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Burhanpur Mela News: यहां लगता है जगदंबा और शिव बाबा का अनोखा मेला, वो चमत्कारी पत्थर आज भी है मौजूद!

Burhanpur Mela News: बुरहानपुर। जिला मुख्यालय से 55 किमी दूर आदिवासी बहुल धुलकोट क्षेत्र के ग्राम पंचायत सुक्ता के गंभीरपुरा गांव में निमाड़ के प्रसिद्ध मॉ जगदंबा देवी और शिव बाबा मेले का आगाज हो गया। यह मेला 12 दिवसीय...
08:12 PM Feb 06, 2025 IST | Pushpendra

Burhanpur Mela News: बुरहानपुर। जिला मुख्यालय से 55 किमी दूर आदिवासी बहुल धुलकोट क्षेत्र के ग्राम पंचायत सुक्ता के गंभीरपुरा गांव में निमाड़ के प्रसिद्ध मॉ जगदंबा देवी और शिव बाबा मेले का आगाज हो गया। यह मेला 12 दिवसीय रहता है। यहां बड़ी संख्या में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक सहित अन्य राज्यों से भक्त पहुंचते हैं। इस मेले की खासियत यह है कि यहां हजारों क्विंटल मिठाई प्रसादी के रूप में चढ़ाई जाती है।

परिसर में पुराना चमत्कारी पत्थर

माता और बाबा की कृपा से मंदिर या मेला परिसर में चींटी, मकोड़ा या मक्खी तक नहीं मंडराती है। मंदिर परिसर में करीब 300 साल पुराना चमत्कारी पत्थर है। यह भारी-भरकम वजन का है। यह पत्थर भक्तों के लिए आस्था का केंद्र बन गया है। दरअसल, यह कोई सामान्य पत्थर नहीं है बल्कि बेहद चमत्कारी है। मान्यता है कि कितना ही ताकतवर या चतुर व्यक्ति क्यों ना हो, इसे कोई अपनी जगह से उठा भी नहीं पाता है। लेकिन, 11 लोग मिलकर मां जगदंबा देवी और शिव बाबा का नाम लेकर 70 किलाे वजनी पत्थर को एक-एक अंगुली से उठा लेते हैं।

अंगुली पर उठा लेते हैं पत्थर

इस चमत्कारी पत्थर की प्रसिद्धि पूरे देश में विख्यात है। पत्थर एक व्यक्ति क्यों नहीं उठा सकता, इसका जवाब तो किसी के पास नहीं है। कुछ श्रद्धालु आपस में मिलकर पत्थर के चारों ओर खड़े होकर मॉ जगदंबा और शिव बाबा का नाम लेते हैं। एक अंगुली लगाकर पत्थर को बेहद आसानी उठा लेते हैं। यह अद्भुत दृश्य देखने के 12 दिवसीय मेले में करीब 5 लाख श्रद्धालु पहुंचते हैं।

पत्थर की यह है मान्यता

मंदिर के पुजारी मेरचंद पवार ने बताया कि इस पत्थर को 300 साल पहले भगवान शिव के एक भक्त ने यहां लाकर स्थापित किया था। देखते ही देखते यह चमत्कारी पत्थर बन चुका है। इस पत्थर की एक और विशेषता यह है कि इसके अंदर पानी संग्रहित होता है। आमतौर पर बारिश के दिनों में पानी को चमत्कारी माना जाता है। श्रध्दालु इस पत्थर से बहने वाले पानी का सेवन करते हैं। इससे कई तरह के रोगों से निजात मिलने का दावा किया जाता है। बसंत पंचमी से मेला शुरू होता है और चार दिनों में एक लाख से ज्यादा भक्त दर्शन कर चुके हैं। यह पत्थर भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है।

(बुरहानपुर से सोनू सोहले की रिपोर्ट)

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