Gwalior Digital Arrest: अब तक का सबसे बड़ा डिजिटल अरेस्ट, BSF इंस्पेक्टर को 32 दिन घर में कैद कर 71 लाख की ठगी
Gwalior Digital Arrest Case ग्वालियर: मध्य प्रदेश के ग्वालियर में अब तक का सबसे बड़ा डिजिटल अरेस्ट का मामला सामने आया है। इस बार साइबर ठग ने देश की सुरक्षा में सीमा पर तैनात रहने वाले प्रहरी को अपना शिकार (Cyber Fraud in Gwalior) बनाया है। साइबर ठगों बीएसएफ इंस्पेक्टर को उसके ही घर में 32 दिन तक कैद कर रखा था। ठगों ने खुद को मुंबई साइबर और क्राइम ब्रांच ऑफिसर बता कर बीएसएफ टेकनपुर के इंस्पेक्टर से 71 लाख ठग लिए। क्या है पूरा मामला और डिजिटल अरेस्ट से बचने के लिए क्या सावधानी बरतें आइए विस्तार से जानते हैं।
ग्वालियर में अब तक का सबसे बड़ा डिजिटल अरेस्ट
जानकारी के अनुसार, बीएसएफ के जवान को 32 दिन तक डिजिटल अरेस्ट (BSF inspector digital arrest) कर रखा गया। पीड़ित इंस्पेक्टर का नाम अवसार अहमद है। अवसार अहमद वर्तमान में बीएसएफ टेकनपुर में इंस्पेक्टर की पद पर पदस्थ है। साइबर फ्रॉड के जाल में बुरी तरह से फंसा इंस्पेक्टर इतना भयभीत हो गया कि इस मकड़जाल से बाहर निकलने के लिए अपनी पुश्तैनी जमीन तक का सौदा कर दिया।आखिरकार पीड़ित इंस्पेक्टर ने इसकी जानकारी ग्वालियर एसपी को दी। इसके बाद पुलिस ने ठगी का मामला दर्ज कर इसकी जांच शुरू की।
2 दिसंबर को मोबाइल पर व्हाट्सएप कॉल
उत्तर प्रदेश के फतेहपुर के मंडाव मऊ निवासी पीड़ित इंस्पेक्टर ने पूछताछ के दौरान पुलिस अधिकारियों को बताया, "2 दिसंबर को सुबह मेरे मोबाइल पर व्हाट्सएप कॉल आया था। कॉल करने वाले ने खुद को मुंबई साइबर और क्राइम ब्रांच का ऑफिसर बताया। उसने कहा कि आपकी खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तारी वारंट है। आपके इस नंबर पर कई केस चल रहे हैं। कई जगह आपके मोबाइल का दुरुपयोग भी हुआ है। मुंबई क्राइम ब्रांच के ऑफिसर बनकर बात कर रही टीम ने कहा कि कोर्ट से पूरे परिवार को डिजिटल अरेस्ट करने के आदेश हैं।"
सबसे पहले 15 लाख रुपए की डिमांड
हालांकि, बीएसएफ इंस्पेक्टर कहा कि उसने ऐसा कुछ नहीं किया है, लेकिन साइबर ठगों ने कहा कि आपसे बातचीत का हर वीडियो और ऑडियो रिकॉर्ड हो रहा है। यदि किसी को भी इसके बारे में बताया तो आपके बच्चों को और परिवार की सभी सदस्यों को एक साथ अरेस्ट किया जाएगा। बीएसएफ टेकनपुर में अकेले रहने के चलते बीएसएफ इंस्पेक्टर बिल्कुल घबरा गए और साइबर ठगों की पूरी बात मानते गए। इसके बाद सबसे पहले 15 लाख की रकम मांगी गई। साथ ही कहा गया कि आपके पैसों की जांच होगी। यदि आप गलत नहीं हैं तो केस क्लोज होते ही पूरा पैसा आपके खाते में वापस आ जाएगा।
34 ट्रांजेक्शन कर 71 लाख रुपए ट्रांसफर
साइबर ठगों के जाल में फंस चुके बीएसएफ इंस्पेक्टर ने रुपए (Gwalior Biggest Digital Arrest Case) देने के लिए दिल्ली में स्थित एक फ्लैट और अपनी पुश्तैनी जमीन बेचने का सौदा कर एडवांस लिया। इसके अलावा अपने मित्रों और रिश्तेदारों से भी कुछ रकम उधार लेकर बताए गए बैंक अकाउंट में ट्रांसफर किया। इंस्पेक्टर इतना डर गया था कि 32 दिन तक लगातार पैसे ट्रांसफर करता रहा और ठगों की बात मानता रहा।
मामला दर्ज कर जांच में जुटी क्राइम ब्रांच की टीम
वहीं, इस पूरे मामले में पुलिस अधिकारियों का कहना है कि बीएसएफ के इंस्पेक्टर को डिजिटल अरेस्ट (Gwalior Digital Arrest Case) करने का मामला सामने आया है। एक महीने तक लगातार रुपए ठगने की शिकायत दर्ज हुई है। क्राइम ब्रांच की टीम अब यह जांच कर रही है कि उनके द्वारा किन-किन खातों में पैसा ट्रांसफर किया गया है। पुलिस का कहना है कि जल्द ही आरोपियों को गिरफ्तार कर इस पूरे मामले का खुलासा किया जाएगा।
क्या है डिजिटल अरेस्ट?
बता दें कि, शातिर साइबर फ्रॉड किसी भी गंभीर मामले में गिरफ्तारी का डर दिखाकर आपको आपके घर में ही कैद (What is Digital Arrest) कर लेते हैं। इसके लिए साइबर फ्रॉड वीडियो कॉल के जरिए अपना बैकग्राउंड किसी पुलिस स्टेशन के जैसे दिखते हैं। वीडियो कॉल पर आपको बिल्कुल भी विश्वास नहीं होगा कि ये पुलिस के अधिकारी नहीं हैं। पुलिस के अनुसार साइबर ठग इस दौरान ऑनलाइन मॉनिटरिंग भी करते हैं ताकि परिवार का कौन सदस्य कहां जा रहा है। हालांकि, गंभीर से गंभीर मामले में कानून में अभी डिजिटल अरेस्ट करने का प्रावधान नहीं है।
साइबर ठगी का शिकार होने पर क्या करें?
बता दें कि, साइबर ठगी का शिकार होने से बचना चाहते हैं तो सबसे पहले अनजान नंबर से कॉल आए तो बेहद सावधानी बरतें। अपनी डिटेल्स न बताएं। अगर साइबर ठगी का शिकार (Cyber Fraud in MP) हो जाते हैं तो सबसे पहले इसकी शिकायत www.cybercrime.gov.in राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर दर्ज कराएं। इसके अलावा NCRP- 1930 और क्राइम ब्रांच हेल्पलाइन नंबर- 7049124445 पर भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
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