Teachers Day 2024: बचपन में हुए हादसे में कटे दोनों हाथ, जुनून से बने शिक्षक और बच्चों को दे रहे शिक्षा

Teachers Day 2024: मुरैना। कहते हैं कि जब कुछ करने का जुनून हो तो मुश्किलें चाहे लाख क्यों न हो हिम्मत से जंग जीती जा सकती है। ऐसी ही एक जुनून से भरी कहानी आज आपके लिए हम लेकर आए...
teachers day 2024  बचपन में हुए हादसे में कटे दोनों हाथ  जुनून से बने शिक्षक और बच्चों को दे रहे शिक्षा

Teachers Day 2024: मुरैना। कहते हैं कि जब कुछ करने का जुनून हो तो मुश्किलें चाहे लाख क्यों न हो हिम्मत से जंग जीती जा सकती है। ऐसी ही एक जुनून से भरी कहानी आज आपके लिए हम लेकर आए हैं। जिले से लगभग 65 किलोमीटर की दूरी पर पहाड़गढ़ जनपद के अंतर्गत रामनगर गांव में पढ़ाने वाले एक दिव्यांग सरकारी शिक्षक आज सबसे दिलों पर राज कर रहे हैं। टीचर के दोनों हाथ पशुओं के लिए चारा काटने वाली मशीन से कट गए थे। हादसे के बाद उन्होंने सोच लिया कि अब मेरा पूरा जीवन पूरी तरह से थम गया है। अब मैं कुछ नहीं कर पाऊंगा लेकिन दिव्यांग प्रदीप ने अपनी सोच को सकारात्मक रखते हुए हौसले से पूरी जिंदगी की बाजी को ही पलट दिया।

बन गए सरकारी टीचर

अपनी जिद और जुनून के आगे दिव्यांग प्रदीप वह सब काम कर सकते हैं, जो सामान्य व्यक्ति करता है। केवल ड्राइविंग को छोड़कर प्रदीप छोटे बच्चों को पढ़ाता है और अपने परिवार का भरण पोषण भी करता है। इसमें खास बात यह है दिव्यांग प्रदीप ने एमपी शिक्षक भर्ती परीक्षा पास कर सरकारी शिक्षक बन गए और पहाड़गढ के गांव रामनगर में सरकारी स्कूल में बच्चों को पढ़ाते है। भले ही हादसे में टीचर ने अपने दोनों हाथ गवां दिए लेकिन उन्होंने अपना हौसला नहीं खोया। प्रदीप लैपटॉप और मोबाइल को इस तरीके से चलाते है जैसे कोई सामान्य व्यक्ति चला रहा है और पेन से इस प्रकार से अपने दोनों हाथों से लिखते है जैसे सामान्य व्यक्ति लिखा रहा हो।

घर के काम में हाथ बटाते हैं प्रदीप

टीचर के हाथ भले ही ना हों लेकिन बच्चों का भविष्य उनके हाथ में ही है। कहते हैं शिक्षक के हाथ में वर्तमान और भविष्य दोनों पलते हैं। उनकी लेखनी भी एकदम साफ है, जिसे कोई भी देख हैरान रह जाता है। इसी प्रकार से बच्चों को भी ब्लैक बोर्ड पर चौक से ऐसे पढ़ाते हैं जैसे सामान्य शिक्षक बच्चों को पढ़ाते हैं। प्रदीप बताते हैं कि वह अपनी मां के साथ खेती के कामों में भी हाथ बटाते हैं। बता दें कि प्रदीप भिंड जिले के निवासी हैं और वह इस समय मुरैना में नौकरी कर रहे हैं। हमारे देश में ऐसे कई टीचर्स मौजूद हैं जो बच्चों के भविष्य को अपने अलग तरीके से गढ़ रहे हैं।

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