Bharat Band Inside Story: भारत आज क्यों है 'बंद' और क्या है इसके पीछे की इनसाइड स्टोरी? समझिए पूरा गणित
Bharat Band Inside Story: विविधताओं से भरे हमारे देश भारत में प्रतिदिन कुछ न कुछ ऐसा होता रहता है जो हमें सोचने पर मजबूर कर देता है कि 'ये क्या चल रहा है...'। हाल के वर्षों में हम कई बार 'भारत बंद' के बारे में सुन चुके हैं और ये बदस्तूर जारी है। ऐसा नहीं है कि यह पहले नहीं होता था, लेकिन अब 'बंद' ऐसा प्रतीत होता है मानो कोई ताला हो और जिसकी ढेर सारी चाबियां बांट दी गई हों। जब जिसका मन किया ताले में चाबी लगाई और 'भारत बंद'। आगे बढ़ने से पहले ये समझ लेते हैं कि बुधवार 21 अगस्त को भारत आखिर बंद क्यों है?
आसान भाषा में समझिए पूरा मामला
देश की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट नौकरियों में आरक्षण देने के लिए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग को सब कैटेगरी में आरक्षण दिए जाने की मांग लंबे समय से चल रही थी। 1 अगस्त को 7 जजों की पीठ ने बड़ा फैसला सुनाते हुए एससी-एसटी वर्ग के बीच अलग-अलग श्रेणी बनाने के लिए राज्य सरकारों को छूट दे दी थी। हालांकि, कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि राज्यों के पास ये सीधे करने का अधिकार नहीं होगा, केवल राष्ट्रपति ये अधिसूचित कर सकेंगे। कोर्ट का तर्क था कि आरक्षण का सर्वाधिक फायदा इसके असल जरूरतमंद लोगों को मिलना चाहिए।
क्यों हो रहा है कोर्ट के फैसले का विरोध?
भारत बंद का समर्थन करने वाले लोगों का तर्क है कि कोर्ट से इस फैसले से दलित और आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों का हनन होगा। आरक्षण का मौजूदा स्वरूप ही बेहतर है और इसके साथ किसी प्रकार की छेड़छाड़ करना उचित नहीं होगा। बंद का समर्थन करने वालों का कहना है कि कोर्ट को अपने इस फैसले की समीक्षा करनी चाहिए या फिर उसे वापस लेना चाहिए।
कौन-कौन भारत बंद के समर्थन में?
आरक्षण एक ऐसा ज्वलंत मुद्दा है जिसे आधार बनाकर कई राजनीतिक पार्टियों ने सालों तक अपनी रोटियां सेंकी हैं। इस बार भी कुछ ऐसा ही है। भारत बंद को समर्थन देने वालों में दलित और आदिवासी संगठनों के राष्ट्रीय परिसंघ (NACDAOR), कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाजवादी पार्टी, झारखंड मुक्ति मोर्चा, राष्ट्रीय जनता दल, वामपंथी दलों समेत कई दल और संगठन शामिल हैं। कोर्ट के फैसले ने सरकार को घेरने के लिए विपक्ष को बैठे बिठाए एक मुद्दा दे दिया। अब विपक्ष इस मुद्दे को अच्छे से भुनाकर अपना राजनीतिक हित साधना चाहता है।
भारत बंद समर्थकों की क्या है मांग?
भारत बंद के समर्थकों ने एक मांग पत्र जारी किया है जिसमें कई अहम बातें लिखी गई है।
- एससी-एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण पर संसद में नए अधिनियम की मांग जिसे संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल किया जाए।
- सरकारी सेवाओं में SC/ST/OBC कर्मचारियों के जाति-आधारित डेटा को तत्काल जारी हो।
- समाज के सभी वर्गों से न्यायिक अधिकारियों और न्यायाधीशों की भर्ती के लिए एक भारतीय न्यायिक सेवा की स्थापना की जाए।
- केंद्र और राज्य सरकार के विभागों के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में सभी बैकलॉग रिक्तियों को भरा जाए।
भारत 'बंद' तो क्या रहेगा 'खुला'?
वैसे तो भारत बंद के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग असर देखने को मिले हैं। कहीं पूरे के पूरे बाजार बंद हैं तो कहीं मामूली असर भी नहीं दिखाई दे रहा है। आइए ये जान लेते हैं कि इस दौरान ऐसी कौनसी सेवाएं हैं जो पूरी तरह से खुली रहेंगी। बंद के दौरान चिकित्सा सेवाएं सुचारू रूप से चलती रहेंगी जैसे हॉस्पिटल, एंबुलेंस और इंमरजेंसी सेवाएं। इसके अलावा सभी सरकारी कार्यालय, बैंक, कॉलेज, स्कूल (अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नियम, कहीं खुले और कहीं पूर्ण रूप से बंद) खुले रहेंगे। इसके अलावा परिवहन सेवाओं में बस (कहीं बंद और कहीं आशिंक प्रभावित) और रेल नियमित रूप से संचालित होंगी।
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