Balaji Surya Mandir Mihona: इस मंदिर के कुंड का पानी दूर करता है सभी चर्म रोग, 5 रविवार जाने से होती है हर मान्यता पूरी
Balaji Surya Mandir Mihona: भिंड। भारत मंदिरों का देश है। यहां हर शहर, गांव और कस्बे में कोई न कोई प्रसिद्ध मंदिर अवश्य मिलेगा। मध्य प्रदेश में भी ऐसे बहुत सारे मंदिर हैं परन्तु मिहोना स्थित सूर्य मंदिर इन सबसे अलग है। लगभग 11वीं सदी के आसपास बने इस मंदिर के लिए माना जाता है कि यहां पर दर्शन करने और कुंड का जल ग्रहण करने से चर्म रोग सही होते हैं।
आज से हजार वर्ष पूर्व बना था मंदिर, जानिए बालाजी सूर्य मंदिर का इतिहास
भिंड जिला मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर की दूरी पर मिहोना एवं बंथरी के मध्य में बालाजी सूर्य मंदिर (Balaji Surya Mandir Mihona) है। यह मंदिर 11वीं सदी का बताया जाता है, इसकी स्थापना राजा विकल देव के पुत्र इंद्रदेव ने कराई थी। यहां पर दर्शन के लिए रविवार के दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। मंदिर में एक कुंड भी है जिसके लिए मान्यता है कि यहां पर छजनिया चढ़ाने और यहां के कुंड के जल से चर्म रोग ठीक हो जाता है। स्थानीय लोग बताते हैं कि पहले बालाजी सूर्य भगवान की स्थापना चबूतरे पर कराई गई थी। संवत 1957 में संत हरिदास महाराज के नेतृत्व में मंदिर का निर्माण हुआ था। जिसके बाद रविवार के दिन मेला लगने लगा जो अनवरत जारी है।
कुंड के जल से चर्म रोग ठीक होने की मान्यता
भक्तों और श्रद्धालुओं की ऐसी मान्यता है कि बालाजी सूर्य मंदिर में पांच रविवार तक जो भी श्रद्धालु आते हैं, उनके दुख दर्द दूर होकर सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। बताया जाता है कि यहां स्थापित कुंड का जल पीने एवं शरीर में स्पर्श करने से सभी प्रकार के चर्म रोग ठीक हो जाते हैं। साथ ही रविवार के दिन जो श्रद्धालु यहां आते हैं, वे मंदिर में छजनिया नाम की वस्तु को चढ़ाते हैं जो मंदिर परिसर में लगे मेले में ही उपलब्ध हो जाती है।
रंग पंचमी से एक महीने के लिए लगता है वार्षिक मेला
बालाजी सूर्य मंदिर (Balaji Surya Mandir Mihona) पर प्रतिवर्ष होली के बाद रंग पंचमी पर यहां एक विशाल मेले का आयोजन होता है जो एक महीने तक चलता है। इस मेले में घर गृहस्थी के सामान के साथ-साथ खाने पीने की सामग्रियों की भी कई दुकानें सजाई जातीं हैं। इनमें विशाल झूले भी लगाए जाते हैं। मेले को देखने के लिए भिंड के अलावा दूर दराज के अंचलों एवं अन्य प्रांतों से भी हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
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