Ratangarh Mata Mandir: इस मंदिर में पूरी होती हैं सभी मनोकामनाएं, शिवराज सिंह ने भी चढ़ाया था 51 किलो का घंटा
Ratangarh Mata Mandir: दतिया। मध्य प्रदेश के दतिया जिले से करीब 65 किलोमीटर दूर पहाड़ों और जंगलों के बीच स्थित रतनगढ़ वाली माता का मंदिर लाखों भक्तों की श्रद्धा का केंद्र है। यह मंदिर अपने चमत्कारों और लोककथाओं के लिए विख्यात है। यहां आने वाले भक्तों से चमत्कारों की अनेकों कहानियां सुनी जा सकती हैं। यही वजह है कि लोग अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं और उनके पूरा होने पर मां को शीश नवाना नहीं भूलते।
शूरवीर राजा रतनसेन से जुड़ा है मंदिर का इतिहास
रतनगढ़ वाली माता को शूरवीर राजा रतनसेन की पुत्री माना जाता है। लोककथाओं के अनुसार माता के नाम रतनगढ़ का संबंध उनके इस क्षेत्र में किए गए अद्भुत कार्यों से है। कहा जाता है कि माता ने इस क्षेत्र को चमत्कारिक रूप से संकटों से मुक्त किया था और लोगों के दुख दूर किए। उनके नाम और महिमा के कारण ही यह स्थान रतनगढ़ के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चढ़ाया था 51 किलो का घंटा
रतनगढ़ वाली माता (Ratangarh Mata Mandir) के भक्तों के बीच कई चमत्कारों की कहानियां सुनने को मिलती हैं फिर चाहे असाध्य बीमारियां दूर करना हो या संकट के समय सुरक्षा की अनुभूति। माता के दरबार में आने वाले हर भक्त को उनकी कृपा प्राप्त होती है। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी माता के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करते हुए यहां 51 किलोग्राम वजन वाला का विशाल घंटा चढ़ाया था। कहा जाता है कि मां ने उनकी एक मनोकामना पूर्ण की थी, जिस पर उन्होंने मां को यह घंटा अर्पित किया था। भक्तों के अनुसार यह घंटा मंदिर की दिव्यता और माता के प्रति उनकी असीम श्रद्धा का प्रतीक है।
यहां मिलता है भक्तों को विश्वास और सुरक्षा का आश्वासन
दतिया स्थित रतनगढ़ माता के मंदिर (Ratangarh Mata Mandir) तक पहुंचने के लिए करीब 65 किलोमीटर का रास्ता तय करना होता है। यहां तक सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है। यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है बल्कि यह स्थान भक्तों के जीवन में नई उम्मीद और शक्ति भी प्रदान करता है। माता के आशीर्वाद से हर भक्त अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का अनुभव करता है। यह स्थान हमें सिखाता है कि विश्वास और समर्पण से बड़े से बड़ा संकट भी दूर किया जा सकता है।
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