Dhumavati Temple Datia: इस मंदिर में सुहागन स्त्रियां नहीं कर सकती देवी मां के दर्शन, नमकीन का लगता है भोग

Dhumavati Temple Datia: दतिया। भारतीय शाक्त परंपरा में दस महाविद्याओं की आराधना का विधान बताया गया है। इनमें से कुछ की साधना श्मशान में होती है तो कुछ की साधना मंदिर में होती है और कुछ देवियों की साधना घर...
dhumavati temple datia  इस मंदिर में सुहागन स्त्रियां नहीं कर सकती देवी मां के दर्शन  नमकीन का लगता है भोग

Dhumavati Temple Datia: दतिया। भारतीय शाक्त परंपरा में दस महाविद्याओं की आराधना का विधान बताया गया है। इनमें से कुछ की साधना श्मशान में होती है तो कुछ की साधना मंदिर में होती है और कुछ देवियों की साधना घर और श्मशान दोनों जगह की जा सकती है। दस महाविद्याओं में एक मां धूमावती की पूजा तंत्रोक्त विधान से तथा श्मशान या किसी निर्जन स्थान पर की जाती है। परन्तु मध्य प्रदेश के दतिया में एक मंदिर है जहां पर मां पीतांबरा के साथ ही मां धूमावती भी विराजमान हैं। इसे तांत्रिक शक्तिपीठ भी कहा जाता है।

यहां एक साथ होती है मां पीतांबरा और मां धूमावती की पूजा

इस मंदिर में भक्तों का सदैव तांता लगा रहता है। विशेषकर नवरात्रि के मौके पर नजारा कुछ ऐसा होता है कि पांव रखने की भी जगह नहीं रहती। मध्य प्रदेश के दतिया स्थित विश्व प्रसिद्ध देवी तांत्रिक शक्तिपीठ मां पीतांबरा मंदिर में देवी मां पीतांबरा और मां धूमावती की एक साथ आराधना होती है। नवरात्रि के मौके पर मंदिर में स्थित देवी पीतांबरा माता के दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु कतारबद्ध होते हैं तो वही देवी मां धूमावती के दर्शनों के लिए भी लंबी लाइन लगती हैं।

Dhumavati Temple Datia

चीन-भारत युद्ध में विजय के लिए किया था धूमावती यज्ञ

मां पीतांबरा को सियासत की देवी कहा जाता है तो वही देवी मां धूमावती तंत्र साधना की प्रमुख देवी है। माता धूमावती को नमकीन का प्रसाद लगता है जिसमें मंगोड़ी, पकौड़ी, कचौड़ी, बेसन से निर्मित नमकीन आदि प्रमुख है। देवी मां धूमावती की स्थापना मंदिर के पीठाधीश्वर स्वामी जी महाराज ने उसी समय कराई थी जब उन्होंने राष्ट्र रक्षा के लिए मंदिर (Dhumavati Temple Datia) में बड़ा यज्ञ आयोजित किया था। भारत पर चीन ने घुसपैठ करते हुए सीमाओं पर कब्जा करने का प्रयास किया था तब मध्य प्रदेश के दतिया में स्थित देवी मां पीतांबरा मंदिर के पीठाधीश्वर स्वामी जी महाराज ने सन 1962 में राष्ट्र रक्षा के लिए मां धूमावती का आह्वान किया और तंत्र साधना विधान से एक बड़े यज्ञ का आयोजन किया।

सौभाग्यवती स्त्रियां नहीं कर सकती है मां धूमावती के दर्शन

वर्तमान समय में यह प्राचीन यज्ञशाला धूमावती मंदिर के ठीक सामने स्थित है। आपको बता दें कि मां धूमावती के दर्शन सौभाग्यवती स्त्रियों के लिए वर्जित हैं। मां धूमावती के मंदिर में सदैव पर्दा पड़ा रहता है। यहां पर के एक निश्चित समय पर ही होते हैं। मां धूमावती मंदिर में हमेशा पर्दा पड़ा हुआ रहता है। देवी धूमावती मंदिर सहित मंदिर के पहुंच मार्ग पर सौभाग्यवती स्त्रियों को दर्शन न करने की मनाही के निर्देश बोर्ड चारों तरफ लगे हुए हैं।

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