mandir: एमपी के इस मंदिर में जंजीरों से बंधे हैं भगवान, बच्चों के साथ इस रूप में खेलते थे आराध्य देव

आगर-मालवा जिले के केवड़ा स्वामी भैरव महाराज मंदिर में भैरव बाबा को जंजीरों से बांध कर रखा गया है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार भैरव बाबा अपने मंदिर को छोड़कर बच्चों के साथ खेलने चले जाया करते थे।
kevda swami bhairavnath mandir  एमपी के इस मंदिर में जंजीरों से बंधे हैं भगवान  बच्चों के साथ इस रूप में खेलते थे आराध्य देव

Kevda Swami Bhairavnath Mandir: आगर। आपने शायद ही कही देखा हो कि किसी पूजा स्थल पर देवी-देवता या आराध्य देव की मूर्ति को जंजीरों से बांधकर रखा गया हो। यदि ऐसा करिश्मा देखना हो तो आप मध्य प्रदेश के आगर-मालवा जिले में आए जहां केवड़ा स्वामी मंदिर भैरव महाराज मंदिर में आप भैरव बाबा को जंजीरों में कैद देख सकते हैं। इस मंदिर में हर वर्ष बुद्ध पूर्णिमा को मेला भरता है और उसमें देश भर से हजारों-लाखों श्रद्धालु भाग लेने आते हैं।

भगवान शिव के भैरव अवतार को समर्पित है यह मंदिर

आगर मालवा का केवड़ा स्वामी मंदिर भगवान भैरव को समर्पित किया गया है और यह अपनी तरह का अनूठा मंदिर है जो पूरे देश में प्रसिद्ध है। इस मंदिर की विशेषताओं और मान्यताओं के कारण जो भी भक्त इसके बारे में सुनता है, वह दर्शन के लिए दौड़ा चला आता है। इस मंदिर के इतिहास की बात करें तो यह मंदिर ऐतिहासिक रूप से भी महत्वपूर्ण है।

Agar malwa Kevda Swami Bhairavnath Mandir

600 वर्ष पूर्व हुआ था मंदिर का निर्माण

केवड़ा स्वामी मंदिर के निर्माण को लेकर किंवदंती है कि वर्ष 1424 ईस्वी में झाला राजपूत परिवार के कुछ लोग गुजरात से अपने भैरव को लेकर जा रहे थे। मार्ग में जब वे रत्नसागर तालाब से गुजरे तो उनका चक्का थम गया और नतीजा यह हुआ कि भैरव महाराज यहीं बस गए। ऐसा माना जाता है कि झाला वंश के राजा राघव देव ने इस प्रतिमा की स्थापना की थी। यह झाला राजपूत समाज के कुलदेवता भी हैं।

बच्चों के साथ खेला करते थे भगवान भैरव

इस मंदिर में भैरव बाबा को जंजीरों से बांध कर रखा गया है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार भैरव बाबा अपने मंदिर को छोड़कर बच्चों के साथ खेलने चले जाया करते थे और जब उनका मन खेलने से भर जाता, तो वे बच्चों को उठा कर तालाब में फेंक देते थे। इसी कारण केवड़ा स्वामी के भैरव नाथ को जंजीरो से बांध दिया गया। साथ ही उन्हें रोकने हेतु उनके आगे एक खम्बा भी लगा दिया गया है ताकि भगवान भैरव उत्पात ना मचाएं और लोगों को परेशान ना करें।

मंदिर में केवड़े के फूलों का बगीचा है, इसलिए नाम पड़ा केवड़ा स्वामी मंदिर

यह मंदिर आगर-मालवा के सबसे बड़े तालाब मोती सागर के समीप स्थित है। तालाब के पास मंदिर होने से यह और भी अधिक मनोहारी लगता है। मंदिर के समीप ही केवड़े के फूलों का बगीचा है, यहां केवड़े की खुशबू आती रहती है। इतनी अधिक मात्रा में केवड़े होने के कारण ही इस मंदिर का नाम भी केवड़ा स्वामी मंदिर पड़ा। आज भी लोग यहां केवड़ा स्वामी के नाम से ही भैरव महाराज के मंदिर को जानते है।

पूर्णिमा और अष्टमी को दर्शन के लिए आते हैं दर्शनार्थी

प्रतिवर्ष भैरव पूर्णिमा व अष्‍टमी पर बडी संख्‍या में यहां दर्शनार्थी आते हैं। ये दर्शनार्थी मंदिर परिसर में ही दाल-बाटी बनाते हैं, भगवान को भोग लगाते हैं। इसके अलावा यहां आने वाले बहुत से भक्‍त भैरव बाबा को मदिरा का भी भोग लगाते हैं। भैरव महाराज के मंदिर में दूल्हा-दुल्हन की भी काफी भीड़ दिखाई देती है। जिन लोगों के कुलदेवता भैरव हैं, वे भी अपने नवविवाहित बच्चों को यहां आशीर्वाद दिलवाने के लिए लाते हैं।

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