Ken Betwa Link Project Protest: केन-बेतवा लिंक परियोजना का प्रभावित ग्रामीणों ने किया विरोध, 46 लाख पेड़ों का होगा विनाश

Ken Betwa Link Project Protest: खजुराहो। केन-बेतवा लिंक परियोजना के शिलान्याश से नाराज प्रभावितों ने आज 25 दिसंबर को काला दिवस मनाया।
ken betwa link project protest  केन बेतवा लिंक परियोजना का प्रभावित ग्रामीणों ने किया विरोध  46 लाख पेड़ों का होगा विनाश

Ken Betwa Link Project Protest: खजुराहो। केन-बेतवा लिंक परियोजना के शिलान्याश से नाराज प्रभावितों ने आज 25 दिसंबर को काला दिवस मनाया। जहां एक ओर पीएम मोदी बुंदेलखंड को 46 हजार 605 करोड़ रूपए की सौगात दे रहे थे, तो वहीं दूसरी ओर प्रभावित ग्रामीणों ने विरोध किया। परियोजना स्थल जहां पर ढोंडन बांध बनाया जाना हैं, वहां पर लोग एकजुट होकर परियोजना को विरोध किया।

अर्थी पर लेटकर परियोजना का विरोध

आम आदमी पार्टी नेता अमित भटनागर ने बताया कि पलकोहा ग्राम निवासी पूर्व सरपंच चूरा अहिरवार ने अर्थी पर लेटकर परियोजना का विरोध किया। उनके साथ पूरा गांव साथ रहा। इस योजना में बहुत बड़ा पर्यावरणीय विनाश होने से लोगों में नाराजगी है। इस प्रोजेक्ट से 46 लाख पेड़ काटे जाना हैं और यह योजना 22 गांवों के त्याग पर खड़ी है। सरकार, सुप्रीम कोर्ट, NGT के सुझाव की अनदेखी कर रही है। ना तो यहां पर ग्राम सभाएं आयोजित हो रही हैं और और ना ही आदिवासियों का मुआवजा उन्हें मिल रहा हैं बल्कि सरकारी कर्मचारी और दलालों द्वारा दूसरों के खातों में डाला जा रहा है। पीड़ितों की राशि का बंदरबाट किया जा रहा है।

कोर्ट में चल रहा केस

सूत्रों के मुताबिक, इस मामले का कोर्ट में केस चल रहा है। अगर सरकार केस हार जाती है तो पैसा बर्बाद होगा। अमित बोले यह योजना विकास नहीं विनाश लाएगी। बुंदेलखंड के जल संकट का स्थायी हल निकालना चाहिए। पारंपरिक जल स्रोतों और जल ग्रहण क्षमता को बढ़ाएं और जल श्रोतों के संरक्षण पर ध्यान देना चाहिए।

प्रदर्शनकारियों की ये हैं मांगें

1. परियोजना पर रोक:
- जब तक सुप्रीम कोर्ट और NGT का अंतिम निर्णय नहीं आता, परियोजना का काम रोका जाए।

2. फर्जी ग्राम सभाओं की जांच:
- स्वतंत्र एजेंसी से ग्राम सभाओं और सहमति के झूठे दावों की जांच कराई जाए।

3. पुनर्वास और मुआवजा:
- सभी प्रभावित परिवारों को उचित मुआवजा और पुनर्वास दिया जाए।
- मुआवजे में हुई अनियमितताओं के दोषियों पर कार्रवाई की जाए।

4. पर्यावरणीय और सामाजिक समीक्षा:
- केंद्रीय सशक्त समिति (CEC) की रिपोर्ट के आधार पर परियोजना की पुनः समीक्षा की जाए।

ग्रामीणों ने दी विरोध जारी रहने की चेतावनी

प्रभावितों ने स्पष्ट किया कि यदि उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो उनका विरोध और तेज होगा। परियोजना की वास्तविकता और इसके विनाशकारी प्रभावों को देशभर में उजागर किया जाएगा। प्रदर्शनकारीयों का कहना था कि हम शांतिपूर्ण आंदोलन करेंगे लेकिन अपने अधिकारों और पर्यावरण की रक्षा के लिए लड़ाई जारी रखेंगे। परियोजना प्रभावित धोड़न गांव के गौरीशंकर यादव ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि यह लड़ाई हम सबके अधिकारों की ही नहीं बल्कि आने वाली पीड़ियों के भविष्य बचाने की भी है।

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