सनातन हिंदू एकता पदयात्रा कर हिंदुओं को जगाएंगे धीरेंद्र शास्त्री, बागेश्वर बाबा ने लिया इतना बड़ा संकल्प
Bageshwar Dham Hindu Ekta Yatra छतरपुर: हिंदुओं को जगाने के लिए बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री 21 से 29 नवंबर तक 'सनातन हिंदू एकता पदयात्रा' निकालने जा रहे हैं। सनातन हिंदू एकता पदयात्रा (Dhirendra Shastri on Hindu Dharma) छतरपुर स्थित बाबा बागेश्वर धाम से राम राजा सरकार ओरछा तक निकाली जाएगी। इस पदयात्रा की तैयारियों को लेकर एक खास बैठक में पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि इस यात्रा का मुख्य ध्येय भारतीय सनातन संस्कृति में एक नया अध्याय जोड़ना है जो जात-पात और अमीर-गरीब के बंधन से मुक्त हो। इसके माध्यम से हिंदू समाज को जगाने का प्रयास किया जाएगा।
धीरेंद्र शास्त्री की हिंदू सनातन एकता यात्रा
बता दें कि बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की हिंदू सनातन एकता यात्रा (Sanatan Hindu Ekta Padayatra) 21 नवंबर से शुरू होगी। बाबा बागेश्वर 160 किलोमीटर पैदल चलकर ओरछा रामराजा सरकार के मंदिर में यात्रा का समापन करेंगे। इस यात्रा में बाबा बागेश्वर धीरेंद्र शास्त्री यह संकल्प लेने वाले हैं कि जब तक हिंदू जात-पात नहीं छोड़कर एकता के सूत्र में नहीं बधेंगे, तब तक वह पैरों में खाड़ाऊं नहीं पहनेंगे।
#Chhatarpur :- हिंदूओं में जात-पात को मिटाने के लिए धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री 160 किलोमीटर पैदल चलकर ओरछा रामराजा सरकार के मंदिर जाएंगे
बाबा बागेश्वर ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि इस सनातन यात्रा में सभी धर्मों के लोग शामिल हो सकते हैं, चाहे वह मुसलमान हों या फिर ईसाई।… pic.twitter.com/IwEKVk3MTB
— MP First (@MPfirstofficial) November 18, 2024
पदयात्रा में धीरेंद्र शास्त्री नहीं पहनेंगे फूल माला
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा है कि वे इस पद यात्रा में फूल माला नहीं पहनेंगे। उन्होंने कहा कि इस सनातन यात्रा में सभी धर्मों के लोग शामिल हो सकते हैं, चाहे वह मुसलमान हों या फिर ईसाई। बाबा बागेश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Bageshwar Dham Hindu Ekta Yatra) ने कहा, "इस देश में रहने वाले सभी धर्मों के लोग पहले हिंदू ही थे, बाद में वह कन्वर्ट हो गए। वह किसी भी धर्म के लोगों को यात्रा के लिए पीले चावल नहीं देंगे। इस बार संकल्प बहुत बड़ा है। जब तक वह हिंदुओं को जगा नहीं देंगे, तब तक यात्रा करते रहना है। क्योंकि यदि एक नहीं हुए तो बांग्लादेश जैसा हिंदुओं का हाल होगा।"
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