MP Mohan Yadav Govt: राज्य की मोहन यादव सरकार के कार्यकाल की पहली वर्षगांठ- भाजपा ने बताई उपलब्धियां तो कमलनाथ ने उठाए सवाल
MP Mohan Yadav Govt: छिंदवाड़ा। मध्य प्रदेश की डॉ. मोहन यादव सरकार की सरकार के कार्यकाल का पहला वर्ष आज शुक्रवार, 13 दिसंबर 2024 को पूरा हो गया है। मोहन यादव के इस एक साल के कार्यकाल को भाजपा 'स्वर्णिम कार्यकाल' बता रही है। इस एक वर्ष में सरकार और पार्टी ने कई नए कीर्तिमान स्थापित किए तो कुछ जगहों पर आशानुरूप सफलता पाने से भी चूक गए। मोहन यादव सरकार के इस एक वर्ष के कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि छिंदवाड़ा सांसद सीट पर विजय प्राप्त करना माना जा रहा है।
मोहन सरकार के नेतृत्व में ही ढहाया कमलनाथ का मजबूत गढ़
मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा लोकसभा सीट को जीतना बीजेपी की एक महत्वाकांक्षी इच्छा थी। कमलनाथ का गढ़ गिराने की पुरजोर कोशिशों भाजपा काफी लंबे समय से कर रही थी और आखिरकार मोहन सरकार (MP Mohan Yadav Govt) के नेतृत्व में भाजपा ने छिंदवाड़ा का किला फतह कर ही लिया। हालांकि सांसद चुनाव के दौरान भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा हो और देश के गृहमंत्री अमित शाह से लेकर मुख्यमंत्री तक ने अपनी पूरी ताकत छिंदवाड़ा की सांसद सीट जिताने के लिए लगा दी थी। इस दौरान मुख्यमंत्री ने भी छिंदवाड़ा के लगभग आठ से अधिक दौरे किए थे।
छिंदवाड़ा सांसद सीट पर कैलाश विजयवर्गीय की रणनीति आई थी काम
छिंदवाड़ा सांसद सीट पर जहां भाजपा ने विवेक बंटी साहू को टिकट देकर मैदान में उतारा था तो वही कांग्रेस से पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के पुत्र नकुलनाथ चुनावी मैदान में थे। भाजपा ने कैलाश विजयवर्गीय को छिंदवाड़ा की कमान सौंपी थी। वह कांग्रेस के कई स्थानीय नेताओं को अपनी तरफ शामिल करने में कामयाब भी हुए थे। कमलनाथ के सबसे करीबी माने जाने वाले नेताओं में एक दीपक सक्सेना सहित छिंदवाड़ा के महापौर विक्रम आहके और अमरवाड़ा कमलेश शाह भी भाजपा में शामिल हो गए थे। इन्हीं प्रयासों का फायदा भाजपा को छिंदवाड़ा सीट पर जीत के रूप में मिला।
जल जीवन मिशन में सामने आई बड़ी धांधलियां
मध्यप्रदेश में 31,000 करोड़ रूपये खर्चे वाली ‘जल जीवन मिशन’ योजना की गड़बड़ियां उजागर होना शुरू हो गई हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक़ जिन गावों में कार्य 100 फीसदी पूरा बताया गया है, वहां 40 फीसदी लोगों तक भी पानी नहीं पहुंच पा रहा है। इंदौर और भोपाल जैसे बड़े शहरों में भी योजना के नाम पर बड़ा खेल हुआ है। इंदौर क्षेत्र में तो 10 में से 9 गावों में पानी का बंदोबस्त खुद ही करना पड़ रहा है। वहीं भोपाल में भी 313 करोड़ रूपये खर्च करने के बाद भी कई गांवों/ घरों में पानी का अता-पता नहीं है। इस संबंध में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी सोशल मीडिया एक्स पर ट्वीट कर प्रदेश की मोहन यादव सरकार (MP Mohan Yadav Govt) सवाल उठाए।
हैरानी की बात है कि जनता के खून पसीने की कमाई से 31,000 करोड़ रूपये लुटा देने के बाद केन्द्र सरकार को इस योजना की जांच करने की सुध आई है, जबकि योजना पांच वर्ष पूर्व से संचालित हो रही है। व्यवस्था का आलम यह है कि मध्य प्रदेश में हर योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है। जांच भी भ्रष्टाचार का ही एक हिस्सा बन चुकी है। हमने नर्सिंग और व्यापम जैसे घोटालों में देखा है कि कैसे जांच की भी जांच करने की जरूरत पड़ी और जांच की जांच में सामने आया कि जांच रिपोर्ट भी सौदेबाज़ी का शिकार हो चुकी है।
आयुष्मान कार्ड योजना भी बनी सफेद हाथी, लोगों को फायदा नहीं
इसी तरह आयुष्मान योजना भी धीरे-धीरे सफ़ेद हाथी बनती जा रही है। मध्य प्रदेश में 196 बीमारियों को निजी अस्पतालों में इलाज से बाहर कर दिया गया है। दूसरी तरफ़ सरकारी अस्पतालों में उपचार की समुचित व्यवस्था नहीं है। मलेरिया, मोतियाबिंद का ऑपरेशन, छोटे बच्चों की बीमारी, बुजुर्गों की कई बीमारियां निजी अस्पतालों में इलाज से बाहर कर दी गई हैं। बड़ी संख्या में बीमारियों को निजी अस्पतालों में उपचार से बाहर करने से आयुष्मान कार्ड धारक उपचार कराने के लिए परेशान हो रहे हैं। मध्य प्रदेश (MP Mohan Yadav Govt) पहले से ही स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में निचले पायदान पर है और उस पर आयुष्मान कार्ड का अप्रभावी हो जाना लोक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत चिंता का विषय है।
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