Constitution Day 2024: ग्वालियर की सेंट्रल लाइब्रेरी में आज भी मौजूद है संविधान की मूल प्रति, साल में सिर्फ तीन दिन ही कर सकते हैं दर्शन
Constitution Day 2024: ग्वालियर। आज पूरा देश संविधान दिवस मना रहा है। संविधान से जुड़ी एक अहम बात आज हम आपके लिए यहां पर बताने वाले हैं। बता दें कि भारत का संविधान तैयार होने के बाद उस संविधान की मूल प्रति की एक कॉपी ग्वालियर के सेंट्रल लाइब्रेरी में भी भेजी गई थी। उसको आज तक सहेजकर रखा गया है। संविधान की इस प्रति में देश के पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद और पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू सहित संविधान सभा के सदस्यों के हस्ताक्षर हैं। संविधान लागू होने के समय देश भर में कुल 16 मूल प्रतियां जारी की गई थीं। भारत सरकार ने एक मूल प्रति सिंधिया राजवंश को दी थी, जो आज भी ग्वालियर की सेंट्रल लाइब्रेरी में सुरक्षित रखी हुई है।
संविधान को देखने पहुंचते हैं लोग
आज पूरा देश संविधान दिवस का जश्न मना रहा है। आज ही के दिन भारत में संविधान लागू हुआ था। संविधान के बारे में सब ने सुना है लेकिन कम ही लोग होगे जिन्होंने संविधान की मूल प्रति को देखा होगा। आपके भी मन में उसे देखने की उत्सुकता होगी। अगर आप असली मूल संविधान को देखना चाहते हैं तो इसके लिए आपको जाना होगा ग्वालियर की सेंट्रल लाइब्रेरी में। यहां संविधान की मूल प्रति आज भी मौजूद है। 31 मार्च 1956 को यह प्रति यहां लाई गई थी। उस वक्त देश के अलग-अलग हिस्सों में संविधान की कुल 16 मूल प्रतियां भेजी जा रही थीं। ग्वालियर मध्य प्रदेश के उन इकलौते शहरों में था, जहां इस मूल प्रति को भेजा गया। संविधान की मूल प्रति ग्वालियर सेंट्रल लाइब्रेरी की शान में चार चांद लगा रही है।
आवरण पृष्ठ पर स्वर्ण अक्षर
यह प्रति कई मायनों में खास है। इसके आवरण पृष्ठ पर स्वर्ण अक्षर अंकित हैं। प्रति में कुल 231 पेज हैं और इसमें संविधान के अनुच्छेद 344 से लेकर 351 तक उल्लिखित हैं। इतना ही नहीं संविधान सभा के 285 सदस्यों के मूल हस्ताक्षर भी इस प्रति में हैं। इनमें बाबा साहब भीमराव अंबेडकर से लेकर डॉ. राजेंद्र प्रसाद और फिरोज गांधी तक शामिल हैं। मूल प्रति में दर्ज हर अनुच्छेद की शुरुआत में प्रतीकात्मक एक विशेष चित्र प्रकाशित किया गया है।
संविधान की खास बातें
अगर हम भारतीय संविधान के निर्माण पर नजर डालें तो हम पाते है कि संविधान निर्माण के लिए 29 अगस्त 1947 को ड्राफ्टिंग का गठन हुआ। लगभग दो साल बाद 26 नवंबर 1949 पूर्ण रूप से संविधान तैयार हो गया। संविधान के निर्माण में कुल 284 सदस्यों का सहयोग रहा। संसदीय समिति ने इसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया। उस समय इसकी मूल प्रतियां बनाई गई थीं, जिनमें से एक प्रति आज भी ग्वालियर की सेन्ट्रल लाइब्रेरी में रखी हुई है।
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