Ravan Vadh News: रावण वध की अनोखी परंपरा, मिट्टी के मटको से बने रावण, कुंभकरण और मेघनाथ का पत्थरों से किया वध

Ravan Vadh News: आगर मालवा। जिले के तनोडिया गांव में रावण वध की अनोखी परंपरा देखने को मिलती है। इस गांव में रावण को पत्थरों से मारने की सैकड़ों साल पुरानी परंपरा को आज भी मनाया जाता है। तनोडिया गांव...
ravan vadh news  रावण वध की अनोखी परंपरा  मिट्टी के मटको से बने रावण  कुंभकरण और मेघनाथ का पत्थरों से किया वध

Ravan Vadh News: आगर मालवा। जिले के तनोडिया गांव में रावण वध की अनोखी परंपरा देखने को मिलती है। इस गांव में रावण को पत्थरों से मारने की सैकड़ों साल पुरानी परंपरा को आज भी मनाया जाता है। तनोडिया गांव में शारदीय नवरात्रि के बाद दशहरे पर मिट्टी के मटकों से रावण, कुंभकरण एवं मेघनाथ के प्रतीक को बनाया जाता है। दशहरा पर्व पर शाम को गांव के बड़ा मंदिर से एक शोभायात्रा निकाली जाती है। यह यात्रा नगर के प्रमुख मार्ग से होते हुए रावण टेकरी पर पहुंचती है।

रावण टेकरी पर रस्म निभाई जाती है

रावण टेकरी पर पहुंचने के बाद परंपरा अनुसार गांव के राव राजेंद्र सिंह दरबार द्वारा श्री राम की पूजा की जाती है। इसके बाद पहले कु. माधवराज सिंह राव द्वारा मटको से बने रावण ,कुंभकरण और मेघनाथ पर लकड़ी से वार किया गया। उसके बाद ग्रामवासियों द्वारा पत्थरों से रावण का वध कर इस अनूठी परंपरा का निर्वहन किया जाता है। यह परंपरा कब से और क्यों मनाई जाती है, इस बारे में कोई ठोस जानकारी ग्रामीणों को नहीं है। उसके बावजूद हर साल धूमधाम से पूरे हर्षोल्लास से इस परंपरा को निभाया जाता है।

शोभायात्रा का किया जाता है आयोजन

गांव से निकाली जाने वाली शोभायात्रा का जगह-जगह स्वागत किया जाता है। मुस्लिम समाज द्वारा शोभा यात्रा में सम्मिलित सभी नागरिकों का इत्रपान और सौंप, सुपारी से स्वागत किया जाता है। शोभा यात्रा में काफी संख्या में ग्रामीण जन व बच्चे भी शामिल होते हैं। रावण वध के बाद एक-दूसरे को विजयदशमी पर्व की शुभकामनाएं व बधाई दी जाती हैं। विजयदशमी के दिन लोग एक दूसरे को पान खिलाकर दशहरे की राम-राम बोलते हैं। यह संस्कृति देश में आज भी जीवित है।

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